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आमतौर पर माना जाता है कि इसराइल के पास दुनिया का सबसे ज़्यादा आज़माया गया मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम है.
लेकिन ईरान के साथ हाल की एयरस्ट्राइक्स के दौरान ईरान की कुछ मिसाइलें इसराइल के सुरक्षा घेरों को पार कर गईं, जिससे वहां कई इमारतों को नुक़सान पहुंचा है और कई लोगों की जान गई है.
इसराइल इससे पहले भी ईरान, लेबनान के हिज़्बुल्लाह, ग़ज़ा के हमास और यमन के हूती लड़ाकों के हमलों का सामना कर चुका है.
इसलिए इसराइल को अलग-अलग दूरी और ऊंचाई से आने वाली मिसाइलों को रोकने की ज़रूरत होती है. ऐसे में वो अलग-अलग तरह के मिसाइल डिफेंस सिस्टम का इस्तेमाल करता है.
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जानते हैं कि इसराइल के पास कितने एडवांस एयर डिफ़ेंस सिस्टम हैं और ये कैसे काम करते हैं.
आयरन डोम कैसे काम करता है?
आयरन डोम इसराइल का सबसे चर्चित डिफ़ेंस सिस्टम है.
ये चार किलोमीटर से 70 किलोमीटर की दूरी तक दाग़े गए कम दूरी की रॉकेटों, गोले और मोर्टार को गिराने के लिए डिज़ाइन की गई है.
इसराइल में कई जगह आयरन डोम बैटरियां तैनात हैं. हर बैटरी में तीन या चार लॉन्चर होते हैं और हर लॉन्चर में 20 इंटरसेप्टर मिसाइलें होती हैं.
आयरन डोम मिसाइल डिफ़ेन्स सिस्टम रडार के ज़रिए आने वाली रॉकेटों को पहचानता और ट्रैक करता है और ये तय करता है कि कौन-सी रॉकेट आबादी वाले इलाक़ों पर गिर सकती है.
इसके बाद ये उन्हीं रॉकेटों को निशाना बनाकर मिसाइल दाग़ता है. खुले मैदान की तरफ बढ़ने वाले बाकी रॉकेटों को गिरने दिया जाता है.
इसराइल डिफ़ेंस फोर्सेज़ (आईडीएफ़) पहले यह दावा कर चुका है आयरन डोम उन रॉकेटों में से 90 फ़ीसदी को नष्ट कर देता है जिन्हें वो निशाना बनाता है. इस सिस्टम की “तामीर” इंटरसेप्टर मिसाइल की लागत क़रीब 50,000 अमेरिकी डॉलर मानी जाती है.
आयरन डोम सिस्टम को 2006 में इसराइल और हिज़्बुल्लाह के बीच हुई ”समर वॉर” के बाद तैयार किया गया था.
उस वक्त लेबनान में मौजूद हिज़्बुल्लाह ने इसराइल पर क़रीब चार हज़ार रॉकेट दागे थे, जिससे इसराइल को भारी नुक़सान हुआ था और कई लोग मारे गए थे.
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आयरन डोम को इसराइली कंपनी राफ़ेल एडवांस्ड डिफ़ेंस सिस्टम्स और इसराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़ ने अमेरिकी सहयोग के साथ विकसित किया था. इसे 2011 में तैनात किया गया था.
उसी साल इसे पहली बार लड़ाई में इस्तेमाल किया गया, जब ग़ज़ा से दागे गए एक रॉकेट को इसने इंटरसेप्ट किया था.
अक्तूबर 2023 से अब तक, ग़ज़ा से हमास और दूसरे सशस्त्र गुटों की तरफ़ से दागे गए हजारों रॉकेटों को आयरन डोम मिसाइलों ने हवा में ही रोक लिया है.
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डेविड्स स्लिंग कैसे काम करता है?
डेविड्स स्लिंग को हिब्रू भाषा में “मैजिक वैंड” या ”जादू की छड़ी” कहा जाता है. ये मिसाइल डिफ़ेंस सिस्टम 300 किलोमीटर दूर तक की मिसाइलों को गिराने में सक्षम होता है.
इसे इसराइली कंपनी राफ़ेल एडवांस्ड डिफ़ेंस सिस्टम्स और अमेरिकी कंपनी रेथियॉन ने मिलकर तैयार किया है. यह सिस्टम 2017 से काम कर रहा है.
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आयरन डोम की तरह डेविड्स स्लिंग भी सिर्फ उन्हीं मिसाइलों को निशाना बनाता है जो आबादी वाले इलाक़ों को ख़तरे में डालती हैं.
डेविड्स स्लिंग और आयरन डोम, दोनों को एयरक्राफ्ट, ड्रोन और क्रूज़ मिसाइलों को निशाना बनाने के लिए भी बनाया गया है.
हर डेविड्स स्लिंग “स्टनर” मिसाइल की क़ीमत क़रीब 10 लाख डॉलर है.
एरो-2 और एरो-3 कैसे काम करते हैं?
एरो-2 को कम और मध्यम दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को तबाह करने के लिए बनाया गया है, ख़ासकर तब, जब वो धरती से क़रीब 50 किलोमीटर ऊपर ऊपरी वायुमंडल में होती हैं.
1991 के खाड़ी युद्ध के बाद इस सिस्टम पर काम शुरू हुआ, जब इराक ने इसराइल पर सोवियत तकनीक वाली स्कड मिसाइलें दागी थीं. एरो-2 को 2000 में सर्विस में शामिल किया गया था.
ये सिस्टम 500 किलोमीटर दूर से मिसाइलें डिटेक्ट सकता है. ये उन्हें लॉन्च साइट से क़रीब 100 किलोमीटर के भीतर की दूरी पर गिरा सकता है.
इसकी मिसाइलें आवाज़ की रफ्तार से नौ गुना तेज़ उड़ती हैं और यह एक साथ 14 टारगेट पर निशाना साध सकती हैं.
रिपोर्ट्स के मुताबिक़, एरो-2 को पहली बार साल 2017 में युद्ध में इस्तेमाल किया गया था, जब इसने सीरिया की एक ज़मीन से हवा में मार करने वाली मिसाइल को गिराया था.
एरो-3 को पहली बार 2017 में तैनात किया गया. यह लंबी दूरी की बैलिस्टिक मिसाइलों को धरती के वायुमंडल से बाहर, ऊंचाई पर उड़ते समय गिरा सकता है. इसकी पहुंच 2,400 किलोमीटर तक है.
युद्ध के समय पहली बार इसका इस्तेमाल 2023 में हुआ था, जब इसने यमन के हूती लड़ाकों की तरफ़ से दक्षिणी इसराइल के एक तटीय शहर की ओर दागी गई एक बैलिस्टिक मिसाइल को रोका.
इस सिस्टम को सरकारी कंपनी इसराइल एयरोस्पेस इंडस्ट्रीज़ ने अमेरिकी कंपनी बोइंग की मदद से विकसित किया है.
अमेरिका में बना थाड सिस्टम कैसे काम करता है?
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ईरान के अक्तूबर 2024 के हमले के बाद अमेरिका ने इसराइल को एक थाड बैटरी दी थी.
थाड मिसाइलें दुश्मन की मिसाइलों को उनकी उड़ान के आख़िरी चरण में, यानी गिरने से ठीक पहले 150 से 200 किलोमीटर की दूरी पर रोकने के लिए बनाई गई हैं. इसका काम डेविड्स स्लिंग जैसा ही है.
ये सिस्टम दुश्मन की मिसाइलों को धरती के वायुमंडल के अंदर और बाहर, दोनों जगहों पर मार सकता है.
थाड की एक बैटरी में आमतौर पर छह लॉन्चर होते हैं और हर लॉन्चर में आठ मिसाइलें होती हैं.
अमेरिका ने इस सिस्टम को चलाने के लिए अपने सैनिक भी इसराइल भेजे हैं.
अमेरिकी सेना 2015 से थाड का इस्तेमाल कर रही है. अमेरिका इसे सऊदी अरब और संयुक्त अरब अमीरात को भी बेच चुका है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित