इमेज कैप्शन, फ़ांसी पर चढ़ाए गए लोगों के नाम, पहचान और मुक़दमे व फांसी के समय की घोषणा नहीं की गई है. (सांकेतिक तस्वीर)
ईरान की न्यायपालिका का कहना है कि उसने ‘नौ आईएसआईएस सदस्यों को फांसी दे दी है.’
फ़ांसी पर चढ़ाए गए लोगों के नाम, पहचान और मुक़दमे व फांसी के समय की घोषणा नहीं की गई है.
ईरानी न्यायपालिका से जुड़ी ख़बरें देने वाली एजेंसी मिज़ान ने कहा है कि इन दोषियों को फ़रवरी 2017 में पश्चिमी ईरान में इस्लामिक रिवॉल्यूशनरी गार्ड कोर (आईआरजीसी) के साथ झड़प में गिरफ़्तार किया गया था.
आईआरजीसी ने उस समय कहा था कि उस झड़प में उसके तीन अधिकारी मारे गये थे.
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क्या है पूरा मामला?
रिपोर्ट के अनुसार, जिन लोगों को फांसी की सज़ा दी गई उन पर ‘सशस्त्र विद्रोह के ज़रिए युद्ध अपराध करने और युद्ध के हथियार रखने’ का आरोप लगाया गया था.
ईरान में विद्रोह को ईरानी आपराधिक क़ानून में शामिल किया जा चुका है. इसका मतलब है, आक्रामक और व्यक्तिगत अधिकारों का उल्लंघन और इस्लामी शासन के ख़िलाफ़ विद्रोह.
मिज़ान समाचार एजेंसी का कहना है कि दोषी ठहराए गए लोगों पर “हथियार रखने, आईआरजीसी अधिकारियों के साथ झड़प करने और उनमें से तीन की हत्या करने के मामले में दस्तावेज़ों, बयानों और प्रतिवादियों के बयानों के आधार पर मुक़दमा चलाया गया और मौत की सजा सुनाई गई.”
मिज़ान के अनुसार, इन व्यक्तियों के मामलों की सुनवाई तेहरान रिवॉल्यूशनरी कोर्ट ने की है.
तेहरान रिवॉल्यूशनरी कोर्ट ईरान की एक विशेष अदालत है, जिसकी स्थापना 1979 की क्रांति के बाद हुई थी. यह अदालत राष्ट्रीय और अंतर्राष्ट्रीय सुरक्षा से संबंधित मामलों, ख़ासकर उन मामलों पर फै़सला सुनाती है जो क्रांति के बाद ईरान के राजनीतिक और सामाजिक ढांचे को चुनौती देते हैं.
इस्लामी गणतंत्र ईरान ने पहले भी आईएसआईएस के सदस्य माने जाने वाले अन्य लोगों को फांसी की सज़ा सुनाई है. इनमें 2018 में फांसी पर चढ़ाए गए आठ लोग भी शामिल हैं, जिन्हें न्यायिक अधिकारियों ने आईएसआईएस का सदस्य बताया था और ईरानी संसद भवन और अयातुल्लाह ख़ुमैनी की समाधि पर हमले के मामले में दोषी ठहराया था.
2014 में भी शीराज़ (ईरान का एक शहर) में दो लोगों को फांसी दे दी गई थी, जब ईरान ने उन्हें आईएसआईएस का सदस्य घोषित किया था और शाह चिराग़ दरगाह पर हमले के लिए जिम्मेदार बताया था.
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इमेज कैप्शन, लंदन में ईरान के ख़िलाफ़ प्रदर्शन की तस्वीर (फ़ाइल फ़ोटो)
चोरी के आरोप में हाथ काटे गए
इस्फ़हान प्रांत के न्यायिक अधिकारियों ने आज बताया कि प्रांत में चोरी के आरोप में दो संदिग्धों के हाथ काट दिए गए हैं.
ईरान का इस्फ़हान शहर अपने महलों, टाइलों वाली मस्जिदों और मीनारों के लिए प्रसिद्ध है. यह सैन्य उद्योग का भी एक प्रमुख केंद्र है.
इस्फ़हान प्रांत के मुख्य न्यायाधीश असदुल्ला जाफ़री ने कहा कि जिन दो लोगों के हाथ अदालत के आदेश से काटे गए थे, “उन पर चोरी में शामिल होने के कई मामले दर्ज थे.”
जाफ़री के अनुसार इन दोनों दोषियों का मामला सुप्रीम कोर्ट से मंज़ूरी मिलने के बाद आगे बढ़ाया गया.
मानवाधिकार कार्यकर्ता शरीर के अंग काटने की सज़ा को “बर्बरतापूर्ण और मानवीय गरिमा के ख़िलाफ़” बताते हैं. मानवाधिकार संगठन ईरान में अंग काटने वाली सज़ा की लगातार आलोचना करते हैं.
अंग काटने की कुछ और घटनाएं
इस्लामी गणतंत्र ईरान ने अनेक मौक़ों पर सार्वजनिक रूप से हाथ काटने की घटनाओं को अंजाम दिया है, जिनमें 2012 में शीराज़ में सार्वजनिक रूप से एक व्यक्ति का हाथ काटना भी शामिल है.
पिछले साल हेलीकॉप्टर दुर्घटना में मारे गए इब्राहिम रईसी ने ईरान के प्रथम उप न्यायपालिका प्रमुख रहते हुए अंग काटने की सज़ा का बचाव करते हुए कहा था, “हाथ काटना हमारे महान सम्मानों में से एक है.”
संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निकायों ने पहले भी ईरान से अपने आपराधिक क़ानूनों की समीक्षा करने और शरीर के अंग काटने जैसी सज़ाओं को ख़त्म करने का आह्वान किया था.
हाथ काटने की सज़ा ईरान में हुदूद सज़ा का एक प्रकार है और इस्लामी दंड संहिता (ईरान का आपराधिक क़ानून) इसे जारी करने के लिए 10 से अधिक शर्तों का ज़िक्र करती है.
हुदूद सज़ा का मतलब उन सज़ाओं से है जिनका विवरण इस्लामी क़ानून में मिलता है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित