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इनकम टैक्स में छूट, TDS को लेकर भी बदले नियम; 10 बातें जो हर करदाता को जाननी चाहिए

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Feb 3, 2025


Budget 2025 केंद्रीय वित्त मंत्री ने शनिवार को संसद में बजट पेश किया। इस बजट में 12 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई कर नहीं लगाने और सभी कर स्लैब में फेरबदल की घोषणा की गई। इसके साथ ही कई नियमों को भी आसान करने की घोषणा की गई। बजट का फोकस मुख्य रूप से मध्यम वर्ग पर देखने को मिला।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। केंद्रीय वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने शनिवार को वित्तीय वर्ष 2025-26 के लिए बजट पेश किया गया। ये आठवीं बार है जब निर्मला सीतारमण ने संसद में बजट पेश किया। सभी क्षेत्रों के लिए बजट में बड़े एलान किए गए। बजट को देखकर लगा कि इसे विशेष तौर से मध्यम वर्ग के लिए बनाया गया है।

दरअसल, देश की अर्थव्यवस्था के खेवनहार मध्यम वर्ग को सरकार ने इनकम टैक्स में छूट देकर अर्थव्यवस्था को भी बूस्टर देने की कोशिश की है। नई घोषणा के मुताबिक आगामी वित्त वर्ष 2025-26 में वेतनभोगियों को सालाना 12.75 लाख तक की कमाई पर कोई टैक्स नहीं देना होगा।

12 लाख तक की इनकम पर कोई टैक्स नहीं

अन्य लोगों को 12 लाख तक सालाना आय पर टैक्स नहीं लगेगा। यह सुविधा इनकम टैक्स की नई व्यवस्था के तहत दी गई है। नई व्यवस्था के तहत टैक्स के स्लैब भी बदलाव किया गया है जिससे सालाना 24.75 लाख तक कमाने वालों को फिलहाल के मुकाबले 1.10 लाख रुपए की बचत होगी।

टैक्स स्लैब में हुए बदलाव को लेकर केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड के अध्यक्ष रवि अग्रवाल ने कहा है कि केंद्रीय बजट में 12 लाख रुपये तक की सालाना आय पर कोई कर नहीं लगाने और सभी कर स्लैब में फेरबदल की घोषणा से 90 प्रतिशत से अधिक करदाता नई कर व्यवस्था को अपनाने के लिए प्रेरित हो सकते हैं। अभी तक यह आंकड़ा लगभग 75 प्रतिशत है।

8 करोड़ ने भरा आईटीआर

वित्त मंत्रालय के मुताबिक टैक्स छूट सीमा को सात लाख से बढ़ाकर 12 लाख करने से टैक्स देने वाले एक करोड़ लोग टैक्स से मुक्त हो जाएंगे। चालू वित्त वर्ष में दिसंबर तक आठ करोड़ से अधिक लोगों ने इनकम टैक्स रिटर्न (आईटीआर) दाखिल किए थे, लेकिन इनमें से 4.9 करोड़ लोगों ने अपनी आय जीरो टैक्स वाली दिखाई थी।

टैक्स पेयर्स को जाननी चाहिए ये बातें

शनिवार को पेश हुए बजट के बाद मध्यम वर्ग के लोगों में खुशी की लहर है। इस बीच बजट के बाद प्रत्येक करदाता इन दस बातों के बारे में जरूर जानना चाहिए।

  • नई कर व्यवस्था के तहत स्लैब दरों को आसान बनाया गया है, जो कि डिफ़ॉल्ट व्यवस्था बनी हुई है।
  • नई कर व्यवस्था का लाभ उठाने वालों के लिए कर छूट 25,000 से बढ़ाकर 60,000 की गई (एनआरआई के लिए लागू नहीं)
  • करदाता अब बिना किसी शर्त के दो स्व-कब्जे वाली संपत्तियों के वार्षिक मूल्य को “शून्य” के रूप में दावा कर सकते हैं।
  • विदेशी प्रेषणों पर स्रोत पर कर संग्रह (TCS) की सीमा 7 लाख से बढ़ाकर 10 लाख कर दी गई है।
  • शैक्षणिक व्यय के लिए किए गए प्रेषणों पर TCS लागू नहीं होगा। (पहले 7 लाख से अधिक के प्रेषण पर 0.5% लागू होता था)
  • अपडेट रिटर्न दाखिल करने की समय सीमा मौजूदा 24 महीनों से बढ़ाकर 48 महीने कर दी गई है, लेकिन इसमें 16 अतिरिक्त महीने और कुल मिलाकर 70% ब्याज शामिल है।
  • राष्ट्रीय पेंशन प्रणाली में स्वयं के योगदान के लिए कर कटौती (पुरानी कर व्यवस्था के तहत) 50,000 रुपये को एनपीएस वात्सल्य योजना के तहत नाबालिगों के नाम पर किए गए योगदान पर भी लागू किया गया है।
  • वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज आय पर कर कटौती (टीडीएस) की सीमा वर्तमान 50,000 रुपये से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दी गई है।
  • गैर-व्यक्तियों द्वारा भुगतान किए गए किराए पर टीडीएस की बाध्यता है। ऐसे टीडीएस के लिए 2.4 लाख रुपये प्रति वर्ष की सीमा को बढ़ाकर 50,000 रुपये प्रति माह या महीने के एक हिस्से पर कर दिया गया है।
  • डिविडेंड आय और म्यूचुअल फंड यूनिट से आय पर टीडीएस की सीमा को मौजूदा 5,000 रुपये से बढ़ाकर 10,000 रुपये किया गया है।

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