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बीते हफ्ते भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने बांग्लादेश के मैमनसिंह में दीपू चंद्र दास की हत्या का ज़िक्र करते हुए इसकी निंदा की थी.
भारतीय विदेश मंत्रालय की ओर से जारी बयान में बांग्लादेश में हिंदुओं, ईसाइयों और बौद्धों सहित अल्पसंख्यकों की सुरक्षा पर चिंता जाहिर की थी.
रविवार को बांग्लादेश ने भारत की ओर से जारी बयान को खारिज कर दिया और इसे ‘टारगेटेड बयान’ बताया.
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत की ओर से कही गई बातें बांग्लादेश के वास्तविक हालात को बयां नहीं करती हैं.
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने ये भी कहा कि भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जिस व्यक्ति (दीपू चंद्र दास) का उदाहरण दिया था, वह ‘एक लिस्टेड अपराधी’ था.
वहीं बांग्लादेश पुलिस ने दावा किया था कि छात्र नेता उस्मान हादी की हत्या के अभियुक्त मेघालय भाग गए हैं. भारतीय सुरक्षा एजेंसियों ने इस दावे का खंडन किया है.
बांग्लादेश ने क्या कहा?
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बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों की स्थिति पर भारत की ओर से जारी किए गए बयान के जवाब में बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता एसएम महबूबुल आलम ने प्रेस कॉन्फ्रेंस की.
बांग्लादेशी विदेश मंत्रालय के बयान में कहा गया है, “उनके (भारत) बयान वास्तविक हालात को बयां नहीं करते हैं. बांग्लादेश सरकार किसी भी ग़लत, बढ़ा-चढ़ाकर बताई गई या जानबूझकर गढ़ी गई कहानी को सिरे से ख़ारिज करती है, जो बांग्लादेश में सांप्रदायिक सद्भाव की लंबी परंपरा को ग़लत तरीके़ से पेश करती है.”
बांग्लादेश ने भारत में अलग-अलग पक्षों से अल्पसंख्यक मुद्दों पर गुमराह करने वाली बातें फैलाने से बचने की अपील की है.
बांग्लादेश के विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने जिस व्यक्ति का उदाहरण दिया था, वह ‘एक लिस्टेड अपराधी’ था.
मंत्रालय ने कहा, “उसकी मौत तब हुई जब वह अपने मुस्लिम साथी से पैसे वसूल रहा था, जिसे बाद में गिरफ्तार कर लिया गया. इस घटना को अल्पसंख्यकों के साथ होने वाले बर्ताव के नज़रिए से पेश करना सही नहीं है बल्कि गुमराह करने वाला है.”
बांग्लादेश ने कहा कि हाल ही में भारत में अल्पसंख्यकों के साथ हुई कुछ घटनाएं ‘चिंताजनक’ हैं और उसे उम्मीद है कि भारत इनकी ‘निष्पक्ष जांच’ कराएगा.
आलम ने कहा, “भारत में मुसलमानों और ईसाइयों सहित विभिन्न अल्पसंख्यकों के खिलाफ हो रही क्रूर हत्याओं, लिंचिंग, मनमानी गिरफ्तारियों और धार्मिक समारोहों में बाधा डालने की घटनाओं से हम बेहद चिंतित हैं.”
उन्होंने कहा, “पिछले सप्ताह क्रिसमस समारोह के दौरान पूरे भारत में ईसाइयों के खिलाफ हुई सामूहिक हिंसा को लेकर बांग्लादेश गहरी चिंता व्यक्त करता है. हम इन घटनाओं को हेट क्राइम और टारगेटेड हिंसा मानते हैं.”
भारत ने क्या कहा?
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26 दिसंबर को भारतीय विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने मैमनसिंह में दीपू चंद्र दास की हत्या का ज़िक्र करते हुए इसकी निंदा की.
रणधीर जायसवाल ने प्रेस ब्रीफ़िंग में कहा था, “भारत ने बांग्लादेश में फैलाए जा रहे झूठे भारत-विरोधी नैरेटिव को ख़ारिज किया है और दोहराया है कि क़ानून-व्यवस्था और सुरक्षा बनाए रखना बांग्लादेश की अंतरिम सरकार की ज़िम्मेदारी है.”
उन्होंने कहा, “भारत बांग्लादेश में हालात पर नज़र बनाए हुए है और वहां हिंदुओं, ईसाइयों और बौद्धों सहित अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ जारी शत्रुता पर गंभीर चिंता जताई है.”
विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता ने मैमनसिंह में एक हिंदू युवक की हालिया हत्या की निंदा करते हुए कहा कि भारत को उम्मीद है कि इस अपराध के दोषियों को न्याय के कटघरे में लाया जाएगा.
रणधीर जायसवाल ने यह भी कहा कि अंतरिम सरकार के कार्यकाल के दौरान अल्पसंख्यकों के ख़िलाफ़ हिंसा की 2,900 से ज़्यादा घटनाएं अलग-अलग सोर्सों की ओर से दर्ज की गई हैं.
उन्होंने कहा कि इन घटनाओं को केवल मीडिया की बढ़ा-चढ़ाकर की गई रिपोर्टिंग बताकर या राजनीतिक हिंसा कहकर नज़रअंदाज नहीं किया जा सकता.
क्या है मामला?
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दरअसल, हाल ही में बांग्लादेश के मैमनसिंह ज़िले के भालुका में ‘धर्म का अपमान’ करने के आरोप में भीड़ ने एक हिंदू युवक को पीट-पीटकर हत्या कर दी.
भालुका पुलिस स्टेशन के ड्यूटी ऑफिसर रिपन मियां ने बीबीसी बांग्ला को बताया था कि युवक को पीट-पीटकर मार डालने के बाद उसके शव को एक पेड़ से बांधकर आग लगा दी गई. पुलिस ने मृतक युवक की पहचान दीपू चंद्र दास के रूप में की है.
भालुका पुलिस स्टेशन के ड्यूटी ऑफिसर रिपन मियां ने बीबीसी बांग्ला को बताया था, “18 दिसंबर को रात करीब 9 बजे कुछ उत्तेजित लोगों ने उसे पैगंबर का अपमान करने के आरोप में पकड़ लिया और उसकी पिटाई की. फिर उन्होंने उसके शव को आग लगा दी.”
हालांकि, बांग्लादेश के मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस की ओर जारी बयान में मैमनसिंह में हुई हत्या की निंदा की थी.
मोहम्मद यूनुस के प्रेस विंग ने फ़ेसबुक पर लिखा था, “हम मैमनसिंह में एक हिंदू व्यक्ति की पीट-पीटकर हत्या की कड़ी निंदा करते हैं. नए बांग्लादेश में ऐसी हिंसा के लिए कोई जगह नहीं है. इस जघन्य अपराध के दोषियों को बख्शा नहीं जाएगा.”
हालांकि, 20 दिसंबर को नई दिल्ली में बांग्लादेश उच्चायोग के सामने कथित प्रदर्शन के बाद भी भारत और बांग्लादेश के बीच तनाव बढ़ गया था.
बांग्लादेश हाई कमीशन के सामने कथित प्रदर्शन के बाद भारतीय विदेश मंत्रालय के आधिकारिक प्रवक्ता रणधीर जायसवाल ने कहा था कि इस घटना को लेकर भारत ने बांग्लादेश के कुछ मीडिया में फैलाए जा रहे ‘भ्रामक प्रोपेगेंडा’ को देखा है.
वहीं बांग्लादेश ने नई दिल्ली में अपने हाई कमीशन के बाहर प्रदर्शन पर विरोध जताया था और कहा कि इसे केवल ‘भ्रामक प्रोपेगेंडा’ कहकर ख़ारिज नहीं किया जा सकता है.
हादी की मौत के बाद बांग्लादेश में हिंसक प्रदर्शन
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बांग्लादेश में युवा नेता शरीफ़ उस्मान हादी की मौत के बाद हिंसक प्रदर्शन भड़क उठे हैं.
हादी 2024 में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख हसीना को सत्ता से हटाने वाले विद्रोह के एक लोकप्रिय नेता थे.
रविवार को ढाका मेट्रोपोलिटन पुलिस ने दावा किया है कि इंकलाब मंच के संयोजक उस्मान हादी की हत्या के दोनों प्रमुख अभियुक्त मैमनसिंह की हलुआघाट सीमा से होकर भारत भाग गए हैं.
बीबीसी बांग्ला के मुताबिक़ पुलिस ने दावा किया है कि अभियुक्त फ़ैसल करीम मसूद और आलमगीर शेख़ ने भारत पहुंचने के बाद पहले पूर्वोत्तर राज्य मेघालय में शरण ली.
समाचार एजेंसी पीटीआई के मुताबिक़ भारतीय सुरक्षा अधिकारियों ने ढाका पुलिस के इस दावे का खंडन किया है.
पीटीआई ने बीएसएफ़ प्रमुख, मेघालय इंस्पेक्टर जनरल ओ पी उपाध्याय के हवाले से कहा है ढाका पुलिस का ये दावा ‘भ्रामक और ग़लत है.’
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.