जेएनएन, नई दिल्ली। पहलगाम आतंकी हमले के बाद पाकिस्तान के साथ बढ़ते तनाव के बीच पड़ोसी देश से युद्ध की आशंका को देखते हुए पूरा देश माक ड्रिल के लिए कमर कस चुका है। मॉक ड्रिल देश के सिविल डिफेंस जिलों में की जाएगी। सिविल डिफेंस जिले भौगोलिक क्षेत्र को संदर्भित करता है जिसमें सशस्त्र बल केंद्र या महत्वपूर्ण आर्थिक या सार्वजनिक अवसंरचना, जैसे तेल रिफाइनरी या परमाणु संयंत्र हो।
गृह मंत्रालय द्वारा राज्यों को मॉक ड्रिल के संबंध में दिए गए निर्देशों में 54 वर्षों में पहला ”क्रैश ब्लैकआउट उपायों के प्रविधान” का भी उल्लेख किया गया है। दुश्मन के विमानों द्वारा हवाई हमलों के दौरान ब्लैकआउट उपायों को लागू किया जाता है। इस तरह की ड्रिल आखिरी बार 1971 में की गई थी जब पाकिस्तान के साथ पूर्वी एवं पश्चिमी दोनों मोर्चों पर युद्ध हुआ था।
2003 के एक दस्तावेज, ”भारत में नागरिक सुरक्षा के सिद्धांत” में बताया गया है कि हवाई हमलों के दौरान क्या करें और क्या न करें। इसमें यह भी बताया गया है कि ब्लैकआउट को किस प्रकार लागू किया जाना चाहिए। आइए माक ड्रिल के तमाम पहलुओं के बारे में जानने का प्रयास करते हैं।

हवाई हमले की चेतावनियां कैसे काम करती हैं?
दुश्मन के विमानों के आने की चेतावनी से लोगों को शरण लेने का समय मिल जाता है। दुश्मन के विमानों की हरकत का पता लगाने का काम वायुसेना का है। जैसे ही वायुसेना को दुश्मन के किसी विमान का पता चलता है, सूचना क्षेत्रीय नागरिक सुरक्षा नियंत्रण केंद्रों को भेज दी जाती है- इसके बाद सूचना शहर के केंद्रों तक भेजा जाता है जहां जमीनी कार्रवाई शुरू होती है- वायुसेना सूचना को एक बड़े नक्शे पर अंकित करती है और रक्षात्मक जवाबी कार्रवाई की योजना बनाती है।
“जब जीवन शांतिपूर्ण लगता है, तो यह भूलना आसान है कि शांति कितनी नाजुक है। क्या हम मानसिक और व्यावहारिक रूप से ब्लैकआउट जैसी स्थितियों से निपटने के लिए तैयार हैं? आइए अपनी तैयारी का मूल्यांकन करें और सुरक्षा सुनिश्चित करें! #सुरक्षा #आपदा_तैयारी@HMOIndia @PIB_India @MIB_Hindi pic.twitter.com/bNpnz9Eg5N
— NDMA India | राष्ट्रीय आपदा प्रबंधन प्राधिकरण 🇮🇳 (@ndmaindia) May 6, 2025
चार तरह के होते हैं हवाई हमले की चेतावनी संदेश
दूसरा अलर्ट ‘हवाई हमला मैसेज-रेड’- रेड का संकेत होता है कि दुश्मन के विमान कुछ शहरों की ओर बढ़ रहे हैं। कुछ ही मिनटों में हमला हो सकता है। यह संदेश मैसेज सुरक्षा व्यवस्था से जुड़े लोगों को भेजकर कार्रवाई करने को कहा जाता है। हवाई हमलों के दौरान आम लोगों को निकालकर सुरक्षित स्थानों पर पहुंचाना अहम होता है। इसमें आम लोगों और छात्रों की ट्रेनिंग के साथ-साथ सिविल डिफेंस की अहम भूमिका होती है। इस चेतावनी के बाद सायरन के माध्यम से सार्वजनिक चेतावनी जारी किए जाने की जाती है।
तीसरा अलर्ट ‘एयर रेड मैसेज – ग्रीन’- इस अलर्ट का मतलब है कि हमलावर विमान शहरों से चले गए हैं या अब उन्हें कोई खतरा नहीं है।चौथा अलर्ट है ‘एयर रेड मैसेज-व्हाइट’- यह अलर्ट ‘एयर रेड मैसेज-व्हाइट’ तब भेजा जाता है जब ‘एयर रेड मैसेज-येलो’ में चेतावनी दी गई प्रारंभिक धमकी का समय बीत जाता है। इस प्रकार का अलर्ट भी गोपनीय होता है।

ब्लैकआउट की जरूरत क्यों होती है?
- इसका उद्देश्य लोगों को रात में दुश्मन के विमानों से स्वयं को और अपने शहरों को सुरक्षित रखने में सक्षम बनाना है।
- ब्लैकआउट से अत्यधिक गति वाले दुश्मन के लड़ाकू विमान को सटीक हमला नहीं कर पाते। इसमें सुनिश्चित किया जाता कि ”सामान्य ²श्यता स्थितियों के तहत जमीन से पांच हजार फीट की ऊंचाई से कोई रोशनी न दिखे।
- ब्लैकआउट को धीरे-धीरे लागू किया जाएगा, एक साथ नहीं। ये प्रतिबंध स्ट्रीट लाइट, कारखानों और वाहनों की लाइट पर भी लागू होंगे। संवेदनशील क्षेत्रों में विज्ञापनों के लिए लाइट के उपयोग पर प्रतिबंध रहेगा।
- स्ट्रीट लैंप भी ब्लैकआउट में शामिल होंगे, इसमें प्रकाश को न्यूनतम रखा जाएगा। सड़क पर लगे स्ट्रीट लैंप से कोई भी सीधी किरण नीचे की ओर ढलान पर नहीं निकलनी चाहिए।
- जमीन पर पड़ने वाली रोशनी 20 फीट की दूरी पर लगे 25 वाट के बल्ब या छह फीट की दूरी पर लगे लैंटर्न से निकलने वाली रोशनी से अधिक नहीं होनी चाहिए।
- किसी भी इमारत में रोशनी का उपयोग नहीं किया जाए, जब तक कि वह अपारदर्शी सामग्री से ढकी न हो।
- प्रकाश के स्त्रोत से सीधे आने वाली या किसी चमकदार सतह से परावर्तित होने वाली कोई भी किरण भवन के छत वाले हिस्से के बाहर दिखाई न दे।
- भवन या उसके किसी भी भाग के बाहर ऊपर की ओर कोई चकाचौंध न हो। किसी भी भवन के बाहर सजावट या विज्ञापन के लिए लाइट की अनुमति नहीं दी जाएगी।
वाहनों के लिए नियम
मोटर वाहन की सभी लाइटें ढकी होनी चाहिए, इसके लिए इसमें तीन तरीके बताए गए हैं, पहला तरीका यह है कि ग्लास के ऊपर इस तरह सूखा ब्राउन पेपर रख दिया जाए जिससे हेडलैंप के निचले भाग से हल्की रोशनी निकले। दूसरी विधि यह है कि ग्लास के पीछे एक कार्डबोर्ड डिस्क लगाई जाए तथा बल्ब के केंद्र से आधा इंच नीचे 1/8 इंच चौड़ा क्षैतिज छेद हो।रिफ्लेक्टर को इस तरह से ढंका जाना चाहिए कि रिफ्लेक्टर से कोई प्रकाश परावर्तित न हो।
मॉक ड्रिल में राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली और परमाणु संयंत्र, सैन्य अड्डे, रिफाइनरियां और जलविद्युत बांध जैसे 100 ‘अत्यधिक संवेदनशील’ स्थान शामिल होंगे। इसमें पुलिस और अर्धसैनिक बलों के अलावा सरकारी और निजी संगठनों के छात्रों और कर्मचारियों की भी सहभागिता होगी।मॉक ड्रिल में विभिन्न नागरिक सुरक्षा उपायों का परीक्षण किया जाएगा, जिसमें हवाई हमले की चेतावनी देने वाले सायरन और नियंत्रण कक्षों की स्थिति का आकलन करना, साथ ही वायु सेना के लिए हाटलाइन भी शामिल हैं। राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों को नागरिक सुरक्षा पहलुओं पर नागरिकों को प्रशिक्षित करने, अग्निशमन जैसी महत्वपूर्ण सेवाओं का संचालन सुनिश्चित करने के लिए भी कहा गया है।
जानिए कहां कहां होगी मॉक ड्रिल
- उत्तर प्रदेश – बुलंदशहर (नरौरा), आगरा, इलाहाबाद, बरेली, गाजियाबाद, गोरखपुर, झांसी, कानपुर, लखनऊ, मथुरा, मेरठ, मुरादाबाद, शरणपुर, वाराणसी बख्शी-का-तालाब मुगलसराय, सरसावा, बागपत, मुजफ्फरनगर।
- दिल्ली – दिल्ली (नई दिल्ली और दिल्ली छावनी सहित)
- जम्मू और कश्मीर – अनंतनाग, बडगाम, बारामुला, डोडा, जम्मू, कारगिल, कठुआ, कुपवाड़ा, लेह, पुंछ, राजौरी, श्रीनगर, उधमपुर, सांबा, अखनूर, उरी, नौशेरा, सुंदरबनी, अवंतीपुर, पुलवामा।
- बिहार – बरौनी, कटिहार, पटना, पूर्णिया, बेगुसराय- हरियाणा – अंबाला, फरीदाबाद, गुड़गांव, हिसार, पंचकुला, पानीपत, रोहतक, सिरसा, सोनीपत, यमुनानगर, झज्जर।
- हिमाचल प्रदेश – शिमला
- झारखंड – बोकारो, गोमियो,जमशेदपुर, रांची, गोड्डा, साहेबगंज।
- मध्य प्रदेश – भोपाल, ग्वालियर, इंदौर, जबलपुर, कटनी।
- बंगाल – कूचबिहार, दार्जिलिंग, जलपानीगुड़ी, माला, सिलीगुड़ी, ग्रेटर कोलकाता, दुर्गापुर, हल्दिया, हाशिमारा, खड़गपुर, बर्नपुर-आसनसोल, फरक्का-खेजुरियाघाट, चित्तरंजन, बालुरघाट, अली पुरवार, रायगंज, इस्लामपुर, दिनहाटा, मखिली गंज, माथाभांगा, कलिपोंग जलधाका, कुर्सियांग, कोलाघाट, बर्धमान, बीरभूम, पूर्वी मिदनापुर, पश्चिम मदीनापुर, हावड़ा, हुगली, मुर्शिदाबाद।
- चंडीगढ़- चंडीगढ़।
- छत्तीसगढ़ – दुर्ग (भिलाई)
- पंजाब – अमृतसर, भटिंडा, फिरोजपुर, गुरदासपुर, होशियारपुर, जालंधर, लुधियाना, पटियाला, पठानकोट, अधमपुर, बरनाला, भाखड़ा-नांगल, हलवारा, कोठकापुर, बटाला, मोहाली (सासनगर), अबोहर, फरीदपुर, रोपड़, संगरूर।
- उत्तराखंड – देहरादून।
- अंडमान और निकोबार द्वीप समूह – पोर्ट ब्लेयर।
- आंध्र प्रदेश – हैदराबाद, विशाखापत्तनम।
- अरुणाचल प्रदेश – आलोग (पश्चिम सियांग), ईटानगर, तवांग, हयुलिंग, बोमडिला।
- असम – बोंगाईगांव, डिब्रूगढ़, धुबरी, गोलपारा, जोरहाट, सिबसागर, तिनसुकिया, डिगबोई, तेजपुर, दिलियाजान, गुवाहाटी (दिसपुर), रंगिया, नामरूप, नाजिरा, उत्तरी लक्षि्शमपुर, नुमालीगढ़, दरांग, गोलाघाट, कार्बी-आंगलोंग, कोकराझार
- दादर नगर हवेली – दादर (सिलवासा)- दमन और दीव – दमन-
- गोवा – उत्तरी गोवा (पणजी), दक्षिणी गोवा (वास्को डाबोलिम और हार्बर के साथ मार्मागोआ)।
- गुजरात- सूरत, वडोदरा, काकरापार, अहमदाबाद, जामनगर, गांधीनगर, भावनगर, कांडला, नलिया, अंकलेश्वर, ओखा, वाडिनार, भरूच, डांग, कच्छ, मेहसाणा, नर्मदा, नवसारी।
- राजस्थान – कोटा, रावत-भाटा, अजमेर, अलवर, बाड़मेर, भरतपुर, बीकानेर, बूंदी, गंगानगर, हनुमानगढ़, जयपुर, जैसलमेर, जोधपुर, उदयपुर, सीकर, नाल, सूरतगढ़, आबू रोड, नसीराबाद (अजमेर), भिवरी, फुलेरा (जयपुर), नागौर (मेड़ता रोड), जालौर, बेवर (अजमेर), लालगढ़ (गंगानगर), सवाई माधोपुर, भीलवाड़ा, पाली।
- कर्नाटक – बेंगलुरु (शहरी), मल्लेश्वर, रायचूर- केरल – कोचीन (कोच्चि), तिरुअनंतपुरम-लक्षद्वीप – लक्षद्वीप (कवारती)
- महाराष्ट्र – मुंबई, उरण, तारापुर, ठाणे, पुणे, नासिक, रोहन-धातो- नागोठाणे, मोनमाड, सिनर, थाल वायशोट, पिंपरी चिंचवड़, औरंगाबाद, भुसावल, रायगढ़, रत्नागिरी, सिंधुदुर्ग।
- मणिपुर – इंफाल, चूड़चंदपुर, उखरुल, मोरेह, निगथौ-खोंग।
- मेघालय – पूर्वी खासी पहाड़ी (शिलांग), जैन्तिया पहाड़ी (जवाई), पश्चिम गारो पहाड़ी (तुरा)।
- मिजोरम – आइजल- नगालैंड – दीमापुर, कोहिमा, मोकोकचुंग, मोन, फेक, तुएनसांग, वोखा, जुन्हेबोटो, केफिर, पेरेन।
- ओडिशा – तालचेर, बालासोर, कोरापुट, भुवनेश्वर, गोपालपुर, हीराकुंड, पारादीप, राउरकेला – भद्रक, ढेंकनाल, जगत¨सहपुर, केंद्रपाड़ा।
- सिक्किम – गंगटोक
- तमिलनाडु – चेन्नई, कलपक्कम
- त्रिपुरा – अगरतला