इमेज कैप्शन, सोमवार को ईरान में स्टूडेंट्स को संबोधित करने के दौरान ईरान के सर्वोच्च नेता ख़ामेनेई
ईरान के सर्वोच्च नेता आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई का कहना है कि ईरान और अमेरिका के बीच ‘मूलभूत असंगतियां और हितों का टकराव’ है लेकिन अगर कुछ शर्तें पूरी की जाएं तो दोनों देशों के बीच ‘सहयोग’ मुमकिन है.
ईरान की राजधानी तेहरान में अमेरिकी दूतावास पर कब्ज़े की वर्षगांठ पर स्टूडेंट्स को संबोधित करते हुए ख़ामेनेई ने यह टिप्पणी दी.
उन्होंने कहा, “अगर अमेरिका ज़ायनिस्ट शासन (इसराइल) का समर्थन पूरी तरह छोड़ दे, इस क्षेत्र से अपने सैन्य ठिकाने हटा ले और यहां के मामलों में दखल देना बंद कर दे तो इसपर (सहयोग) विचार किया जा सकता है.”
ख़ामेनेई की यह टिप्पणी ऐसे समय आई है, जब अमेरिका में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन लगातार ईरान पर दबाव बढ़ाने को लेकर ज़ोर दे रहा है.
ख़ामेनेई ने इस बात पर ज़ोर दिया कि ‘ईरान के साथ सहयोग के लिए अमेरिकियों के अनुरोध पर हाल-फ़िलहाल में नहीं बल्कि बाद में विचार किया जाएगा.’
ट्रंप के दावे के बाद आया ख़ामेनेई का बयान
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इमेज कैप्शन, सितंबर में ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान (बाएं) संयुक्त राष्ट्र महासभा को संबोधित करने पहुंचे थे
ख़ामेनेई के भाषण से कुछ घंटे पहले, अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने एक इंटरव्यू में यह दावा किया था कि ईरान अमेरिका के साथ समझौता करने की कोशिश कर रहा है.
ट्रंप ने अमेरिकी नेटवर्क और बीबीसी के सहयोगी सीबीएस को दिए साक्षात्कार में कहा, “बेशक वे ऐसा नहीं कहते हैं और उन्हें ऐसा कहना भी नहीं चाहिए. कोई भी अच्छा वार्ताकार ऐसा नहीं कहेगा. लेकिन ईरान समझौता करने की पूरी कोशिश कर रहा है.”
हालांकि, बीबीसी फारसी सेवा के अनुसार ईरान के मंत्री और विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने हाल के दिनों में अमेरिका के साथ ऐसे किसी भी तरह के संदेश के आदान-प्रदान से इनकार किया है, जिससे अमेरिका के साथ वार्ता शुरू हो सके.
इससे पहले कई अमेरिकी अधिकारी भी ईरान के साथ सहयोग में दिलचस्पी ज़ाहिर कर चुके हैं.
चार नवंबर 1979 को तेहरान में अमेरिकी दूतावास पर कब्ज़े की वर्षगांठ पर छात्रों को संबोधित करते हुए ख़ामेनेई ने कहा कि जो लोग यह दावा करते हैं कि ‘अमेरिका मुर्दाबाद’ के नारे की वजह से अमेरिका ईरानी लोगों के प्रति दुश्मनी रखता है, उनके ऐसे बयान दरअसल इतिहास को तोड़ने-मरोड़ने वाले हैं.
उन्होंने कहा, “यह नारा वह वजह नहीं है, जिसकी वजह से अमेरिका हमारे मुल्क का विरोध करता है. अमेरिका और ईरान के बीच मूलभूत असंगतियां है और हितों का टकराव है.”
उन्होंने कहा, “अमेरिका का अहंकारी स्वभाव आत्मसमर्पण के अलावा कुछ भी स्वीकार नहीं करता. यही सभी अमेरिकी राष्ट्रपति चाहते थे, लेकिन उन्होंने कहा नहीं. मगर मौजूदा राष्ट्रपति ने यह कहा और वास्तव में अमेरिका के काम करने के अंदरूनी तौर-तरीकों को उजागर कर दिया.”
ईरान के सर्वोच्च नेता ने कहा कि यह विचार निरर्थक है कि ईरान को आत्मसमर्पण कर देना चाहिए.
उन्होंने कहा, “जहां तक दूर भविष्य की बात है तो कोई नहीं कह सकता कि तब क्या होगा लेकिन मौजूदा समय में सभी को समझ लेना चाहिए हमारी कई समस्याओं का समाधान मज़बूत बनने में है.”
ख़ामेनेई ने अपने भाषण में ईरान और अमेरिका के बीच वार्ता का सीधा कोई उल्लेख नहीं किया लेकिन उन्होंने कहा कि उनके विचार में अमेरिका और ईरान के बीच कोई सामरिक या किसी एक मामले पर विचारों का अंतर नहीं है बल्कि ये फर्क तो इनके रिश्तों में अंतर्निहित है.
ईरान और अमेरिका की वार्ता
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इमेज कैप्शन, अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप यह कह चुके हैं कि ईरान अमेरिका के साथ समझौता करने की कोशिश कर रहा है
अमेरिका और ईरान के बीच मध्यस्थता कर रहे ओमान और क़तर ने एक बार फिर से दोनों देशों से बातचीत की मेज़ पर लौटने को कहा है.
क़तरी नेटवर्क अल जज़ीरा को दिए एक इंटरव्यू में ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अरागची ने कहा कि ईरान को बातचीत करने की कोई जल्दी नहीं है. उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि उनके डिप्टी मंत्री ‘माजिद तख्त-रवांची की ओमान की हालिया यात्रा का अमेरिका से कोई संबंध नहीं है और इस बारे में संदेशों का कोई आदान-प्रदान नहीं हुआ है.’
बीते महीने ही ट्रंप ने यह कहा था कि अमेरिका ईरान के साथ तभी समझौता करने को तैयार है, जब ईरान भी ऐसा करने को राज़ी होगा. उन्होंने कहा, “दोस्ती और सहयोग का हाथ हमेशा आगे बढ़ा हुआ है.”
अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु ठिकानों को लेकर पांच राउंड बैठक हो चुकी है. लेकिन छठी बार वार्ता होने से दो दिन पहले इस साल जून में पहले इसराइल और फिर अमेरिका ने ईरान पर हमला कर दिया था.
इन वार्ताओं में मौजूद रहे ईरान के उप-विदेश मंत्री माजिद तख्त रवांची ने पिछले हफ्ते कहा था कि ट्रंप ने ख़ामेनेई को एक चिट्ठी में ये कहा कि वार्ता के 60 दिनों के अंदर या तो हम किसी समझौते पर पहुंचेंगे या फिर युद्ध होगा.
अमेरिका का कहना है कि ईरान को यूरेनियम संवर्धन जारी नहीं रखना चाहिए. मगर ईरान ने ये घोषणा की है कि उसका परमाणु कार्यक्रम शांतिपूर्ण है और वह यूरेनियम संवर्धन बंद नहीं करेगा.
वहीं, सीबीएस को दिए इंटरव्यू में ट्रप ने कहा कि उन्हें ये विश्वास है कि अमेरिकी हवाई हमलों के बाद ईरान के पास परमाणु क्षमता नहीं है.
अमेरिकी हमलों से हुए नुक़सान के बारे में ईरानी विदेश मंत्री ने कहा, “नुकसान बहुत ज़्यादा है. इमारतें नष्ट हो गईं. हमारे उपकरण और मशीनें नष्ट हो गईं. लेकिन तकनीक नष्ट नहीं हुई. तकनीक को बमों से नष्ट नहीं किया जा सकता है.”
ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेश्कियान ने हाल ही में ईरान के परमाणु ऊर्जा संयंत्र के दौरे पर कहा था कि ‘सरकार परमाणु क्षमताओं के सुदृढ़ीकरण का पूरी ताकत से समर्थन करती है.’
उन्होंने इस बात पर ज़ोर दिया कि जिन न्यूक्लियर फ़ैसिलिटीज़ पर हमला किया गया, उन्हें दोबारा बनाना संभव है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित