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उत्तराखंड में चारधाम तीर्थयात्रियों को लेकर जा रहा एक हेलिकॉप्टर 15 जून को दुर्घटनाग्रस्त हो गया था.
इस हादसे में पायलट और एक बच्चे सहित सात लोगों की मौत हो गई थी.
राज्य सरकार ने इसके बाद चारधाम यात्रा के लिए हेलिकॉप्टर सेवा पर रोक लगा दी थी, जिसे अब दोबारा बहाल कर दिया गया है.
इस साल चारधाम यात्रा के दौरान अब तक कुल पाँच हेलिकॉप्टर हादसे सामने आ चुके हैं, जिनमें से तीन अकेले केदार घाटी में हुए हैं.
ऐसे में इस क्षेत्र में हेलिकॉप्टर सेवाओं को लेकर चिंता बढ़ती जा रही है और विपक्षी पार्टी कांग्रेस ने इस पर सरकार से कई सवाल किए हैं.
विशेषज्ञों का कहना है कि यात्रा सीजन में उड़ानों की संख्या तो बढ़ रही है लेकिन सुरक्षा उपाय अब भी पर्याप्त नहीं हैं.
ख़राब मौसम और एटीसी की कमी
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रुद्रप्रयाग के आपदा प्रबंधन अधिकारी नंदन सिंह रजवार कहते हैं कि केदारनाथ घाटी में हेलिकॉप्टर उड़ानों पर सबसे ज़्यादा असर मौसम का पड़ता है.
नंदन सिंह रजवार का कहना है, “यहाँ हर पांच मिनट में मौसम बदल सकता है. कभी भी बारिश हो सकती है या कोहरा छा सकता है. ऐसी स्थितियों में हेलिकॉप्टर उड़ाना संकट भरा होता है. ख़ासकर तब जब वह सिंगल इंजन वाला हो.”
रजवार के मुताबिक़, डबल इंजन हेलिकॉप्टर अपेक्षाकृत ज़्यादा सुरक्षित माने जाते हैं.
उन्होंने बताया कि वर्तमान में केदारघाटी में नौ हेलिकॉप्टर कंपनियां काम कर रही हैं, जो नौ अलग-अलग हेलिपैड्स से उड़ान भरती हैं. अगर मौसम साफ़ रहे तो एक हेलिकॉप्टर एक दिन में 20 से 30 शटल उड़ाता है.
सबसे गंभीर चिंता एयर ट्रैफिक कंट्रोल (एटीसी) सिस्टम की ग़ैर-मौजूदगी को लेकर है.
रजवार कहते हैं, “घाटी में कोई डेडिकेटेड एटीसी सिस्टम नहीं है. ऑपरेटरों के पास भी ऐसा कोई साधन नहीं है, जिससे वे मौसम या हवाई मार्ग की सटीक जानकारी आपस में साझा कर सकें. फ़िलहाल घाटी में निगरानी के लिए नौ सीसीटीवी कैमरे लगाए गए हैं.”
उनका कहना है कि अगर एक सुदृढ़ एटीसी प्रणाली स्थापित की जाए, तो मॉनिटरिंग ज़्यादा प्रभावी हो सकती है.
रजवार यह भी सुझाव देते हैं कि जब हेलिकॉप्टर उड़ान भर रहा हो, उस दौरान किसी अधिकृत सरकारी अधिकारी की मौक़े पर मौजूदगी अनिवार्य की जानी चाहिए.
सुरक्षा मानकों पर लंबे समय से सवाल
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वहीं, एविएशन एक्सपर्ट डॉ. राजीव धर 15 जून को केदारनाथ के पास हुए हादसे को एक गंभीर लापरवाही का नतीजा मानते हैं.
बीबीसी हिंदी से बातचीत में डॉ. धर ने कहा, “जब मौसम ख़राब था, तब इतनी सुबह उड़ान भरनी ही नहीं चाहिए थी. उस समय दृश्यता भी सीमित रही होगी. घाटियों में उड़ान को लेकर मौसम की भूमिका निर्णायक होती है और दुर्भाग्यवश, अधिकतर सिंगल इंजन हेलिकॉप्टरों में वेदर रडार जैसी ज़रूरी प्रणाली नहीं होती.”
उन्होंने बताया कि इस क्षेत्र की जटिल भौगोलिक परिस्थितियों में मौसम का सटीक पूर्वानुमान लगाना आसान नहीं है.
उन्होंने कहा, “यहाँ न तो पायलट को सामने बादल आने की स्पष्ट जानकारी मिलती है, न ही संचार टावर या मौसम पूर्वानुमान की पुख़्ता व्यवस्था है.”
डॉ. धर का मानना है कि यात्रियों की सुरक्षा को देखते हुए सरकार को डबल इंजन हेलिकॉप्टरों की तैनाती पर गंभीरता से विचार करना चाहिए.
उन्होंने इस बात पर चिंता जताई कि पिछले कुछ अरसे में चारधाम यात्रा के दौरान पांच हेलिकॉप्टर हादसे हो चुके हैं, फिर भी न यूकाडा और न ही डीजीसीए ऑपरेटरों पर प्रभावी नियंत्रण बना पाए हैं.
डॉ. धर ने कहा कि केदारनाथ मार्ग पर हेलिकॉप्टरों की उड़ानें पायलट और मशीन दोनों पर दबाव डाल रही हैं.
“एक हेलिकॉप्टर औसतन आठ से नौ घंटे तक उड़ रहा है, जो एक सीमा के बाद पायलट की थकान और हेलिकॉप्टर की तकनीकी क्षमता, दोनों के लिए ख़तरनाक हो सकता है.”
उन्होंने सुझाव दिया कि सरकार को ऑपरेटरों की संख्या बढ़ानी चाहिए और एक हेलिकॉप्टर की अधिकतम दैनिक उड़ान सीमा को 5 से 6 घंटे तक सीमित करना चाहिए.
चारधाम यात्रा के हवाई संचालन पर निगरानी बढ़ाई गई
केदारनाथ क्षेत्र में हुए हालिया हेलिकॉप्टर हादसे में सात लोगों की मौत के बाद केंद्रीय विमानन मंत्रालय ने आर्यन एविएशन की चारधाम यात्रा से जुड़ी सभी सेवाएं तत्काल प्रभाव से निलंबित कर दी हैं.
मंत्रालय ने बताया कि इसके अलावा ख़राब मौसम में उड़ान भरने के चलते ट्रांस भारत एविएशन कंपनी के दो पायलटों के लाइसेंस भी छह महीने के लिए निलंबित कर दिए गए हैं.
इन दोनों पायलटों पर आरोप है कि उन्होंने मौसम की स्थिति अनुकूल नहीं रहने के बावजूद उड़ान भरी.
मंत्रालय ने इसे गंभीर लापरवाही मानते हुए अनुशासनात्मक कार्रवाई की है.
आर्यन एविएशन का जो हेलिकॉप्टर 15 जून को दुर्घटनाग्रस्त हुआ, वह केदारनाथ से गुप्तकाशी सेक्टर के आर्यन हेलिपैड की ओर उड़ान भर रहा था.
शुरुआती जांच में इसके दुर्घटनाग्रस्त होने के पीछे की संभावित वजह “कंट्रोल्ड फ्लाइट इनटू टेरेन” बताई गई है. यानी ऐसी स्थिति जब विमान दृश्यता कम होने के बावजूद कठिन भौगोलिक इलाक़े में उड़ान भरता है.
हादसे के वक़्त घाटी के प्रवेश क्षेत्र में बहुत ज़्यादा बादल और विज़िबिलिटी ख़राब थी.
दुर्घटना की विस्तृत जांच एयरक्राफ्ट एक्सीडेंट इन्वेस्टिगेशन ब्यूरो (एएआईबी) द्वारा की जा रही है.
उत्तराखंड सरकार की समीक्षा बैठक
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15 जून को हुए हेलिकॉप्टर हादसे के बाद उत्तराखंड के मुख्यमंत्री पुष्कर सिंह धामी ने एक उच्चस्तरीय बैठक बुलाई.
इसमें राज्य सरकार के वरिष्ठ अधिकारी, नागर विमानन सचिव, डीजीसीए और अन्य संबंधित एजेंसियों के प्रतिनिधि शामिल हुए.
बैठक के बाद उत्तराखंड नागरिक उड्डयन विकास प्राधिकरण (यूकाडा) को निर्देश दिए गए कि सेवाएं फिर से शुरू करने से पहले सभी ऑपरेटरों और पायलटों की व्यापक समीक्षा की जाए.
इसके साथ ही डीजीसीए को केदारनाथ घाटी में हेलिकॉप्टर गतिविधियों पर लगातार निगरानी रखने को कहा गया है.
विमानन मंत्रालय ने स्पष्ट किया है कि सुरक्षा प्रोटोकॉल में कोई ढील नहीं दी जाएगी.
हादसे के संबंध में आर्यन हेली एविएशन के दो वरिष्ठ अधिकारियों के ख़िलाफ़ आपराधिक मामला दर्ज किया गया है.
प्राथमिक जांच में सामने आया है कि उड़ान संचालन के लिए निर्धारित डीजीसीए और यूकाडा के तय मानकों का पालन नहीं किया गया.
राजस्व उपनिरीक्षक की तहरीर पर सोनप्रयाग कोतवाली में आर्यन एविएशन के बेस मैनेजर विकास तोमर और एकाउंटेबल मैनेजर कौशिक पाठक के ख़िलाफ़ मुक़दमा दर्ज किया गया है.
एफ़आईआर में कहा गया है कि अगर दिशा-निर्देशों का पालन होता, तो यह हादसा रोका जा सकता था.
पुलिस ने दोनों अधिकारियों पर भारतीय न्याय संहिता 2023 की धारा 105, वायुयान अधिनियम 1934 की धारा 10 और आईपीसी की धारा 28/2025 के तहत मामला दर्ज किया है.
अधिकारियों के मुताबिक़, मामले की विस्तृत जांच अभी जारी है.
हेलिकॉप्टर हादसे पर विपक्ष ने उठाए सवाल
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उत्तराखंड में कांग्रेस के प्रदेश उपाध्यक्ष सूर्यकांत धस्माना ने हेलिकॉप्टर हादसे पर प्रतिक्रिया देते हुए कहा, “चारधाम यात्रा शुरू हुए अभी सवा महीना ही हुआ है और यह पांचवां हेलिकॉप्टर हादसा है. यह हेलिकॉप्टर सेवाओं के प्रबंधन, सुरक्षा व्यवस्था और सरकारी निगरानी पर सवाल खड़े करता है.”
धस्माना ने मांग की कि सरकार हेली सेवाओं पर कड़ी निगरानी रखे और इसके लिए साफ़ नियमावली लागू की जाए.
कांग्रेस की उत्तराखंड प्रवक्ता गरिमा मेहरा दसौनी ने भी सरकार की मंशा पर सवाल उठाए.
उन्होंने कहा, “सरकार सिर्फ़ यात्रियों की संख्या का रिकॉर्ड बनाना चाहती है. अगर एक दुर्घटना से सरकार ने कुछ सीखा होता तो आज ये दिन न देखना पड़ता.”
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