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इस साल 20 हजार करोड़ रुपये तक जा सकती है साइबर धोखाधड़ी, डिजिटल इकोनमी के लिए बनी गंभीर खतरा

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Mar 1, 2025


देश की डिजिटल इकोनमी के लिए गंभीर खतरा बन चुकी साइबर धोखाधड़ी के कारण इस साल 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। आम लोगों पर तो इसका खतरा है ही बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए भी जोखिम कम नहीं है। यह राशि पिछले साल के सरकारी आंकड़ों के मुकाबले लगभग दो गुनी है।लोग जागरूकता और सतर्कता के अभाव में ब्रांड को लेकर धोखा खा जाते हैं।

मनीष तिवारी, नई दिल्ली। देश की डिजिटल इकोनमी के लिए गंभीर खतरा बन चुकी साइबर धोखाधड़ी के कारण इस साल 20 हजार करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। आम लोगों पर तो इसका खतरा है ही, बैंकों और वित्तीय संस्थानों के लिए भी जोखिम कम नहीं है। यह राशि पिछले साल के सरकारी आंकड़ों के मुकाबले लगभग दो गुनी है।

साइबर खतरों के प्रति आगाह करने वाली एआइ कंपनी क्लाउडसेक ने पिछले साल के आंकड़ों और भावी रुझानों का अध्ययन करने के बाद अनुमान लगाया है कि इस साल नौ हजार करोड़ रुपये केवल ब्रांड एब्यूज यानी नामी-गिरामी ब्रांड से मिलते-जुलते नामों के जरिये होने वाली धोखाधड़ी के भेंट चढ़ सकते हैं।

साइबर अपराध के सभी मामलों में ब्रांड एब्यूज की हिस्सेदारी एक तिहाई

रिपोर्ट में कहा गया है कि साइबर अपराध के सभी मामलों में ब्रांड एब्यूज की हिस्सेदारी एक तिहाई है। इसका सीधा मतलब है कि लोग जागरूकता और सतर्कता के अभाव में ब्रांड को लेकर धोखा खा जाते हैं। धोखाधड़ी करने वाले लोग मामली और हल्के हेर-फेर के साथ डोमेन बना लेते हैं और लोग उनके जाल में फंस जाते हैं, क्योंकि उन्हें बड़े ब्रांड पर भरोसा होता है। बड़ी धनराशि वाली धोखाधड़ी में 70 प्रतिशत का संबंध इसी ब्रांड एब्यूज से है।

2025 में साइबर क्राइम की शिकायतें 25 लाख से अधिक

क्लाउडसेक के शोधकर्ता पवन कार्तिक एम. का कहना है कि यह पूरे देश के लिए आंखें खोल देने वाला खतरा है। इसके प्रति सभी को सतर्क हो जाना चाहिए। रिपोर्ट के अनुसार 2025 में साइबर क्राइम की शिकायतें 25 लाख से अधिक हो सकती हैँ। इनमें से पांच लाख खास तौर पर ब्रांड के नाम पर होने वाली धोखाधड़ी से संबंधित होंगी। फ्राड करने वाली वेबसाइटें, फिशिंग का बढ़ता दायरा और संदिग्ध एप्लीकेशनों के कारण खतरा हर दिन गहराता जा रहा है।

17 लाख शिकायतें दर्ज होने का आंकड़ा

क्लाउडसेक ने यह निष्कर्ष इंडियन साइबर क्राइम कोआर्डिनेशन सेंटर (आइ4सी) के पिछले साल के डाटा के साथ ही 200 से अधिक कंपनियों और पांच हजार से अधिक डोमेन तथा लगभग 16 हजार ब्रांड एब्यूज के मामलों का विश्लेषण करने के बाद निकाला है। आइ4सी ने अधिकृत रूप से 2024 में 11,333 करोड़ रुपये की साइबर धोखाधड़ी और 17 लाख शिकायतें दर्ज होने का आंकड़ा दिया था।

5800 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है

क्लाउडसेक ने बैंकिंग और फाइनेंसियल सर्विसेज पर साइबर धोखाधड़ी की सबसे अधिक (8200 करोड़) मार पड़ने की आशंका व्यक्त की है। इसके बाद रिटेल और ई-कॉमर्स का नंबर आता है। इन्हें 5800 करोड़ रुपये का नुकसान हो सकता है। इसी तरह सरकारी सेवाओं के नाम पर की जाने वाली धोखाधड़ी 3400 करोड़ रुपये तक पहुंच सकती है। फ्रॉड वाले डोमेनों में पिछले साल के मुकाबले 65 प्रतिशत और ऐसे एप में 83 प्रतिशत की वृद्धि होने की आशंका है।

सतर्कता ही समाधान

साइबर फ्राड को रोकने के लिए केंद्रीय इलेक्ट्रानिक्स और सूचना तकनीक मंत्रालय ने आइ4सी के नोडल अफसरों को फर्जी और संदिग्ध डोमेनों को हटाने की शक्ति दी है। कार्रवाई में देरी को भी घटाने की कोशिश हो रही है। बैंकों और वित्तीय सेवाओं को अपने डोमेन दुरुस्त करने के साथ ही खुद भी निगरानी करने के लिए कहा गया है। लेकिन इस सबके साथ ही सबसे अधिक सतर्कता खुद लोगों को दिखानी होगी।

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