इमेज कैप्शन, हुसैन सलामी इसराइल और अमेरिका के कट्टर आलोचक थे….में
ईरान के इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गॉर्ड्स कोर (आईआरजीसी) के कमांडर हुसैन सलामी की शुक्रवार को इसराइली हमले में मौत हो गई. इन हमलों में मारे गए वह सबसे वरिष्ठ ईरानी अधिकारी हैं.
65 साल के सलामी को इसराइल और अमेरिका समेत ईरान के विरोधियों के ख़िलाफ़ सबसे हार्ड लाइन अपनाने के लिए जाना जाता है. पिछले महीने ही उन्होंने चेतावनी दी थी कि अगर किसी देश ने हमले की ज़ुर्रत की तो उनके लिए तेहरान ‘नरक के दरवाज़े’ खोल देगा.
इसराइल ने ईरान के परमाणु केंद्रों, बैलिस्टिक मिसाइल फ़ैक्ट्रियों और मिलिटरी कमांडरों को निशाना बनाया. वहीं अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने इन हमलों के बाद कहा कि ईरान ने उसके साथ जारी परमाणु वार्ता की शर्तों पर अमल नहीं किया. ट्रंप ने कहा था कि उन्होंने ईरान को ‘मौके पर मौके दिए’ और अब उसे परमाणु कार्यक्रम पर ‘समझौता करना चाहिए.’
ईरान ने चेतावनी दी है कि इसराइल और अमेरिका को इन हमलों के लिए ‘भारी क़ीमत’ चुकानी पड़ेगी. इससे यह चिंता बढ़ गई है कि पहले से ही नाज़ुक हालात में चल रहे पश्चिम एशिया में कहीं व्यापक युद्ध न छिड़ जाए.
इसराइली हमले में ईरान के सशस्त्र बलों के चीफ़ ऑफ़ स्टाफ़ मोहम्मद बघेरी, ख़तम-अल अनहिया सेंट्रल हेडक्वॉर्टर्स के कमांडर घोलामली राशिद, परमाणु वैज्ञानिक और ईरान के एटॉमिक एनर्जी ऑर्गनाइज़ेशन के पूर्व प्रमुख फेरेदून अब्बासी, ईरान के परमाणु हथियार कार्यक्रम में शामिल परमाणु वैज्ञानिक मोहम्मद मेहदी तेहरांची समेत कई शीर्ष अधिकारियों की मौत हुई है.
इन हमलों से एक दिन पहले ही सलामी ने कहा था कि ‘ईरान किसी भी परिदृश्य, हालात और परिस्थितियों के लिए’ पूरी तरह तैयार है.
उन्होंने कहा, “दुश्मन सोचता है कि वह ईरान के साथ उसी तरह लड़ सकता है जिस तरह असुरक्षित फ़लस्तीनियों के ख़िलाफ़ लड़ा, जोकि इसराइली नाकाबंदी में रहने को मजबूर हैं तो उन्हें पता होना चाहिए कि हमें जंग का अनुभव है.”
हुसैन सलामी कैसे बने आईआरजीसी के शीर्ष कमांडर
वीडियो कैप्शन, इसराइल ने ईरान के परमाणु ठिकानों को बनाया निशाना, तेहरान में कई धमाके
हुसैन सलामी ने सबसे पहले 1980 में ईरान इराक़ जंग के दौरान रिवोल्यूशनरी गॉर्ड्स को ज्वाइन किया था, जोकि ईरानी सशस्त्र बलों की एक सशक्त शाखा है. इसके बाद 2009 में वह इसके डिप्टी कमांडर और फिर एक दशक बाद कमांडर बने.
सन् 2000 के दशक से ही संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद और अमेरिका ने ईरान के परमाणु और सैन्य कार्यक्रमों की वजह से उन पर प्रतिबंध लगाया हुआ था.
सलामी ईरान की सैन्य क्षमताओं के बारे में बड़े बड़े दावे करते थे और एक समय तो उन्होंने यहां तक एलान कर दिया कि उनका देश ‘दुनिया की महाशक्ति बनने की राह’ पर है.
उन्होंने कहा था कि ईरान का अगर इसराइल और अमेरिका से सैन्य संघर्ष होता है तो वो इसका ‘स्वागत करेंगे.’
2019 में सीरिया में ईरानी ठिकानों को निशाना बनाकर किए गए इसराइली हमले के बाद सलामी ने ‘जॉयनिस्ट (यहूदीवादी) सरकार को राजनीतिक नक्शे से मिटाने’ की क़सम खाई थी.
सीरिया में ईरानी दूतावास पर पिछले साल अप्रैल में हुए एक अन्य हमले के बाद सलामी ने इसी तरह की चेतावनी जारी करते हुए कहा था, “हमारे बहादुर आदमी जॉयनिस्ट सरकार को सज़ा देंगे.” उस हमले में रिवोल्यूशनरी गॉर्ड्स के दो जनरल मारे गए थे.
