पश्चिमी उत्तर प्रदेश के संभल ज़िले में रविवार की सुबह शाही जामा मस्जिद के सर्वे के दौरान हुई हिंसा में अब तक चार लोगों की मौत की पुष्टि हो चुकी है.
संभल हिंसा का मुद्दा संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा में भी विपक्षी दलों ने उठाने की कोशिश की. हालाँकि सदन की कार्यवाही दिनभर के लिए स्थगित हो गई.
संभल में हुई हिंसा के बाद इलाक़े में हाई अलर्ट जारी है. इलाक़े में सुरक्षा व्यवस्था काफ़ी कड़ी कर दी गई है और बड़ी संख्या में सुरक्षाबलों को तैनात किया गया है.
संभल के ज़िलाधिकारी राजेंद्र पेंसिया ने दावा किया है, “इलाक़े में हालात अब पूरी तरह सामान्य है और अब वहां कोई समस्या नहीं है. हमारे अधिकारी रात से ही वहाँ निगरानी कर रहे हैं और पूरी टीम इलाक़े में मौजूद है.”
संभल के एसपी कृष्ण कुमार ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा है कि संभल में पथराव की घटना के ख़िलाफ़ क़रीब 2500 लोगों के ख़िलाफ़ मामला दर्ज किया गया है.
उन्होंने कहा है कि हंगामा करने वाले सभी लोगों की पहचान सीसीटीवी के ज़रिए की जाएगी और सभी को जेल भेजा जाएगा.
घटनास्थल पर मौजूद बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा ने बताया है कि इस मामले में 2500 से अधिक लोगों पर एफ़आईआर दर्ज की गई है, जिसमें प्रमुख नाम स्थानीय सांसद ज़िया उर रहमान बर्क़ का है.
उत्तर प्रदेश के पूर्व मुख्यमंत्री और समाजवादी पार्टी के प्रमुख अखिलेश यादव ने पत्रकारों से बातचीत में आरोप लगाया है कि इस हिंसा के पीछे सरकार ज़िम्मेदार है. अखिलेश यादव ने सर्वे की अनुमति के तरीके पर सवाल खड़े किए हैं.
अखिलेश यादव ने कहा है, “हमारे सांसद ज़िया उर रहमान बर्क संभल में मौजूद भी नहीं थे और उनके ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज की गई है.”
उधर संभल से समाजवादी पार्टी के सांसद ज़िया उर रहमान बर्क ने रविवार को बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा से बातचीत में दावा किया था कि पुलिस ने गोली चलाई थी और शहर में तनाव की स्थिति है.
ज़िया उर रहमान बर्क ने रविवार को पत्रकारों से कहा कि घटना “पूर्व नियोजित” थी और वहाँ मुस्लिम समुदाय के सदस्यों को निशाना बनाया जा रहा था.
मारे गए लोगों के परिजनों से बीबीसी संवाददाता दिलनवाज़ पाशा ने बातचीत की है. परिजनों का दावा है कि पुलिस की फ़ायरिंग लोगों की मौत हुई है.
क्यों भड़की हिंसा
मरने वालों की संख्या चार से अधिक होने की आशंकाओं का जवाब भी पुलिस अधिकारियों ने दिया है.
मुरादाबाद के डीआईजी मुनिराज जी ने समाचार एजेंसी पीटीआई से इस मुद्दे पर कहा है, “ऐसा नहीं है. कल हमने तीन का पोस्टमॉर्टम करवाया. तीन लोगों को दफनाया जा चुका है. आज ही एक की मुरादाबाद में इलाज के दौरान मृत्यु हुई है.”
“अभी उसका पोस्टमॉर्टम नहीं हुआ. मृत्यु का कारण तो पीएम होने के बाद ही पता चलेगा. पांचवें के बारे में कोई पुष्टि नहीं हुई है.”
अभी तक किसी भी मारे गए शख़्स की पोस्टमॉर्टम रिपोर्ट सामने नहीं आई है.
इस हिंसा की शुरुआत उस वक़्त हुई जब रविवार को उग्र भीड़ ने कई गाड़ियों में आग लगा दी थी. पुलिस ने भीड़ को नियंत्रण में करने के लिए आंसू गैस के गोले छोड़े और लाठीचार्ज किया.
उन्होंने बताया कि इस दौरान तीन तरफ़ से ग्रुप आमने-सामने थे और उसी बीच गोलियां चलीं जिसमें पुलिस अधीक्षक के पीआरओ के पैर में गोली लगी, डिप्टी कलेक्टर का पैर फ़्रैक्चर हुआ है और 15-20 जवान घायल हुए हैं.
सुरक्षा के मद्देनज़र इलाक़े में इंटरनेट सेवा और स्कूल बंद कर दिए गए हैं. बीबीसी संवाददाता ने बताया है कि इलाक़े में कोई कर्फ़्यू नहीं है लेकिन बाहर से आने वाले राजनेताओं और सामाजिक संगठनों पर रोक है.
सांसदों ने उठाए सवाल
सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर राहुल गांधी ने लिखा, “उत्तर प्रदेश में हालिया विवाद पर राज्य सरकार का पक्षपात और जल्दबाज़ी भरा रवैया बेहद दुर्भाग्यपूर्ण है. हिंसा और फायरिंग में जिन्होंने अपनों को खोया है उनके प्रति मेरी गहरी संवेदनाएं हैं. प्रशासन द्वारा बिना सभी पक्षों को सुने और असंवेदनशीलता से की गई कार्रवाई ने माहौल और बिगाड़ दिया और कई लोगों की मृत्यु का कारण बना – जिसकी सीधी ज़िम्मेदार भाजपा सरकार है.”
राहुल गांधी ने आरोप लगाया कि भाजपा का सत्ता का उपयोग हिंदू-मुसलमान समाजों के बीच दरार और भेदभाव पैदा करने के लिए करना न प्रदेश के हित में है, न देश के.
उन्होंने मामले में सुप्रीम कोर्ट से जल्द से जल्द हस्तक्षेप कर न्याय की मांग की.
राहुल गांधी ने कहा, “मेरी अपील है कि शांति और आपसी सौहार्द बनाए रखें. हम सबको एक साथ जुड़ कर यह सुनिश्चित करना है कि भारत सांप्रदायिकता और नफ़रत नहीं, एकता और संविधान के रास्ते पर आगे बढ़े.”
ऑल इंडिया मजलिस-ए-इत्तेहादुल मुस्लिमीन (एआईएमआईएम) के प्रमुख और हैदराबाद से लोकसभा सांसद असदुद्दीन ओवैसी ने भी संभल को लेकर सरकार की निंदा की है.
ओवैसी ने कहा, “ये फ़ायरिंग नहीं बल्कि मर्डर है. जो भी अधिकारी इसमें संलिप्त हैं उन्हें सस्पेंड करना चाहिए. एक हाई कोर्ट के मौजूदा जज से इसकी जांच करवाई जानी चाहिए. ये सरासर ग़लत है. संभल में ज़ुल्म हो रहा है.”
बीजेपी का जवाब
संसद में विपक्षी सदस्यों ने उत्तर प्रदेश के संभल में हिंसा पर सरकार और सत्तारूढ़ भाजपा की आलोचना करते हुए कहा कि ‘यह सांप्रदायिक आधार पर लोगों का ध्रुवीकरण करने की योजना’ है.
हालांकि बीजेपी के सांसद साक्षी महाराज ने संभल में हुई हिंसा को “पूर्व नियोजित” करार दिया और कहा कि जो लोग उपचुनावों में बीजेपी की जीत से हैरान हैं उन्हीं के उकसावे पर हिंसा हुई है.
उपचुनावों में बीजेपी ने (आरएलडी समेत) उत्तर प्रदेश की नौ में से सात सीटों पर जीत हासिल की थी.
उधर समाजवादी पार्टी के नेता धर्मेंद्र यादव ने कहा कि यह घटना दुर्भाग्यपूर्ण है और पार्टी इसे संसद के दोनों सदनों में उठाएगी. उन्होंने संवाददाताओं से कहा, “हमने स्थगन के लिए नोटिस दिया है. हम निश्चित रूप से इस मुद्दे को सदन में उठाएंगे.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित