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इनकम टैक्स रिटर्न यानी आईटीआर भरने का काम जारी है. पर चूंकि मामला इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से जुड़ा है, इसलिए रिटर्न फाइलिंग में एक छोटी सी चूक भी भारी पड़ सकती है.
ऐसे में बात उन कॉमन गलतियों की जो न केवल आपका रिफंड रिजेक्ट कर सकती हैं, बल्कि नोटिस और जुर्माना लगने की वजह भी बन सकती हैं.
फाइनेंशियल ईयर 2024-25 (असेसमेंट ईयर 2025-26) के लिए इनकम टैक्स रिटर्न फाइल करने की डेडलाइन 15 सितंबर 2025 है. इनकम टैक्स डिपार्टमेंट आईटीआर-1, 2, 3 और 4 के लिए एक्सेल यूटिलिटी जारी कर चुका है.
तो अभी रिटर्न दाखिल करने के लिए आपके पास काफ़ी समय है, इसलिए किसी तरह की जल्दबाजी से बचें. ज्यादा रिफंड के लालच में किसी तरह की गलती न करें.
इसलिए जल्दी से बात कर लेते हैं उन 5 गलतियों की जो टैक्सपेयर्स से अक्सर हो जाया करती हैं.
1. इनकम के हर सोर्स का ज़िक्र करें
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कई टैक्सपेयर्स अपनी हर तरह की इनकम इनकम को रिटर्न में नहीं दिखाते, चाहे वह टैक्सेबल हो या नहीं. मसलन, सेविंग्स अकाउंट पर मिलने वाला इंटरेस्ट, फिक्स्ड डिपॉजिट पर इंटरेस्ट, रेंटल इनकम या स्टॉक मार्केट में डिविडेंड इनकम.
भले ही सेविंग्स अकाउंट यानी बचत खाते के ब्याज़ पर 10,000 रुपये तक की ही इनकम टैक्स छूट मिलती हो, लेकिन इसे रिटर्न में दिखाना ज़रूरी है.
अगर आप कोई इनकम छिपाते हैं तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट की नज़र में आप गलत हैं, जिससे नोटिस या जुर्माना लग सकता है.
2. फ़ॉर्म 26AS और AIS की जांच न करना
रिटर्न फाइल करने से पहले फॉर्म 26AS और एनुअल इन्फॉर्मेशन स्टेटमेंट (AIS) की जांच करना ज़रूरी है.
ये डॉक्यूमेंट्स आपकी आय, टीडीएस और बड़े लेन-देन की जानकारी देते हैं.
अगर इनमें कोई ग़लती है, जैसे बैंक द्वारा काटा गया टीडीएस ग़लत दिख रहा हो, तो उसे ठीक करवाएं.
इन डॉक्यूमेंट्स का मिलान फॉर्म-16, बैंक स्टेटमेंट और अन्य रिकॉर्ड से करें. अगर जानकारी में अंतर हुआ, तो इनकम टैक्स डिपार्टमेंट से नोटिस आ सकता है.
3. सही ITR फ़ार्म चुनें
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एक कॉमन गलती यह है कि कई बार लोग ग़लत ITR फॉर्म चुन लेते हैं. हर फ़ॉर्म ख़ास तरह की इनकम और टैक्सपेयर्स के लिए बनाया गया है.
अगर आपने शेयर की बिक्री से 1.25 लाख रुपये से ज़्यादा का लॉन्ग टर्म कैपिटल गेंस हासिल किया है या आपके पास किसी विदेशी बैंक में अकाउंट है, तो आपको ITR-1 की जगह ITR-2 भरना होगा.
ग़लत फॉर्म चुनने से आपकी रिटर्न ‘डिफेक्टिव’ मानी जा सकती है.
4. नौकरी बदलने पर पुरानी इनकम छिपा लेना
अगर आपने वित्त वर्ष में नौकरी बदली है, तो दोनों एम्प्लॉयर्स से मिली आय को रिटर्न में दिखाना ज़रूरी है. दोनों कंपनियों से मिले Form-16 को ध्यान से देखें और सुनिश्चित करें कि कोई इनकम छूट न जाए.
कई बार टैक्सपेयर्स पुराने एम्प्लॉयर की आय या टीडीएस की जानकारी छोड़ देते हैं, जो ग़लत है.
एआईएस में आपकी सारी इनकम की जानकारी होती है, इसलिए इसे छिपाने की कोशिश न करें, वरना नोटिस आ सकता है.
5. ग़लत डिडक्शन का क्लेम
कई टैक्सपेयर्स बिना सबूत के सेक्शन 80C, 80D या अन्य छूट का दावा कर लेते हैं. जैसे बच्चों की स्कूल फीस, एलआईसी प्रीमियम या मेडिकल इंश्योरेंस के लिए छूट तभी ले सकते हैं, जब आपके पास वैलिड डॉक्यूमेंट्स हों.
इनकम टैक्स डिपार्टमेंट अब AIS और AI टूल्स के ज़रिए ऐसी ग़लतियों को आसानी से पकड़ लेता है.
अगर आप बिना सबूत के छूट लेते हैं, तो नोटिस मिल सकता है या रिटर्न रद्द हो सकता है.
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रिटर्न फाइल करने के बाद उसे तीस दिनों के अंदर वेरिफ़ाई करना ज़रूरी है. यह वेरिफिकेशन आधार ओटीपी, नेट बैंकिंग या ITR-V को डाक से भेजकर किया जा सकता है.
अगर आप वेरिफाई नहीं करते, तो रिटर्न को अमान्य माना जाता है.
मतलब ये मान लिया जाता है कि आपने रिटर्न फाइल ही नहीं किया है.
कई टैक्सपेयर्स यह भूल जाते हैं, जिससे उनकी रिटर्न प्रक्रिया अधूरी रह जाती है और जुर्माना लग सकता है.
अब समझ लेते हैं कि इस बार इनकम टैक्स स्लैब का हिसाब-किताब क्या है.
इस साल किस तरह से लगेगा टैक्स?
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इस साल बजट की घोषणा के वक़्त वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण ने नए टैक्स रेट की घोषणा की थी.
इस घोषणा के मुताबिक़ अगर किसी व्यक्ति की सालाना आय 12 लाख रुपये से अधिक है तो उसे इनकम टैक्स स्लैब्स के हिसाब से टैक्स देना होगा.
सैलरी क्लास यानी वेतनभोगी कर्मचारियों की स्थिति में ये लिमिट 12 लाख 75 हज़ार रुपए है और जैसे ही ये लिमिट पार होगी, वो टैक्स के दायरे में आ जाएंगे और उन्हें स्लैब्स के हिसाब से ही इनकम टैक्स देना होगा.
मसलन अगर किसी व्यक्ति की सालाना आमदनी 13 लाख रुपए है. तो वो क्योंकि इस लिमिट से बाहर हो गया है, इसलिए उसे टैक्स देना होगा.
12 लाख तक की आय टैक्स फ्री का मतलब
सरकार ने नए टैक्स रिजीम वालों के लिए सेक्शन 87ए के तहत टैक्स रिबेट 60 हज़ार रुपये कर दिया है. यानी 12 लाख रुपये की आदमनी पर स्लैब के हिसाब से 60 हजार रुपये का टैक्स बनेगा जो कि रिबेट के तौर पर माफ़ हो जाएगा.
यह रिबेट अब तक 25 हज़ार रुपये था, जिसे अब 60 हज़ार कर दिया गया है.
उदाहरण के तौर पर मानिए कि किसी शख़्स की सालाना आय 13 लाख रुपये है.
चूंकि पहले चार लाख रुपये पर कोई टैक्स नहीं है इसलिए इस स्लैब पर टैक्स नहीं देना है.
4 से 8 लाख रुपये के दायरे पर 5 फ़ीसदी टैक्स लगना है यानी चार लाख रुपए पर 5 फ़ीसदी के हिसाब से टैक्स हुआ 20 हज़ार रुपए
फिर 8 लाख से 12 लाख रुपये पर टैक्स दर है 10 फ़ीसदी. इस ब्रेकेट में चार लाख रुपए पर 10 फ़ीसदी के हिसाब से टैक्स बना 40 हज़ार रुपए.
अब क्योंकि इस व्यक्ति की सालाना आमदनी 13 लाख रुपए है, इसलिए बचे हुए 1 लाख रुपए पर 15 फ़ीसदी के हिसाब से टैक्स बना 15 हज़ार रुपए.
इस तरह से इस शख्स की टैक्स देनदारी बनी: 20 हज़ार + 40 हज़ार + 15 हज़ार यानी 75 हज़ार रुपए.
बुज़ुर्गों को भी है इस बार राहत
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आम बजट 2025-26 में सीनियर सिटीज़न या वरिष्ठ नागरिकों को भी टैक्स में राहत का ऐलान है.
वरिष्ठ नागरिकों के लिए ब्याज पर टैक्स छूट की सीमा को 50 हज़ार से बढ़ाकर 1 लाख रुपये कर दिया गया है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित