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मध्य प्रदेश के सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में कथित तौर पर चूहों के काटने के बाद दो नवजातों की मौत का मामला सामने आया है.
इंदौर स्थित महाराजा यशवंतराव अस्पताल (एमवाईएच) में 24 अगस्त को 10 दिन की एक बच्ची (गुड़िया– सांकेतिक नाम) को उसके परिजन छोड़कर चले गए थे.
31 अगस्त को गुड़िया को सबसे सुरक्षित और संवेदनशील माने जाने वाले एनआईसीयू वॉर्ड में कथित तौर चूहों ने काट लिया और 2 सितंबर को गुड़िया की इलाज के दौरान मौत हो गई.
वहीं बुधवार दोपहर को लगभग 1 बजे एक और नवजात रोशन (सांकेतिक नाम) की भी मृत्यु हो गई है.
हालाँकि अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट का कहना है कि नवजातों की मौत की वजह अलग-अलग बीमारियां थीं.
राज्य के चिकित्सा आयुक्त ने इस मामले में अस्पताल को नोटिस जारी कर स्पष्टीकरण मांगा है.
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अस्पताल का क्या है कहना?
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हालांकि अस्पताल प्रशासन ने कहा है कि दोनों बच्चों की मौत चूहे के काटने से नहीं, बल्कि गुड़िया की गंभीर जन्मजात दिल की बीमारी के कारण और रोशन की मौत इन्फ़ेक्शन की वजह से हुई है.
अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉ. अशोक यादव ने बीबीसी को बताया, “यह एक दुखद और संवेदनशील घटना है लेकिन बच्ची की मौत चूहों के काटने से नहीं हुई है बल्कि वह पहले से ही जन्मजात गंभीर बीमारियों से लड़ रही थी और इसी के चलते उसकी मौत हो गई.”
अस्पताल प्रबंधन भले ही घटना के लिए जो भी सफ़ाई पेश करे लेकिन इस मामले ने अस्पताल में फैली लापरवाही को उजागर किया है.
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अस्पताल प्रबंधन ने गुड़िया की मौत के बाद बीबीसी को बताया था कि रोशन के सिर पर भी चूहे के काटने के निशान थे.
जहां एक तरफ़ मध्य प्रदेश की लचर स्वास्थ्य व्यवस्था पर फिर एक बार सवाल खड़े हो रहे हैं वहीं कांग्रेस ने इस मामले को लेकर बीजेपी सरकार पर निशाना साधा है.
इस घटना के बाद अस्पताल प्रशासन ने दो नर्सिंग ऑफ़िसर्स को निलंबित कर दिया है और कई अधिकारियों को नोटिस दिए हैं.
अस्पताल में भरपूर गंदगी, तीमारदारों पर आरोप
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बीबीसी ने अस्पताल में मौजूद कुछ लोगों से बात की. अपने मरीज़ के साथ मौजूद 32 साल की मिथिलेश जाटव ने कहा, “कोई भी व्यक्ति अस्पताल आता है तो इस उम्मीद के साथ आता है कि उसकी जान बच जाएगी. और अगर आईसीयू या बच्चों के लिए एनआईसीयू में कोई जाता है तो वो अपनी ज़िंदगी के लिए लड़ता है. ऐसे में अगर चूहे काट लें तो ये कितनी बड़ी लापरवाही है.”
मिथिलेश ने कहा, “सबसे सुरक्षित इलाक़े में चूहों का आतंक है, बच्चों को काट रहे हैं तो फिर इंसान कहा जाएगा?”
दरअसल मध्य प्रदेश के इस सबसे बड़े सरकारी अस्पताल में चूहों के आतंक का एक लंबा इतिहास रहा है.
अस्पताल के मेडिकल सुपरिटेंडेंट डॉक्टर अशोक यादव ने बीबीसी को बताया, “1994 में यहां बड़े स्तर पर ‘चूहा मारो अभियान’ चलाया गया था. उस दौरान अस्पताल को 10 दिनों के लिए ख़ाली कराया गया और पेस्ट कंट्रोल से करीब 12,000 चूहे मारे गए थे. 2014 में भी पेस्ट कंट्रोल हुआ, जिसमें ढाई हज़ार चूहे मरे.”
डॉक्टर अशोक यादव ने अस्पताल में मरीज़ों के साथ आए परिजनों पर आरोप लगाते हुए कहा, “कई बार मरीज़ों के अटेंडर्स वॉर्ड के अंदर तक खाना लेकर जाते हैं और चूहों के आने का ये सबसे बड़ा कारण है. इसके अलावा अभी बारिश का मौसम भी है जिसके चलते चूहे अस्पताल की इमारतों और वार्डों में घुस आते हैं.”
उनका दावा है कि अस्पताल में समय-समय पर पेस्ट कंट्रोल कराया जाता है.
हालांकि गुड़िया और रोशन को चूहों द्वारा काटे जाने की घटना ने तमाम दावों पर सवाल खड़े कर दिए हैं.
अस्पताल में लगभग 15 दिनों से भर्ती एक अन्य मरीज़ ने आरोप लगाया, “यहां अच्छे से साफ़-सफ़ाई नहीं की जाती. डॉक्टरों से शिकायत करने पर उल्टा शिकायत करने वाले को ही समस्या होती है. यहां मरीज़ मजबूरी में डर कर ही रहता है.”
चूहों पर राजनीति भी तेज़, चिकित्सा आयुक्त ने डीन से मांगा जवाब
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एमवाई अस्पताल में नवजातों को चूहों के काटने की घटना पर भोपाल से चिकित्सा एवं स्वास्थ्य आयुक्त ने डीन डॉ. अरविंद घनघोरिया को नोटिस जारी किया है.
नोटिस में कहा गया है कि अस्पताल के एनआईसीयू वॉर्ड में भर्ती शिशुओं को चूहों के कुतरने की घटना “गंभीर लापरवाही और गैर-ज़िम्मेदारी का सूचक है.”
डीन अरविंद घनघोरिया से इस मामले में तत्काल स्पष्टीकरण मांगा गया है.
वहीं दूसरी तरफ़ कांग्रेस के प्रदेश अध्यक्ष जीतू पटवारी ने राज्य की बीजेपी सरकार पर निशाना साधते हुए कहा, “बीजेपी के 22 साल के शासन का यह असली चेहरा है. एमवाई में चूहों की हरकत यह पहली बार नहीं हुई. नवजातों को चूहों ने नहीं, भ्रष्टाचारी प्रशासन ने क्षति पहुंचाई है.”
पटवारी ने मुख्यमंत्री मोहन यादव की सरकार से सवाल पूछते हुए कहा, “इस सरकार में रीढ़ की हड्डी है तो क्या अधीक्षक को सज़ा दे सकते हैं? नहीं दे सकते. वह सिर्फ़ छोटे से वॉर्ड बॉय को हटाएंगे. यह व्यवस्था क्या है? एमवाई में अराजकता क्यों है? चूहे बच्चों को खा रहे हैं…जितना दोषी वह चूहा है, उससे ज़्यादा दोषी यह तंत्र और व्यवस्था है”.
भोपाल में पत्रकारों से बातचीत करते हुए मध्य प्रदेश के स्वास्थ्य मंत्री राजेंद्र शुक्ला ने कहा, “यह बेहद गंभीर मामला है और इसमें तुरंत कार्रवाई की गई है. सामान्य तौर पर अगर समय पर पेस्ट कंट्रोल हो जाए तो चूहे अस्पताल में नहीं आते. लेकिन जिस तरह यह घटना हुई है, उससे साफ़ है कि पेस्ट कंट्रोल में लापरवाही हुई.”
सरकार ने पेस्ट कंट्रोल एजेंसी पर एक लाख रुपये का जुर्माना लगाया है और उसका कॉन्ट्रैक्ट समाप्त करने का नोटिस जारी किया है. इसके अलावा नर्सिंग सुपरिटेंडेंट को हटा दिया गया है, दो नर्सिंग ऑफ़िसरों को निलंबित किया गया है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.