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उन्नाव बलात्कार मामले में ट्रायल कोर्ट से पूर्व बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर को 2019 में उम्र क़ैद की सज़ा सुनाई गई थी.
उम्र क़ैद की सज़ा मिलने के छह साल से ज़्यादा के बाद दिल्ली हाई कोर्ट की एक बेंच ने मंगलवार को उनकी सज़ा निलंबित कर दी.
जस्टिस सुब्रमण्यम प्रसाद और जस्टिस हरीश वैद्यनाथन की बेंच ने पूर्व विधायक को 15 लाख रुपये के निजी मुचलके और समान राशि के तीन ज़मानतदार पेश करने का निर्देश दिया.
सेंगर की सज़ा निलंबित होने के कुछ ही घंटों बाद सर्वाइवर, उनकी मां और महिला अधिकार एक्टिविस्ट योगिता भयाना ने मंगलवार को इंडिया गेट पर विरोध प्रदर्शन किया. समाचार एजेंसी एएनआई के अनुसार, इंडिया गेट परिसर में बैठी सर्वाइवर ने आरोप लगाया कि 2027 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनावों को देखते हुए सेंगर को ज़मानत दी गई है.
उन्होंने कहा कि फ़ैसला सुनकर उन्हें ‘गहरा आघात’ पहुँचा है.
सर्वाइवर ने कहा कि उनके साथ ‘अन्याय’ हुआ है और चुनाव नज़दीक होने के कारण सेंगर को ज़मानत दी गई ताकि उनकी पत्नी चुनाव लड़ सकें.
उन्होंने सवाल उठाया कि, ‘अगर ऐसे आरोपों वाला व्यक्ति बाहर रहेगा तो उनकी सुरक्षा कैसे सुनिश्चित होगी.’
सर्वाइवर ने यह कहते हुए ज़मानत रद्द करने की मांग भी की कि सेंगर की रिहाई के बाद वह ‘डरी हुई हैं.’ उन्होंने न्यायपालिका में भरोसा जताते हुए कहा कि वे इस मामले में सर्वोच्च न्यायालय का रुख़ भी करेंगी.
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क्या था पूरा मामला
उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ से मात्र 66 किलोमीटर दूर हुए इस अपराध के सामने आने में लगभग 10 महीने लग गए थे. तब सर्वाइवर के पिता पर हमला किया गया था. बाद में उन्हें जेल भेजा गया था और हिरासत में रहस्यमय परिस्थितियों में उनकी मौत हो गई थी.
बार एंड बेंच की रिपोर्ट के मुताबिक़ दिल्ली हाई कोर्ट ने मंगलवार को आदेश दिया कि सेंगर ज़मानत की अवधि के दौरान सर्वाइवर जहां भी हो उसके पाँच किलोमीटर के दायरे में नहीं आएंगे और दिल्ली में ही रहेंगे. उन्हें हर सोमवार पुलिस के समक्ष रिपोर्ट करने का भी निर्देश दिया गया है.
अदालत ने कहा, “किसी भी शर्त के उल्लंघन की स्थिति में ज़मानत (सज़ा निलंबन) रद्द कर दी जाएगी.”
सेंगर ने ट्रायल कोर्ट के उस फ़ैसले को चुनौती दी थी, जिसमें 17 वर्षीय लड़की के बलात्कार के लिए उन्हें दोषी ठहराया गया था. ट्रायल कोर्ट ने उन्हें आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई थी और 25 लाख का जुर्माना लगाया था.
उन्नाव बलात्कार मामले की सर्वाइवर नाबालिग़ थी. सेंगर पर आरोप है कि 2017 में 11 से 20 जून के बीच उन्होंने लड़की को अगवा कर रेप किया.
आरोप के मुताबिक़, इसके बाद रेप सर्वाइवर को लगातार धमकाया गया और पुलिस अधिकारियों को चुप रहने की चेतावनी दी गई.
आख़िरकार सेंगर के ख़िलाफ़ बलात्कार, अपहरण और आपराधिक धमकी के आरोपों के साथ-साथ पोक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई. इलाहाबाद हाई कोर्ट के आदेश के बाद उन्हें गिरफ़्तार किया गया.
अगस्त 2019 में सुप्रीम कोर्ट ने उन्नाव बलात्कार मामले से जुड़े चार मामलों की सुनवाई दिल्ली स्थानांतरित कर दी और निर्देश दिया कि सुनवाई दिन-प्रतिदिन के आधार पर हो और 45 दिनों के भीतर पूरी की जाए.
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कई बार सर्वाइवर पर हुए हमले
दिसंबर 2019 में ट्रायल कोर्ट ने बलात्कार मामले में सेंगर को दोषी ठहराते हुए आजीवन कारावास की सज़ा सुनाई. ट्रायल कोर्ट ने यह भी निर्देश दिया कि सीबीआई सर्वाइवर और उसके परिवार के जीवन और स्वतंत्रता की सुरक्षा सुनिश्चित करने के लिए पर्याप्त क़दम उठाए. इसमें ज़रूरत पड़ने पर सुरक्षित आवास और पहचान बदलने की व्यवस्था भी शामिल हो.
सेंगर को अधिकतम सज़ा देते हुए ट्रायल कोर्ट ने टिप्पणी की थी कि कोई भी मिटिगेटिंग सर्कमस्टेंस नहीं है. अदालत ने कहा था कि एक लोकतांत्रिक व्यवस्था में सार्वजनिक सेवक होने के नाते सेंगर को जनता का विश्वास हासिल था, जिसे उन्होंने तोड़ा और ऐसा करने के लिए नैतिक पतन का एक ही कृत्य पर्याप्त था.
इस बीच, मामला तब विवादास्पद मोड़ पर आ गया जब बिना नंबर प्लेट वाला एक ट्रक उस कार से टकरा गया, जिसमें सर्वाइवर यात्रा कर रही थी. इस घटना में सर्वाइवर और उसके वकील गंभीर रूप से घायल हुए जबकि उसकी दो मौसियों की मौत हो गई.
इस संबंध में सेंगर के ख़िलाफ़ एक अलग मामला दर्ज किया गया. दिसंबर 2021 में दिल्ली की एक अदालत ने इस मामले में सेंगर को यह कहते हुए आरोपमुक्त कर दिया कि दुर्घटना की साज़िश रचने के उनके ख़िलाफ़ प्रथम दृष्टया कोई सबूत नहीं है.
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पिछले लगभग नौ वर्षों में उन्नाव मामला
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- 4 जून 2017: एक नाबालिग़ लड़की नौकरी की मांग को लेकर उन्नाव से तत्कालीन बीजेपी विधायक कुलदीप सिंह सेंगर के आवास पर गई, जहाँ उसके साथ ‘बलात्कार’ किया गया.
- 11 जून – 20 जून 2017: सर्वाइवर को माखी गांव से तीन लोगों शुभम सिंह, बृजेश यादव और अवध नारायण ने ‘अगवा’ किया गया. आरोप है कि उसे नशीला पदार्थ देकर कई दिनों तक सामूहिक बलात्कार किया गया.
- 20 जून 2017: सर्वाइवर और उसके पिता ने शुभम सिंह, बृजेश यादव और अवध नारायण के ख़िलाफ़ आईपीसी की धाराओं 363, 366, 376 और 506 के तहत एफआईआर दर्ज कराई.
- 22 जून 2017: कथित तौर पर मेडिकल जांच में देरी के बाद सर्वाइवर को अपने रिश्तेदारों के साथ रहने के लिए दिल्ली भेजा गया.
- अगस्त 2017: सर्वाइवर उन्नाव लौटी और सेंगर के ख़िलाफ़ एफ़आईआर दर्ज कराने की कोशिश की. आरोप है कि पुलिस ने विधायक का नाम लेने से रोका. उसी महीने दाखिल चार्ज़शीट में उनका नाम शामिल नहीं था.
- फरवरी 2018: सर्वाइवर ने सेंगर का नाम शामिल कराने के लिए अदालत का रुख़ किया.
- तीन अप्रैल 2018: सेंगर के लोगों ने कथित तौर पर सर्वाइवर के पिता पर हमला किया और पुलिस में उनके ख़िलाफ़ शिकायत दर्ज कराई. परिवार ने चार लोगों के ख़िलाफ़ जवाबी शिकायत की.
- पाँच अप्रैल 2018: सेंगर के लोगों की शिकायत पर सर्वाइवर के पिता को गिरफ़्तार किया गया. उन पर आर्म्स एक्ट के तहत भी मामला दर्ज हुआ.
- आठ अप्रैल 2018: सर्वाइवर ने उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री आवास के बाहर आत्महत्या का प्रयास किया.
- नौ अप्रैल 2018: सर्वाइवर के पिता पुलिस हिरासत में मृत पाए गए. पुलिस ने दावा किया कि जेल में दंगे के दौरान वह घायल हुए थे. पोस्टमॉर्टम में खरोंच, सूजन और चोटों सहित 14 चोटें पाई गईं.
- 10 अप्रैल 2018: उत्तर प्रदेश के डीजीपी के आदेश पर क्राइम ब्रांच ने विधायक के भाई अतुल सेंगर को गिरफ़्तार किया. बलात्कार मामले और हिरासत में मौत की जांच के लिए विशेष जांच दल (एसआईटी) गठित किया गया. माखी थाने के एसएचओ अशोक कुमार सिंह को निलंबित किया गया.
- 11 अप्रैल 2018: एसआईटी ने राज्य सरकार को रिपोर्ट सौंपी.
- 12 अप्रैल 2018: मामला सीबीआई को सौंपा गया. सेंगर के ख़िलाफ़ आईपीसी की धाराओं 363, 366, 373 और पोक्सो एक्ट के तहत एफआईआर दर्ज की गई.
- 13 अप्रैल 2018: सीबीआई ने सेंगर को पूछताछ के लिए हिरासत में लिया. इलाहाबाद उच्च न्यायालय ने तत्काल गिरफ़्तारी को ज़रूरी बताया और जांच पूरी करने की समय सीमा तय की. सेंगर को सात दिन की सीबीआई हिरासत में भेजा गया.
- 15 अप्रैल 2018: शशि सिंह, जिन पर आरोप है कि वो नौकरी का वादा कर सर्वाइवर को सेंगर के घर ले गई थीं, को गिरफ़्तार किया गया.
- 18 अप्रैल 2018: सर्वाइवर और उनकी मां ने दंड प्रक्रिया संहिता की धारा 164 के तहत बयान दर्ज कराए. सीबीआई ने सर्वाइवर की उम्र 19 वर्ष बताई और पोक्सो हटाने पर विचार किया. सर्वाइवर के पिता की रहस्यमय मौत के एक अहम गवाह यूनुस भी मृत पाए गए.
- मई 2019: उन्नाव से भाजपा सांसद साक्षी महाराज ने लोकसभा चुनाव जीतने के बाद सेंगर से मुलाक़ात की.
- 28 जुलाई 2019: रायबरेली जाते समय सर्वाइवर की कार को ट्रक ने टक्कर मारी, जिसमें उनकी दो मौसियों की मौत हो गई. इसमें सर्वाइवर और वकील घायल हुए.
- 29 जुलाई 2019: सड़क दुर्घटना मामले में सेंगर और नौ अन्य के ख़िलाफ़ एफआईआर दर्ज हुई.
- 30 जुलाई 2019: सर्वाइवर का भारत के मुख्य न्यायाधीश को लिखा पत्र सार्वजनिक हुआ.
- 31 जुलाई 2019: सर्वोच्च न्यायालय ने पत्र का स्वतः संज्ञान लिया.
- 1 अगस्त 2019: सुप्रीम कोर्ट ने मामले से जुड़े पाँच केस दिल्ली स्थानांतरित करने का आदेश दिया.
- 20 दिसंबर 2019: सेंगर को आजीवन कारावास और 25 लाख रुपये जुर्माने की सज़ा सुनाई गई.
- 23 दिसंबर 2025: दिल्ली उच्च न्यायालय की बेंच ने सेंगर की सज़ा निलंबित कर दी.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.