इमेज कैप्शन, शपथग्रहण समारोह के दौरान मंच पर पीएम मोदी के साथ दीपक प्रकाश
नीतीश कुमार गुरुवार को जब रिकॉर्ड दसवीं बार बिहार के मुख्यमंत्री बने तो उनके साथ कैबिनेट के अन्य 26 सदस्यों ने भी शपथ ली. मगर उनकी सरकार में राष्ट्रीय लोक मोर्चा (आरएलएम) के प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश एक चौंकाने वाली एंट्री साबित हुए.
दीपक प्रकाश न तो विधायक हैं और न ही बिहार विधान परिषद के सदस्य. लेकिन उन्हें राज्यपाल आरिफ़ मोहम्मद ख़ान ने आरएलएम से एकमात्र मंत्री के तौर पर शपथ दिलाई.
जबकि अटकलें ये लगाई जा रही थीं कि सासाराम से विधायक बनीं उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता को नए मंत्रिमंडल में शामिल किया जा सकता है.
एनडीए की घटक दल आरएलएम ने बिहार विधानसभा चुनाव में लड़ी छह में से चार सीटों पर जीत हासिल की थी. इनमें बजपट्टी, मधुबनी, सासाराम और दिनारा सीटें शामिल थीं.
मगर इन सीटों पर विजयी उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी समेत चार विधायकों की बजाय अचानक से दीपक प्रकाश को नीतीश सरकार में जगह मिलने से जानकार भी हैरानी जता रहे हैं.
राजनीति में अनजाना चेहरा
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इमेज कैप्शन, नीतीश सरकार में आरएलएम प्रमुख उपेंद्र कुशवाहा के बेटे दीपक प्रकाश मंत्री बने
करीब 19 साल से सत्ता पर काबिज़ नीतीश कुमार ने नई सरकार में अपनी जनता दल यूनाइटेड (जेडीयू) और बीजेपी के कई पुराने चेहरों को जगह दी है. लेकिन साथ में कुछ नए चेहरे भी कैबिनेट में शामिल किए गए हैं और जातीय समीकरण को भी साधने की कोशिश की गई है.
नीतीश के मंत्रिमंडल में शामिल 26 में से 10 चेहरे नए हैं, जिनमें से एक दीपक प्रकाश भी हैं.
आरएलएम के सूत्रों के मुताबिक दीपक प्रकाश बिहार की राजनीति में एक अनजाना नाम हैं. वह हाल ही में विदेश से पढ़ाई करके लौटे हैं.
शपथ ग्रहण समारोह के बाद पत्रकारों से दीपक प्रकाश ने कहा, “मेरे पिता ही मेरी प्रेरणा हैं. इसी वजह से मैंने राजनीति में आने का फैसला किया. कैबिनेट में शामिल किए जाने की खबर मेरे लिए भी एक सरप्राइज़ थी.”
उपेंद्र कुशवाहा की रणनीति क्या?
इमेज कैप्शन, ऐसी अटकलें थी कि उपेंद्र कुशवाहा की पत्नी स्नेहलता नीतीश कैबिनेट में शामिल हो सकती हैं
बेटे के नीतीश सरकार में शामिल होने के बाद उपेंद्र कुशवाहा ने कहा, “युवाओं को आगे आना चाहिए, इस बात के हम समर्थक रहे हैं. मौका मिलने पर युवाओं को आगे लाना चाहिए, उनमें काम करने की ज़्यादा क्षमता होती है. इस क्षमता का इस्तेमाल हर क्षेत्र में होना चाहिए, स्वाभाविक रूप से राजनीति में भी.”
उन्होंने कहा, “एक नई ज़िम्मेदारी की जवाबदेही बिहार की जनता ने दी है. इस ज़िम्मेवारी का एहसास हमको भी है. इस ज़िम्मेदारी का निर्वहन हम बखूबी करेंगे. जनता की सेवा जिस तरह से निरंतर कर रहे हैं, आगे भी करेंगे.”
हालांकि नियमों के मुताबिक़, दीपक प्रकाश को कैबिनेट में शामिल होने के छह महीने के भीतर राज्य विधानमंडल के किसी एक सदन का सदस्य बनना होगा. यानी अब वह एमएलसी बन सकते हैं.
वरिष्ठ पत्रकार फ़ैज़ान अहमद इसे उपेंद्र कुशवाहा के लिए दोहरा फ़ायदा बताते हैं.
उन्होंने बीबीसी संवाददाता चंदन जजवाड़े से बात करते हुए कहा, “उपेंद्र कुशवाहा ने पत्नी को टिकट दिलाया, वो जीतकर विधायक भी बन गईं. अब इनके चार विधायक हैं. इसके बाद इनकी मंशा थी कि हम मंत्रिमंडल में भी शामिल हों और एक विधान परिषद की भी सीट मिल जाए.”
वह कहते हैं, “अपने किसी विधायक को अगर ये मंत्री बनाते तो विधान परिषद की जो एक सीट मिलने की दावेदारी थी, वो न हो पाती. उन्होंने पत्नी को मंत्री न बनाकर, बेटा को मंत्री बना दिया. ऐसे तो पत्नी की भी कोई राजनीति में कोई बहुत भूमिका नहीं है लेकिन टिकट तो दे दिया. उनको चुनाव लड़वा दिया. लेकिन बेटे का तो कहीं ज़िक्र ही नहीं था.”
कौन हैं दीपक प्रकाश
फ़ैजान अहमद ने बीबीसी को बताया, “बिहार सरकार में नए मंत्री दीपक प्रकाश के बारे में उनकी पार्टी रालोमो ने बताया है कि 1989 में पैदा हुए दीपक ने 2011 में सिक्किम मणिपाल से बैचलर ऑफ इंजीनियरिंग किया है. दो साल सॉफ्टवेयर इंजीनियर की नौकरी करने के बाद सेल्फ एम्प्लॉयड हो गए.”
पार्टी ने यह भी दावा किया कि दीपक 2019-20 से राजनीति के क्षेत्र में सक्रिय हैं.
हालाँकि फैज़ान अहमद कहते हैं कि उन्हें राजनीति में सक्रिय तौर पर कम ही देखा गया है, और लोग दीपक प्रकाश के बारे में कम ही जानते हैं.
वह कहते हैं, ” उन्हें कोई जानता ही नहीं है. उनकी कोई गतिविधि कभी देखी नहीं गई, जिससे ये पता चले कि वह क्या करते हैं. किसी को कुछ मालूम नहीं है उनके बारे में.”
नीतीश का मंत्रिमंडल
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इमेज कैप्शन, नीतीश कुमार के साथ 26 मंत्रियों ने शपथ ली है
कैबिनेट में बीजेपी नेता सम्राट चौधरी और विजय कुमार सिन्हा दोनों को ही जगह दी गई है. ये दोनों पिछली सरकार में डिप्टी सीएम थे. वहीं जेडीयू ने अपने कोटे से बिजेंद्र प्रसाद यादव, विजय कुमार चौधरी और श्रवण कुमार को कैबिनेट में बनाए रखा है.
बीजेपी ने पिछली सरकार के चार मंत्री मंगल पांडे, प्रमोद कुमार, सुरेंद्र प्रसाद मेहता और नितिन नबीन को भी फिर कैबिनेट में शामिल किया है. दिलीप जायसवाल, नारायण प्रसाद दो ऐसे चेहरे हैं जो कुछ समय के ब्रेक के बाद कैबिनेट में लौटे हैं.
एनडीए के घटक दल हम ने एक बार फिर जीतन राम मांझी के बेटे संतोष कुमार सुमन को कैबिनेट की सीट दी है.
नए चेहरों में शूटर से राजनेता बनीं श्रेयसी सिंह, औराई से रमा निषाद, राम कृपाल यादव, संजय कुमार सिंह, संजय कुमार शामिल हैं.
कैबिनेट में श्रेयसी सिंह और रमा निषाद के अलावा लेशी सिंह भी महिला मंत्री हैं.
27 सदस्यों में से आठ सवर्ण, पांच दलित, एक मुसलमान और 13 ओबीसी/ईबीसी वर्ग से आते हैं.
पार्टी दर पार्टी देखें तो कैबिनेट में बीजेपी के 14 मंत्री, जेडीयू के आठ, एलजेपी (आर) के दो, हम और आरएलएम के एक-एक मंत्री होंगे.
बिहार विधानसभा चुनाव में बीजेपी ने 89 सीटें जीतीं और वह सबसे बड़ी पार्टी बनी. राज्य की सरकार में सीएम समेत अधिकतम 36 मंत्री हो सकते हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.