इमेज कैप्शन, इसराइल के सेना प्रमुख लेफ़्टिनेंट जनरल एयाल ज़मीर ने प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू से अपील की है कि वो हमास के साथ बंधकों की रिहाई के लिए समझौता कर लें.….में
इसराइल के सेना प्रमुख ने कहा कि ग़ज़ा में बचे बंधकों की रिहाई के लिए डील तैयार है. इसराइली मीडिया ने ये जानकारी दी.
चैनल 13 की रिपोर्ट के मुताबिक़ इसराइल डिफ़ेंस फ़ोर्स (आईडीएफ़) के प्रमुख लेफ़्टिनेंट जनरल एयाल ज़मीर ने कहा कि इसराइली सेना ने सौदे की शर्तें तैयार कर ली हैं और अब यह प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के ‘हाथों में’ है.
क्षेत्रीय मध्यस्थों (क़तर और मिस्र) ने इसराइल और हमास के बीच समझौते के लिए जो ताज़ा प्रस्ताव पेश किया है उस पर मंगलवार को इसराइल की सुरक्षा कैबिनेट चर्चा करने वाली है. इस प्रस्ताव को हमास ने एक सप्ताह पहले ही स्वीकार कर लिया था.
इसराइल में इस महीने की शुरुआत में ग़ज़ा युद्ध के ख़िलाफ़ बड़े पैमाने पर प्रदर्शन हुए थे. लाखों लोग तेल अवीव की सड़कों पर जमा हुए थे और इसराइली सरकार से मांग की थी कि हमास से जारी युद्ध फ़ौरन रोका जाए और बंधकों की रिहाई के लिए उससे डील की जाए.
बंधकों और लड़ाई के बाद लापता हुए लोगों के संयुक्त फ़ोरम ने इसराइली सेना प्रमुख के इस बयान का स्वागत किया और कहा, “ज़मीर ने वही बात कही है जिसकी मांग ज़्यादातर इसराइली कर रहे हैं, जिसमें ज़िंदा बचे हुए (तक़रीबन 20) बंधकों की रिहाई और युद्ध ख़त्म करना शामिल है.”
ये फ़ोरम इसराइली सरकार के ख़िलाफ़ मंगलवार को और बड़े प्रदर्शन की योजना बना रहा है.
मिस्र और क़तर के मध्यस्थों ने जो हालिया प्रस्ताव पेश किया है वो कथित तौर पर उस फ़्रेमवर्क पर आधारित है जिसे अमेरिकी दूत स्टीव विटकॉफ़ ने जून में पेश किया था.
इसके तहत- हमास शुरुआती 60 दिन के युद्धविराम में दो चरणों में लगभग आधे बंधकों को रिहा करेगा. इसके साथ ही स्थाई युद्धविराम पर भी बातचीत भी होगी.
लेकिन प्रधानमंत्री नेतन्याहू की राय इससे बिलकुल जुदा है. उनके दफ़्तर ने पहले कहा था कि इसराइल केवल उसी समझौते को मानेगा जिसमें ‘सभी बंधकों को एक साथ रिहा किया जाए.’
जारी हैं इसराइल के हमले
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इमेज कैप्शन, तेल अवीव में युद्ध को जारी रखने के बिन्यामिन नेतन्याहू के फ़ैसले का विरोध करते प्रदर्शनकारी. वो बंधकों की फ़ौरन रिहाई की मांग कर रहे हैं
सोमवार को ग़ज़ा पट्टी के दक्षिणी हिस्से में नासेर अस्पताल पर इसराइली हमले में कम से कम 15 लोगों के मारे जाने की ख़बर है, इनमें अंतरराष्ट्रीय मीडिया से जुड़े चार पत्रकार भी शामिल हैं.
रॉयटर्स ने कहा कि उसके एक कैमरामैन की मौत नासेर अस्पताल पर हमले में हुई. बाक़ी तीन पत्रकारों के अल जज़ीरा, एसोसिएटेड प्रेस और एनबीसी से जुड़े होने की रिपोर्ट है.
इसराइल डिफ़ेंस फ़ोर्सेज़ (आईडीएफ़) ने नासेर अस्पताल क्षेत्र में हमले की पुष्टि की है.
आईडीएफ़ के बयान में कहा गया है, “चीफ़ ऑफ़ द जनरल स्टाफ़ ने जल्द से जल्द प्रारंभिक जांच कराने के निर्देश दिए हैं.”
बयान में यह भी कहा गया कि आईडीएफ़ “निर्दोष व्यक्तियों को नुकसान पहुंचने पर खेद जताती है और पत्रकारों को निशाना नहीं बनाती.”
इससे पहले शनिवार को इसराइल ने अपने लड़ाकू विमानों और टैंकों से ग़ज़ा सिटी के कई हिस्सों पर बमबारी की और यहां पर क़ब्ज़ा करने की अपनी योजना को और आगे बढ़ाया.
नेतन्याहू की आलोचना
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इमेज कैप्शन, इसराइल के प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू की ग़ज़ा सिटी पर कब्ज़े की उनकी योजना को लेकर अंतरराष्ट्रीय बिरादरी आलोचना कर रही है
नेतन्याहू ने ‘हमास को हराने’ की कसम खाई है. इसराइल के युद्ध जारी रखने के प्लान की अंतरराष्ट्रीय बिरादरी और ख़ुद इसराइली सेना प्रमुख आलोचना कर चुके हैं लेकिन नेतन्याहू अपनी बात पर क़ायम हैं. इसराइली मीडिया के मुताबिक़, ज़मीर ने ग़ज़ा सिटी पर पूरी तरह से कब्ज़ा करने की इसराइली सरकार की योजना का विरोध किया है. उनका तर्क है कि इससे बंधकों की जान को ख़तरा होगा और थकी हुई इसराइली सेना ग़ज़ा में फंस जाएगी.
इस हमले के कारण ग़ज़ा सिटी से दस लाख लोगों को दक्षिणी हिस्सों के शिविरों में विस्थापित होना पड़ेगा. हालांकि नेतन्याहू ने ये नहीं बताया है कि इसराइल की सेना कब ग़ज़ा सिटी में दाख़िल होगी.
बताया जा रहा है कि नेतन्याहू चाहते हैं कि 7 अक्तूबर को ही पूरे ग़ज़ा सिटी पर इसराइल का कब्ज़ा हो. ये वही तारीख़ है जब दो साल पहले हमास ने इसराइल पर हमला किया था.
संयुक्त राष्ट्र के अनुसार ग़ज़ा में अब तक कम से कम 19 लाख लोग यानी लगभग 90% आबादी विस्थापित हो चुकी है.
पिछले ही सप्ताह संयुक्त राष्ट्र समर्थित हंगर मॉनिटर (ग़ज़ा में मानवीय हालातों पर नज़र रखने वाला एक संगठन) ने कहा था कि ग़ज़ा सिटी में अब अकाल है और यहां के पांच लाख से ज़्यादा लोग ‘भुखमरी, ग़रीबी और मौत’ का सामना कर रहे हैं.
संयुक्त राष्ट्र और राहत एजेंसियों का कहना है कि यह सीधे तौर पर इसराइल के खाना और दूसरी सहायता सामग्री को ग़ज़ा में जाने से रोकने का नतीजा है.
इसराइल ने इस रिपोर्ट को ‘पूरी तरह झूठा’ बताया और अकाल की बात से इनकार किया है.
ग़ज़ा में युद्ध की शुरुआत हमास के इसराइल पर सात अक्तूबर 2023 को हुए हमले से हुई थी, जिसमें लगभग 1,200 लोग मारे गए और 251 को बंधक बना लिया गया था.
जिस के बाद इसराइल के जवाबी हमले में अब तक 62,686 से अधिक फ़लस्तीनी मारे जा चुके हैं. ये आंकड़े हमास-प्रशासित ग़ज़ा स्वास्थ्य मंत्रालय से लिए गए हैं, जिन्हें संयुक्त राष्ट्र विश्वसनीय मानता है.
(बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित)