जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। इलाहाबाद हाई कोर्ट ने पुराने लंबित मामलों को निपटाने के लिए किए जा रहे उपायों की जानकारी देते हुए सुप्रीम कोर्ट को बताया है कि हाई कोर्ट में रोजाना 160 आपराधिक अपीलें सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होती हैं। इनमें से हाई कोर्ट की इलाहाबाद की मुख्य पीठ में लंबित 2036 आपराधिक अपीलों में से रोजाना 100 आपराधिक अपीलें और लखनऊ पीठ में लंबित कुल 261 आपराधिक अपीलों में से 60 आपराधिक अपीलें प्रतिदिन सुनवाई पर लगती हैं।
यह जानकारी हाल ही में इलाहाबाद हाई कोर्ट की ओर से सुप्रीम कोर्ट को भेजी गई रिपोर्ट में दी गई है। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट के पूर्व आदेश पर इलाहाबाद हाई कोर्ट के दो अधिकारी, रजिस्ट्रार (ज्युडिशियल) लिस्टिंग मयूर जैन इलाहाबाद हाई कोर्ट मुख्य पीठ और हितेंन्द्र हरि रजिस्ट्रार (ज्युडिशियल) लिस्टिंग लखनऊ पीठ ने पुराने मामलों की सुनवाई व निपटारे के लिए किए जा रहे उपायों की जानकारी पेश होकर सुप्रीम कोर्ट को दी।
सुप्रीम कोर्ट के न्यायाधीश संजय करोल और जस्टिस प्रशांत कुमार मिश्रा की पीठ इलाहाबाद हाई कोर्ट में 10 और 15 वर्षों से लंबित मामलों के निपटारे पर सुनवाई कर रही है। विशेषकर दसियों वर्षों से लंबित आपराधिक अपीलों पर विचार हो रहा है जिनमें अभियुक्त लंबे समय से जेल में हैं।
गत शुक्रवार 26 नवंबर को जब मामले की सुनवाई हुई तो हाई कोर्ट के दोनों अधिकारी सुप्रीम कोर्ट में पेश हुए थे। कोर्ट ने दोनों अधिकारियों से बात की। हाई कोर्ट के अधिकारियों ने पीठ को बताया कि सभी मामले जो 15 वर्षों से ज्यादा पुराने हैं, उनकी पेपर बुक तैयार की जाती है और अगले तीन सप्ताह में उन मामलों को उचित पीठ के समक्ष सुनवाई पर लगाया जाता है।
कोर्ट ने आदेश में यह बात दर्ज की। इसके अलावा सुप्रीम कोर्ट भेजी गई रिपोर्ट में बताया गया कि इलाहाबाद हाई कोर्ट की मुख्य पीठ में लंबित कुल 2036 आपराधिक अपीलों में कम से कम 100 और लखनऊ पीठ में लंबित 261 आपराधिक अपीलों में से 60 आपराधिक अपीलें रोजाना सुनवाई के लिए सूचीबद्ध होती हैं। कोर्ट ने ये तथ्य आदेश में दर्ज करते हुए मामले की सुनवाई 21 जनवरी तक के लिए टाल दी। साथ ही दोनों अधिकारियों को आदेश दिया कि वे हलफनामा दाखिल कर लंबित अपीलों की सुनवाई और निपटारे की प्रगति बताएंगे।
ये भी बताएंगे कि 15 वर्षों से ज्यादा पुराने कितने मामलों में कोर्ट ने फैसला दिया है। हालांकि सुप्रीम कोर्ट ने स्पष्ट किया है कि अगली सुनवाई पर अधिकारियों को पेश रहने की जरूरत नहीं है।इलाहाबाद कोर्ट में लंबे समय तक आपराधिक अपीले लंबित रहने पर सुप्रीम कोर्ट ने विचार तब शुरू किया जब एक दोषी ने विशेष अनुमति याचिका दाखिल कर इलाहाबाद हाई कोर्ट के फैसले को चुनौती दी। उसकी आपराधिक अपील 2010 से हाई कोर्ट में लंबित थी।
हाई कोर्ट ने उसकी जमानत याचिका खारिज कर दी थी। इस मामले में सुनवाई करते हुए सुप्रीम कोर्ट ने इलाहाबाद हाई कोर्ट में दसियों वर्षों से लंबित अपीलों पर चिंता जताते हुए हाई कोर्ट से रिपोर्ट मंगाई थी।