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13 जून से इसराइल ने ईरान के सैन्य बुनियादी ढांचे को व्यापक नुकसान पहुंचाना शुरू कर दिया था. जवाब में ईरानी मिसाइलों ने इसराइल की रक्षा प्रणाली में सेंध लगाई और फिर अमेरिका ने ईरान के न्यूक्लियर ठिकानों पर बम गिराए.
इसके बाद सोमवार की सुबह से 24 घंटे में घटनाक्रम तेज़ी से बदला.
इस दौरान एक अमेरिकी एयर बेस पर हमला हुआ, व्हाइट हाउस ने ईरान और इसराइल के बीच मध्यस्थता की और युद्धविराम समझौता हुआ.
लेकिन एक समय ऐसा भी आया जब लगने लगा कि बात बनेगी नहीं.
आइए इन उथल-पुथल से भरे 24 घंटों पर एक नज़र डालते हैं –
क़तर में अमेरिकी नागरिकों को हिदायत
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23 जून, 07:00 बजे (वॉशिंगटन समयानुसार)
मध्य पूर्व में तनाव फैलने के पहले संकेत क़तर में अमेरिकी नागरिकों के लिए जारी एक संदेश से मिले. अमेरिका की ओर से अपने नागरिकों को कहा गया कि “सुरक्षित स्थान पर रहें.”
ब्रिटेन ने भी इसी तरह की सलाह दी. इस बात का पहले से अंदेशा लगाया जा रहा था कि ईरान क़तर में अमेरिकी एयर बेस पर हमला कर सकता है.
ईरान ने अपने तीन परमाणु केंद्रों पर अमेरिकी हमलों का जवाब देने की पहले ही घोषणा कर दी थी.
बताया जाता है कि ईरान के सुप्रीम लीडर आयतुल्लाह अली ख़ामेनेई इसराइली हमले शुरू होने के बाद से ही किसी बंकर में चले गए हैं और वहीं से ख़ामेनई से अमेरिकी के ख़िलाफ़ जवाबी कार्रवाई के आदेश दिए थे.
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‘गंभीर ख़तरा’
23 जून, 12:00 बजे (वॉशिंगटन समयानुसार)
हमले की आशंका के चलते क़तर ने अपना हवाई क्षेत्र बंद कर दिया.
दोहा के एयर ट्रैफ़िक कंट्रोल ने सभी यात्री विमानों को वापस भेजना शुरू कर दिया. दोहा दुनिया के व्यस्ततम हवाई अड्डों में से एक है.
इसके बाद बीबीसी को पता चला कि अल उदैद एयरबेस पर ईरानी मिसाइल हमले का ‘गंभीर ख़तरा’ है. अमेरिकी अधिकारियों ने नाम न बताने की शर्त पर कहा कि मिसाइल लॉन्चर क़तर की दिशा में आते हुए देखे गए हैं.
इसके बाद अमेरिकी रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ और एक सीनियर जनरल व्हाइट हाउस के लिए रवाना हो गए.
इसके कुछ घंटे बाद ही दोहा में धमाके सुनाई देने लगे. शहर के आसमान में मिसाइलें दिखने लगीं.
‘ताक़त नहीं बल्कि कमज़ोरी’
23 जून 13:00 बजे (वॉशिंगटन समयानुसार)
ईरान की सरकारी मीडिया ने इस जवाबी हमले के बारे में ख़बरें चलाना शुरू कर दिया. इसके बाद, ईरानी रिवोल्यूशनरी गार्ड्स कोर (आईआरजीसी) ने भी हमलों की पुष्टि की.
आईआरजीसी ने कहा, “इस क्षेत्र में अमेरिकी ठिकाने उनकी ताक़त नहीं बल्कि कमज़ोरी हैं.”
हमलों पर प्रतिक्रिया अमेरिका से पहले क़तर की ओर से आई. क़तर ने अपनी संप्रभुता के उल्लंघन को ‘आक्रामकता’ करार दिया.
क़तर ने कहा कि उसने ईरान की ओर से आ रही मिसाइलों को रोक दिया है और उसके यहां जान-माल की हानि नहीं हुई है.
ठीक इसी समय, ख़ामेनेई के एक्स अकाउंट पर एक भड़काऊ चित्र भी दिखाई दिया, जिसमें मिसाइलों से एक अमेरिकी सैन्य अड्डे पर हमले का दृश्य दिखाया गया था, और एक फटा अमेरिकी झंडा जल रहा था.
लेकिन, उन्होंने लिखा: “हमने किसी को नुक़सान नहीं पहुँचाया.”
इसके बाद यह लगता था कि अमेरिका और क़तर को ईरानी हमले की पूर्व सूचना थी.
विश्लेषकों के अनुसार, ऐसा जानबूझकर किया गया था ताकि ईरान अपने राष्ट्र के सामने यह कह सके कि उसने अमेरिकी को जवाब दिया, लेकिन बिना ऐसा नुक़सान पहुँचाए जिससे सीधा युद्ध हो जाए.
यह शांति की ओर एक संकेत था- और विश्व इंतजार कर रहा था कि अमेरिकी राष्ट्रपति सोशल मीडिया पर क्या कहेंगे.
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‘शांति का समय’
23 जून, 16:00 (वॉशिंगटन समयानुसार)
“कमज़ोर. अपेक्षित. प्रभावी ढंग से रोका गया.”
डोनाल्ड ट्रंप ने इन्हीं शब्दों में ईरानी हमले का वर्णन किया लेकिन इसके आगे उनका अंदाज़ नरम था.
राष्ट्रपति ट्रंप ने ईरान का शुक्रिया अदा किया और कहा कि ‘हमें (हमले की) पहले सूचना मिल गई.’
उन्होंने आगे कहा, “शायद अब ईरान शांति और सद्भाव की तरफ बढ़े, और मैं इसराइल को भी इसी के लिए प्रोत्साहित करूंगा.”
दो घंटे पहले, ईरान ने अमेरिकी वायु अड्डे पर हमला किया था. दो दिन पहले ट्रंप ने ईरान पर अभूतपूर्व हमले का आदेश दिया था.
अब ट्रंप ईरान और इसराइल के नेताओं को शांति का पाठ पढ़ा रहे थे.
अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में उन्होंने लिखा: “बधाई हो, अब समय है शांति का!”
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’12 दिन का युद्ध’
23 जून, 18:00 (वॉशिंगटन समयानुसार)
अब यह बात सामने आई है कि पर्दे के पीछे अमेरिका, ईरान, इसराइल और क़तर के बीच वार्ताएं चल रही थीं.
डोनाल्ड ट्रंप ने सीधे इसराइली प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू से बात की. कॉल निजी थी लेकिन संदेश स्पष्ट था – युद्ध अब बंद करना चाहिए.
इसी समय, अमेरिकी उप राष्ट्रपति जेडी वेंस और अमेरिका के मध्य-पूर्व के लिए विशेष वार्ताकार स्टीव विटकॉफ़ ईरानी प्रतिनिधियों से सीधे और कूटनीतिक माध्यमों से संपर्क कर रहे थे.
अमेरिका की कोशिश थी कि वही हो जिसे ट्रंप सबसे अहम मानते हैं – युद्धविराम.
रिपोर्टें आईं कि समझौता लगभग तैयार है लेकिन कुछ अलग बयान भी सामने आ रहे थे. फिर भी, धीरे-धीरे उम्मीद जगनी शुरू हुई.
फिर, सुबह 11:00 बजे (ब्रिटेन के समयानुसार) के तुरंत बाद, राष्ट्रपति ने सोशल मीडिया पर लिखा: “सभी को बधाई.”
उन्होंने लिखा कि ‘ईरान और इसराइल एक पूर्ण युद्धविराम के लिए मान गए हैं’ और यह छह घंटे बाद लागू होगा. उन्होंने इसे 12 दिन का युद्ध कहा.
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‘आख़िरी मिसाइलें’
23 जून, 22:00 (वॉशिंगटन समयानुसार)
इसराइल में सायरन बजने लगे और लोग छिपने को मजबूर हुए. इसराइल रक्षा बलों ने अलर्ट जारी किया कि ईरानी मिसाइलें आ रही हैं.
एक घंटे के अंदर, इसराइल ने कहा कि ईरान ने तीन दौर में मिसाइलें छोड़ीं. सुबह तक और भी मिसाइलें लांच की गईं.
इसराइल में एक बहुमंज़िला आवासीय इमारत पर मिसाइल लगी. चार लोग मरे.
इसराइली प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने आरोप लगाया कि ईरान ने अपनी सबसे बड़ी मिसाइल से हमला किया है.
इसी समय, ईरानी मीडिया ने कहा कि इसराइल ने उत्तरी शहर अस्तोने-ये अशरफीयेह पर भारी हमले किए, जिसमें नौ लोग मारे गए. मरने वालों में मोहम्मद रेज़ा सिद्दिक़ी साबरी नाम के न्यूक्लियर साइंटिस्ट भी थे.
ईरान के इस इलाक़े के उप-गवर्नर ने कहा कि चार अपार्टमेंट ‘पूरी तरह नष्ट’ हो गए और आसपास के कई घर ध्वस्त हो गए. तस्वीरों में मलबा सड़क पर फैला था.
ईरान ने इसराइल पर आखिरी दौर का मिसाइल हमला करने का आरोप लगाया ताकि युद्धविराम की समय सीमा से पहले कार्रवाई हो जाए.
इसराइली सेना ने बाद में रातभर हमले की पुष्टि की, वहीं इराक़ सरकार ने दावा किया कि उसके क्षेत्र में ड्रोन हमले किए गए. लेकिन ये स्पष्ट है कि लड़ाई आख़िरी तक जारी रही.
‘अब युद्धविराम शुरू हुआ’
24 जून, 01:00 (वॉशिंगटन समयानुसार)
ट्रंप ने सोशल मीडिया पर लिखा: “युद्धविराम अब लागू हो गया है. कृपया इसका उल्लंघन न करें!”
थोड़ी देर बाद, इसराइल ने युद्धविराम स्वीकार कर लिया.
एक बयान में कहा गया कि इसराइल ने ईरान की परमाणु और बैलिस्टिक मिसाइल क्षमताओं को नष्ट कर दिया है.
ईरान के विदेश मंत्री सैयद अब्बास अराग़ची ने पहले ही संकेत दिया था कि ईरान ट्रंप के प्रस्तावित युद्धविराम के लिए तैयार है. उन्होंने कहा कि अगर इसराइल अपने हमले सुबह 04:00 बजे से पहले बंद कर दे, ‘तो हम और जवाबी कार्रवाई नहीं करेंगे.’
लेकिन ज़्यादा देर नहीं हुई कि वह युद्धविराम संकट में भी आ गया.
इसराइली सेना ने कहा कि ईरान से मिसाइल लॉन्च की गई हैं और उसने अपना एयर डिफ़ेंस सिस्टम एक्टिव कर दिया है. ईरान ने इसका खंडन किया लेकिन इसराइली रक्ष मंत्री ने कहा कि उन्होंने ईरान की राजधानी तेहरान पर हमला करने के आदेश दे दिए हैं.
ऐसा लगा कि ट्रंप की डील ख़तरे में है.
जब इसराइली लड़ाकू विमान तेहरान की ओर उड़ रहे थे, ट्रंप ने ट्रुथ सोशल पर पोस्ट किया –
‘ये बम मत गिराओ. अगर आप ऐसा करते हो तो यह एक गंभीर उल्लंघन होगा. अपने पायलटों को अभी वापस बुलाओ!’
‘अब इन्हें शांत हो जाना चाहिए’
24 जून, 07:00 (वाशिंगटन डीसी)
जैसे ही वाशिंगटन डीसी में सुबह हुई, अमेरिकी राष्ट्रपति व्हाइट हाउस के लॉन में पहुंचे, जहाँ से उन्हें नेटो सम्मेलन के लिए हेलिकॉप्टर पकड़ना था.
रिपोर्टर भी कई सवालों के साथ वहीं मौजूद थे.
उन्होंने बताया कि इसराइल और ईरान दोनों ने युद्धविराम का उल्लंघन किया – पर उन्होंने दोहराया कि समझौता अब भी लागू है.
ट्रंप ने पत्रकारों को बताया, “इन लोगों को शांत होना चाहिए. एक ईरानी रॉकेट शायद समय सीमा के बाद ग़लती से छोड़ा गया और वह नहीं गिरा.”
राष्ट्रपति नाराज़ दिखे. उन्होंने कहा वे इसराइल से खुश नहीं हैं क्योंकि उसने युद्धविराम शुरू होते ही हमला किया.
उन्होंने ये भी कहा, “मैं ईरान से भी खुश नहीं हूँ,”
इसके बाद राष्ट्रपति ट्रंप को हेलिकॉप्टर मैरीलैंड स्थित एक सैन्य अड्डे ले गया, जहाँ से वे एयर फोर्स वन में हॉलैंड के लिए रवाना हुए.
हवाई जहाज़ से ही उन्होंने नेतन्याहू को कॉल किया.
व्हाइट हाउस के एक सूत्र ने सीबीएस न्यूज़ को बताया कि राष्ट्रपति इस कॉल के दौरान ‘बेहद सख्त और स्पष्ट’ थे. नेतन्याहू स्थिति की गंभीरता और राष्ट्रपति की चिंताओं को समझ गए.
राष्ट्रपति ने पत्रकारों को बताया कि उन्होंने नेतन्याहू से ईरान की ओर उड़ रहे लड़ाकू विमानों के पायलटों को वापस बुलाने को कहा है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित