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- Author, दिलनवाज़ पाशा
- पदनाम, बीबीसी संवाददाता
उत्तर प्रदेश में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के काम में लगे दो कर्मचारियों की मंगलवार को हुई मौत को लेकर सवाल उठ रहे हैं. मृतकों के परिजनों ने इन घटनाओं को आत्महत्या बताया है. परिजनों का दावा है कि उन पर काम का अत्यधिक दबाव था.
एक मामला उत्तर प्रदेश के गोंडा ज़िले के प्राथमिक विद्यालय के शिक्षक विपिन यादव से जुड़ा है, जो जौनपुर ज़िले के रहने वाले थे, उनकी मंगलवार शाम को मौत हो गई. गोंडा प्रशासन ने कहा है कि विपिन की मौत की जांच की जा रही है.
वहीं उत्तर प्रदेश के ही फ़तेहपुर ज़िले में एसआईआर के काम में लगे लेखपाल सुधीर कुमार कोरी ने अपनी शादी से एक दिन पहले आत्महत्या कर ली. लेखपाल के परिजनों ने भी एसआईआर से जुड़े काम के अत्यधिक दबाव को मौत का कारण बताया है.
पुलिस ने सुधीर की मौत के मामले में आत्महत्या के लिए उकसाने का मुक़दमा दर्ज किया है. फ़तेहपुर के पुलिस अधीक्षक अनूप कुमार सिंह ने बीबीसी से इसकी पुष्टि की है.
यूपी के कई ज़िलों में एसआईआर के काम में लापरवाही और सरकारी आदेश की अवहेलना के आरोप में 70 से अधिक कर्मचारियों पर मुक़दमा दर्ज किया गया है.
गौतमबुद्ध नगर में ही 60 से अधिक कर्मचारियों पर चार अलग-अलग एफ़आईआर हुई हैं. बूथ लेवल ऑफ़िसर (बीएलओ) का काम कर रहे कई कर्मचारियों ने काम के दबाव के कारण इस्तीफ़ा देने का भी दावा किया है, हालांकि ये इस्तीफ़े स्वीकार नहीं हुए हैं.
शादी से एक दिन पहले ‘आत्महत्या’
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लेखपाल सुधीर कुमार कोरी फ़तेहपुर ज़िले की बिंदकी तहसील के खजुहा क़स्बे के रहने वाले थे.
क़रीब 38 साल के सुधीर कोरी पिछले साल ही लेखपाल बने थे. बुधवार 26 नवंबर को उनकी शादी तय थी.
सुधीर के परिजनों के मुताबिक़ उन्होंने शादी के लिए छुट्टियों का आवेदन दिया था, लेकिन उन्हें छुट्टी नहीं मिली थी.
उनकी बहन ने मीडिया को दिए बयान में कहा है, “क़ानूनगो सुबह घर आए थे, काम करने के लिए फटकार लगाई थी. शादी की वजह से वो एक दिन के लिए काम पर नहीं जा सके. एक छुट्टी लेने की वजह से उन्हें सस्पेंड करने की धमकी दी गई थी.”
फ़तेहपुर पुलिस ने सुधीर की मौत के मामले में एक क़ानूनगो के ख़िलाफ़ आत्महत्या के लिए उकसाने का मुक़दमा दर्ज किया है.
सुधीर कुमार पर काम के दबाव के दावों को लेकर बीबीसी ने ज़िलाधिकारी और अपर ज़िलाधिकारी से फ़ोन पर बात करनी चाही लेकिन ख़बर लिखे जाने तक कोई जवाब नहीं मिल सका.
सुधीर कुमार के एक पारिवारिक दोस्त ने अपना नाम न ज़ाहिर करते हुए बीबीसी को बताया, “मंगलवार सुबह साढ़े छह बजे क़ानूनगो सुधीर के घर पर आए थे और एसआईआर के काम के बारे में जवाब-तलब किया था. कानूनगो के जाने के कुछ मिनट बाद ही सुधीर ने आत्महत्या कर ली.”
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सुधीर अपने परिवार में अकेले कमाने वाले थे. उनके पिता की मौत बीस साल पहले हो गई थी.
उनके मित्र ने बताया, “सुधीर ने दसवीं और बारहवीं में टॉप किया था, लेकिन घर के हालात की वजह से वह आगे नहीं पढ़ सके थे. पिता की मौत के बाद परिवार को पालने की ज़िम्मेदारी उन पर ही थी. उन्होंने किसी तरह मेहनत मज़दूरी करके अपनी बहन की शादी कर दी थी और अब लेखपाल बनने के बाद खुद शादी करने जा रहे थे.”
सुधीर पिछले साल लेखपाल के लिए चयनित हुए थे. इससे पहले वह ठेला लगाते थे.
उनके मित्र ने बताया, “सुधीर खाने-पीने के सामान का ठेला लगाते थे और अपनी तैयारी करते थे. उन्होंने बहुत मुश्किल हालात में लेखपाल की नौकरी हासिल की. लेखपाल बनने के बाद उसे लगा था कि ज़िंदगी पटरी पर आ जाएगी. वह शादी को लेकर भी उत्साहित थे.”
बुधवार को फ़तेहपुर के ज़िलाधिकारी और पुलिस अधीक्षक सहित कई अधिकारी उनके परिवार से मिले. पोस्टमॉर्टम के बाद बुधवार शाम सुधीर का अंतिम संस्कार किया गया.
वहीं जौनपुर के विपिन यादव के परिवार ने भी प्रशासनिक अधिकारियों पर दबाव बनाने और प्रताड़ित करने के आरोप लगाए हैं.
विपिन के पिता सुरेश यादव ने बीबीसी से कहा, “मेरा बेटा काम के अत्यधिक दवाब में था. उसने फ़ोन कर कहा भी था कि बहुत दबाव है तो हमने उसे समझाया था.”
विपिन का मौत से पहले इलाज के दौरान का एक वीडियो भी आया है. ज़िला प्रशासन इसकी जांच कर रहा है.
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गोंडा के अपर ज़िलाधिकारी आलोक कुमार ने एक बयान में कहा है, “विपिन यादव बीएलओ के रूप में काम कर रहे थे. वो सुबह से ही काम पर निकले थे, उनकी तबीयत ख़राब हो गई थी, तुरंत उन्हें ज़िला अस्पताल ले जाया गया था. वहां से उन्हें केजीएमसी ले जाया गया, जहां उनकी मौत हो गई.”
अपर ज़िलाधिकारी ने कहा, “घटना की पूरी जांच के लिए एक समिति बनाई गई है, जो हर बिंदु पर जांच करेगी, जो वीडियो सामने आया है उसके बारे में भी जांच के बाद ही कुछ कहा जा सकेगा.”

32 साल के विपिन यादव डेढ़ साल पहले शिक्षक के रूप में चयनित हुए थे. वे शादीशुदा थे और उनकी एक बेटी भी है.
उनके पिता ने बीबीसी से कहा, “हम उनकी मौत के लिए ज़िम्मेदार अधिकारियों पर मुक़दमा दर्ज कराना चाहते हैं लेकिन हमारी तहरीर नहीं ली जा रही है. जिस तरह का व्यवहार प्रशासन कर रहा है, हमें इंसाफ़ की उम्मीद नहीं है.”
उन्होंने कहा, “अगर हमारी तहरीर पर मुक़दमा दर्ज नहीं किया जाता है, तो हम अदालत का रुख़ करेंगे और उसके ज़रिए एफ़आईआर दर्ज करवाएंगे.”
विपिन के परिजनों का आरोप है कि उन पर लगातार दबाव बनाया जा रहा था और इसकी वजह से वह मानसिक रूप से परेशान थे.
उनके पिता ने बीबीसी से कहा, “हमें पता था उस पर दवाब है लेकिन ये अंदाज़ा नहीं था कि वह ऐसा क़दम उठा लेगा. हमारी पूरी दुनिया ही बर्बाद हो गई है.”

लेखपाल संघ ने दर्ज कराया विरोध
उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ ने एसआईआर के काम में लगे लेखपाल की आत्महत्या के बाद विरोध दर्ज कराया है.
उत्तर प्रदेश लेखपाल संघ के अध्यक्ष राम मूरत यादव ने बीबीसी से कहा, “हम पूरे राज्य में विरोध करेंगे और इस तरह के दबाव को बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.”
उन्होंने कहा, “कर्मचारी पूरी निष्ठा और ईमानदारी से ड्यूटी में लगे हैं लेकिन उन्हें प्रताड़ित किया जा रहा है. जो काम चार महीने में पूरा किया जाना चाहिए था उसे एक महीने के भीतर करने का दबाव है. कर्मचारी मानसिक रूप से परेशान हैं.”
राम मूरत यादव ने कहा कि कर्मचारियों पर जिस स्तर का दबाव है उन्हें बहुत सोच-समझकर क़दम उठाने की ज़रूरत है.
उन्होंने कहा, “अगर कोई कर्मचारी मानसिक दबाव महसूस कर रहा है तो जल्दबाज़ी में कोई क़दम ना उठाए, अपने परिजनों, मित्रों और लेखपाल संघ की सहायता ले.”
9 राज्यों 3 केंद्र शासित प्रदेशों में हो रहा है एसआईआर
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बिहार में मतदाता सूची के विशेष गहन पुनरीक्षण (एसआईआर) के बाद भारत का चुनाव आयोग अब उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल समेत देश के 9 राज्यों और तीन केंद्र शासित प्रदेशों में एसआईआर कर रहा है.
इस प्रक्रिया के तहत मतदाता सूचियों की गहन जांच की जाएगी और नए सिरे से मतदाता सूचियों को तैयार किया जाएगा.
चुनाव आयोग ने इस संबंध में 27 अक्तूबर को आदेश जारी किया था जिसके तहत 9 राज्यों- छत्तीसगढ़, गोवा, गुजरात, केरल, मध्य प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, उत्तर प्रदेश और पश्चिम बंगाल एवं तीन केंद्र शासित प्रदेशों अंडमान और निकोबार, लक्षद्वीप और पुडुचेरी में 4 नवंबर से मतदाता सूचियों के पुनरीक्षण की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है.
इस दौरान 321 ज़िलों में 843 विधानसभाओं के 51 करोड़ से अधिक मतदाताओं की जांच की जाएगी.
इस प्रक्रिया के तहत 4 नवंबर से 4 दिसंबर के बीच गणना पत्र (एन्यूमरेशन फॉर्म) भरे जाएंगे. देशभर में 5.3 लाख बूथ लेवल ऑफ़िसर इस काम को कर रहे हैं.
बीएलओ यानी बूथ लेवल ऑफ़िसर को इस काम के लिए घर-घर जाना है और गणना पत्र भरवाने और जमा करने हैं.
इस दौरान काम के दबाव के चलते बीएलओ की मौतें और आत्महत्या एक राजनीतिक मुद्दा बन रही हैं.
मीडिया रिपोर्टों के मुताबिक़ देश के अलग-अलग राज्यों में अब तक कम से कम 17 कर्मचारियों की मौतों को एसआईआर के काम से जोड़ा जा रहा है. इनमें से कई आत्महत्या के मामले बताए जा रहे हैं.
इनमें पश्चिम बंगाल में तीन मौतों के अलावा गुजरात और मध्य प्रदेश में चार-चार, राजस्थान में दो, केरल और तमिलनाडु में एक-एक बीएलओ की मौत को एसआईआर से जोड़ा गया है. मध्य प्रदेश में भी दो बीएलओ की मौत का दावा किया गया है.
बीएलओ को किस तरह का प्रशिक्षण और सहायता दी जा रही है और अधिक काम के दबाव को लेकर चुनाव आयोग क्या कर रहा है यह जानने के लिए हमने उत्तर प्रदेश चुनाव आयुक्त के कार्यालय में फ़ोन किया लेकिन कोई जवाब नहीं मिल सका.
बीबीसी ने चुनाव आयोग का पक्ष जानने के लिए ईमेल के ज़रिए संपर्क किया. चुनाव आयोग की तरफ़ से जवाब मिलने पर इस रिपोर्ट को अपडेट कर दिया जाएगा.
चुनाव आयोग ने बीएलओ की स्थिति और काम के दबाव को लेकर कोई सार्वजनिक बयान नहीं दिया है.
(आत्महत्या एक गंभीर मनोवैज्ञानिक और सामाजिक समस्या है.
अगर आप भी तनाव से गुजर रहे हैं तो भारत सरकार की जीवनसाथी हेल्पलाइन 18002333330 से मदद ले सकते हैं.
आपको अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से भी बात करनी चाहिए.)
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.