ईरान और इसराइल, ईरान में 1979 के इस्लामी रिवोल्यूशन से पहले सहयोगी हुआ करते थे.
इस रिवोल्यूशन के बाद ईरान में एक ऐसी सत्ता आई जो अपनी विचारधारा के तौर पर इसराइल का विरोध करती थी.
आज की तारीख़ में ईरानी सरकार ‘इसराइल के अस्तित्व के अधिकार’ को मान्यता नहीं देती है.
देश के सुप्रीम लीडर आयातुल्लाह अली ख़ामेनेई ने इसराइल को ‘कैंसर वाला ट्यूमर’ क़रार दिया था जिसे बिना शक ‘उखाड़ फेंक दिया जाएगा और नष्ट कर दिया जाएगा.’
इसराइल का कहना है कि, ‘ऐसी बयानबाज़ी इसराइल के वजूद के लिए ख़तरा है.’
इसराइल और इसके सहयोगियों ने भी इस क्षेत्र में ईरान द्वारा प्रॉक्सी ग्रुप बनाए जाने की निंदा की थी. इन बलों में लेबनान का शिया चरमपंथी ग्रुप हिज़्बुल्लाह भी शामिल है जो हर हाल में ‘इसराइल का विनाश’ चाहता है.
सलामी और रिवोल्यूशनरी गॉर्ड्स के अन्य वरिष्ठ अधिकारी ईरान के सुप्रीम लीडर को सलाह देते रहे हैं.
ईरान के रिवोल्यूशनरी गॉर्ड्स कौन हैं?
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इमेज कैप्शन, आयातुल्लाह अली ख़ामेनेई (फाइल फोटो)
ईरान के सर्वोच्च धर्मगुरु ने 40 साल पहले इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गॉर्ड्स की स्थापना की थी ताकि देश के इस्लामिक सिस्टम की रक्षा की जा सके और नियमित सुरक्षा बलों के ख़िलाफ़ एक संतुलन बना रह सके, जिन पर उन्हें भरोसा नहीं था.
रिवोल्यूशनरी गॉर्ड्स में एक लाख 90 हज़ार से अधिक जवान हैं और इसकी अपनी थल, नेवी और वायु सेना है.
आईआरजीसी देश का सबसे ताक़तवर और सबसे ख़तरनाक सैन्य और राजनीतिक ग्रुप है.
ईरान की सेना देश के भूभाग की रक्षा करती है, जबकी रिवोल्यूशनरी गॉर्ड्स इस्लामिक सरकार की सुरक्षा के लिए हैं.
यह ग्रुप सीधे सुप्रीम लीडर को रिपोर्ट करता है.
इस ग्रुप के पास ईरान के रणनीतिक हथियारों और अर्द्धसैन्य बल बासिज रजिस्टेंस फ़ोर्स को संभालने की ज़िम्मेदारी है. बासिज रजिस्टेंस फ़ोर्स को घरेलू असंतोष को दबाने के लिए इस्तेमाल किया जाता रहा है.
ऐसा भी माना जाता है कि रिवोल्यूशनरी गॉर्ड्स अन्य संस्थाओं और ट्रस्टों के माध्यम से ईरान की एक तिहाई अर्थव्यवस्था को नियंत्रित करते हैं.
कंस्ट्रक्शन और इंजीनियरिंग ठेके के माध्यम से इस ग्रुप के पास अरबों डॉलर हैं.
यह ग्रुप पश्चिम एशिया में कई जगहों पर सहयोगी सरकारों को धन, हथियार, टेक्नोलॉजी, ट्रेनिंग और सलाह देकर अपना प्रभाव जमाता है.
कुछ रिवोल्यूशनरी गॉर्ड्स तो सबसे विशिष्ट माने जाते हैं जो छुपे तौर पर विदेशों में काम करने वाली शाखा क़ुद्स फ़ोर्स को चलाते हैं, जिसका संबंध इस क्षेत्र के हथियारबंद ग्रुपों से है, जैसे अफ़ग़ानिस्तान, इराक़, लेबनान, फ़लस्तीनी क्षेत्र और यमन में.
रिवोल्यूशनरी गॉर्ड्स के पूर्व अधिकारी सरकार, संसद और अन्य राजनीतिक संगठनों में बड़े प्रभावशाली पदों पर हैं.
इनमें पूर्व राष्ट्रपति महमूद अहमदीनेजाद और पूर्व संसदीय स्पीकर अली लारिजानी का नाम शामिल है.
(कोह ईव और राफ़ी बर्ग की अतिरिक्त रिपोर्टिंग)
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित