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मेघालय पुलिस ने ढाका पुलिस के उन दावों को सिरे से ख़ारिज कर दिया है जिनमें छात्र नेता शरीफ़ उस्मान हादी की हत्या के संदिग्धों के मेघालय सीमा से भारत भागने की बात कही गई थी.
मेघालय पुलिस की क़ानून-व्यवस्था संभाल रहे आईजी पुलिस डेविस एन मराक ने बीबीसी न्यूज़ हिन्दी से कहा, “हमारे पास ऐसी किसी भी बात की जानकारी नहीं है.”
गुवाहाटी से बीबीसी के सहयोगी पत्रकार दिलीप कुमार शर्मा ने बताया है कि मेघालय की पुलिस महानिदेशक इदाशिशा नोंगरांग ने भी एक बयान जारी कर ढाका पुलिस अधिकारियों के उस दावे का खंडन किया है.
पुलिस महानिदेशक ने कहा कि 32 साल के हादी के हत्यारों के ठिकाने के बारे में बांग्लादेश से आ रही रिपोर्टें ग़लत हैं.
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उन्होंने एक बयान जारी कर ढाका पुलिस अधिकारी के उस दावे का खंडन किया है, जिसमें कहा गया था कि भगोड़ों के दो कथित साथियों को वेस्ट गारो हिल्स में हिरासत में लिया गया है.
इससे पहले रविवार को ढाका मेट्रोपोलिटन पुलिस ने दावा किया था कि इंक़लाब मंच के संयोजक उस्मान हादी की हत्या के दोनों प्रमुख अभियुक्त मैमनसिंह की हलुआघाट सीमा से होकर भारत भाग गए हैं.
बीबीसी न्यूज़ बांग्ला के मुताबिक़, पुलिस ने दावा किया कि अभियुक्त फ़ैसल करीम मसूद और आलमगीर शेख़ ने भारत पहुंचने के बाद पहले पूर्वोत्तर राज्य मेघालय में शरण ली.
पश्चिम बंगाल पुलिस ने भी ख़बरों को बताया ग़लत
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मेघालय में बीएसएफ़ के आईजी ओपी उपाध्याय ने भी इन रिपोर्टों को पूरी तरह झूठा और मनगढ़ंत बताया है. उन्होंने कहा कि सीमा पर कोई अवैध घुसपैठ नहीं हुई है और बांग्लादेशी अधिकारियों के दावों में भारी विरोधाभास है.
ओपी उपाध्याय ने शिलॉन्ग में पत्रकारों से कहा था, “ऐसा कोई सबूत नहीं है जिससे पता चले कि बांग्लादेश के मैमनसिंह से हलूआघाट सेक्टर से कोई व्यक्ति इंटरनेशनल बॉर्डर पार करके मेघालय में आया है.”
सोमवार को पश्चिम बंगाल पुलिस ने भी एक्स पर एक पोस्ट में कहा कि सोशल मीडिया पर फैल रही यह ख़बर पूरी तरह निराधार है कि पश्चिम बंगाल पुलिस की एसटीएफ़ (स्पेशल टास्क फ़ोर्स) ने पड़ोसी देश में हुई एक घटना के सिलसिले में कई लोगों को हिरासत में लिया है.
हालांकि, पश्चिम बंगाल पुलिस ने अपनी पोस्ट में सीधे तौर पर उस्मान हादी या बांग्लादेश का नाम नहीं लिया.
रविवार को ढाका मेट्रोपॉलिटन पुलिस ने एक प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की और दावा किया कि उस्मान हादी के हत्यारे सीमा पार करके भारत भाग गए हैं और मेघालय पुलिस ने उनकी सहायता करने के आरोप में दो लोगों को गिरफ्तार किया है.
बांग्लादेश का आरोप
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इससे पहले पुलिस अधिकारी दावा करते रहे थे कि उनको इस बात की पक्की जानकारी नहीं है कि इस घटना के मुख्य अभियुक्त कहां हैं.
पुलिस अधिकारियों ने रविवार को प्रेस कॉन्फ्रेंस में कहा था, “उस्मान हादी की हत्या सुनियोजित थी. इस मामले में हमलावरों को भारत भागने में मदद करने वालों समेत कुल 11 लोगों को गिरफ़्तार किया गया है. इनमें से छह लोगों ने अपना अपराध कबूल कर लिया है.”
पुलिस ने बताया कि इस मामले में आगामी सात से दस दिनों के भीतर आरोपपत्र दायर कर दिया जाएगा.
ढाका पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त नज़रुल इस्लाम ने बताया, “घटनास्थल पर मौजूद लोगों से मिली जानकारी, सीसीटीवी फुटेज के विश्लेषण और तकनीक की मदद से घटना के दिन ही फै़सल करीम मसूद और उसके मददगार मोटरसाइकिल चालक आलमगीर शेख़ की शिनाख़्त कर ली गई थी.”
उन्होंने ख़ुफ़िया पुलिस से मिली जानकारी के हवाले से बताया कि हादी पर गोली चलाने वाले करीम मसूद के पिता हुमायूं कबीर, माँ हासी बेगम, पत्नी शाहिदा परवीन सामिया, साले वाहिद अहमद सिपू, महिला मित्र मारिया अख़्तर लीमा, मोहम्मद कबीर और नुरुज्जमां नोमानी समेत 11 लोगों को गिरफ़्तार किया जा चुका है.
उनके मुताबिक़ इस घटना में इस्तेमाल दो विदेशी पिस्तौलों के अलावा मैगजीन, 52 राउंड गोली और खाली कारतूस भी बरामद कर लिए गए हैं. इसके साथ ही मोटरसाइकिल और उसकी नकली नंबर प्लेट भी बरामद की गई है.
पुलिस के अतिरिक्त आयुक्त ने बताया कि जांच से मिली जानकारी, खुफिया एजेंसियों की रिपोर्ट और गिरफ्तार लोगों के बयान से पता चला है कि इस घटना के बाद करीम मसूद और आलमगीर ढाका से आमीन बाज़ार गए. उसके बाद वे दोनों मानिकगंज के कलामपुर गए थे.
पुलिस का दावा है कि वहां से एक निजी कार के ज़रिए दोनों अभियुक्त मैमनसिंह के हलुआघाट पहुंचे.
वहीं अतिरिक्त आयुक्त नज़रुल इस्लाम ने बताया, “हमने अनौपचारिक माध्यम से मेघालय पुलिस के साथ संपर्क किया था. उन्होंने इस बीच पुत्ती और सामी को गिरफ्तार कर लिया है. छह लोगों ने अपना अपराध कबूल करते हुए बयान दर्ज कराए हैं जबकि चार लोगों ने धारा 164 के तहत गवाही दी है.”
जांचकर्ताओं ने पहले क्या कहा था?
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इससे पहले 22 दिसंबर को उस्मान हादी की हत्या के मामले में जांच कर रही एजेंसी डिटेक्टिव ब्रांच ने कहा था कि उसे अभी ये नहीं पता है कि हत्या के मुख्य अभियुक्त देश में हैं या नहीं.
डिटेक्टिव ब्रांच (डीबी) के प्रमुख शफीकुल इस्लाम ने बीबीसी न्यूज़ बांग्ला को बताया था कि उन्हें अभी भी मालूम नहीं है कि शरीफ़ उस्मान हादी की हत्या के मामले में मुख्य अभियुक्त फैसल करीम मसूद और उनके सहयोगी आलमगीर शेख बांग्लादेश से भागकर किसी दूसरे देश में शरण ले चुके हैं या नहीं.
तब इंक़लाब मंच ने हादी के हत्यारों को पकड़ने के लिए सरकार को 24 घंटे का अल्टीमेटम दिया था.
बांग्लादेश के छात्र नेता शरीफ़ उस्मान हादी की मौत के बाद राजधानी ढाका के कई इलाक़ों में 18 दिसंबर को हिंसा भड़क गई थी.
प्रदर्शनकारियों ने 20 दिसंबर को कहा था, “अगर गृह मामलों के सलाहकार मोहम्मद जहांगीर आलम चौधरी और मुख्य सलाहकार के विशेष सहायक ख़ुदा बख्श चौधरी 21 दिसंबर की शाम तक इस मुद्दे पर जानकारी देने में विफल रहते हैं तो उन्हें 24 घंटे के भीतर इस्तीफ़ा देना होगा.”
डिटेक्टिव ब्रांच के प्रमुख इस्लाम ने बीबीसी बांग्ला को बताया था, “हमने घटना को अंजाम देने वाले व्यक्ति और घटना को अंजाम देने में इस्तेमाल किए गए हथियार और मोटरसाइकिल बरामद कर लिए हैं. कई अभियुक्तों को गिरफ्तार भी कर लिया गया है. उनसे पूछताछ के बाद, अब हम अन्य अभियुक्तों के बारे में जानकारी जुटाने की कोशिश कर रहे हैं.”
पुलिस ने क्या कहा था?

वहीं, पुलिस अधिकारियों का कहना है कि अभियुक्त फैसल करीम मसूद और उनके सहयोगी आलमगीर शेख प्रतिबंधित छात्र लीग की राजनीति में शामिल थे.
पुलिस ने कहा कि हादी की हत्या के मामले में अब तक एक दर्जन लोगों को गिरफ्तार किया जा चुका है, जिनमें मुख्य अभियुक्त के परिवार के कई सदस्य भी शामिल हैं.
तब पुलिस ने दावा किया था कि उनके लिए कानूनी रूप से देश से भागना संभव नहीं था क्योंकि उनके पासपोर्ट पहले ही ब्लॉक कर दिए गए थे.
लेकिन जांच में जुटी पुलिस के पास इस बात की कोई साफ़ जानकारी नहीं थी कि हत्या के मामले में मुख्य अभियुक्त अवैध रूप से सीमा पार करके किसी दूसरे देश में चले गए हैं या नहीं.
कौन थे शरीफ़ उस्मान हादी?
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शरीफ़ उस्मान हादी 12 दिसंबर को ढाका में हुई गोलीबारी में गंभीर रूप से घायल हो गए थे. उन्हें बेहतर इलाज के लिए सिंगापुर भेजा गया था. लेकिन 18 दिसंबर को इलाज के दौरान उनकी मृत्यु हो गई.
शनिवार को हादी को ढाका विश्वविद्यालय में राष्ट्रीय कवि काज़ी नजरुल इस्लाम की समाधि के बगल में दफ़नाया गया.
पिछले साल अगस्त में बांग्लादेश की पूर्व प्रधानमंत्री शेख़ हसीना के ख़िलाफ़ उग्र छात्र आंदोलन के प्रमुख चेहरों में से एक थे.
वह शेख़ हसीना विरोधी इंक़लाब मंच के सदस्य थे. फ़रवरी में होने वाले चुनावों के लिए वो भी संभावित उम्मीदवार थे और हमले के समय ढाका-8 सीट से निर्दलीय उम्मीदवार के तौर पर प्रचार कर रहे थे.
इंक़लाब मंच पिछले साल जुलाई में हुए बांग्लादेश छात्र आंदोलन के दौरान चर्चा में आया था.
इस समूह को कट्टरपंथी संगठन कहा गया है और यह अवामी लीग को कमज़ोर करने की कोशिशों में आगे रहा है.
छात्र आंदोलन में भूमिका के बावजूद, यूनुस सरकार ने इस मंच को भंग कर दिया था और राष्ट्रीय चुनाव लड़ने पर रोक लगा दी थी.
हालांकि, मुख्य सलाहकार मोहम्मद यूनुस, सलाहकार परिषद के सदस्यों, विभिन्न राजनीतिक दलों के नेताओं और कार्यकर्ताओं सहित बड़ी संख्या में लोग उनके अंतिम संस्कार में शामिल हुए थे.
बांग्लादेश के अख़बार दैनिक ट्रिब्यून के अनुसार, मोहम्मद यूनुस ने कहा था, “हादी, आप कभी भुलाए नहीं जाएंगे. कोई भी आपको भूल नहीं पाएगा. पीढ़ियों तक आप हमारे साथ रहेंगे. आज हम यहां ये वादा करने आए हैं कि जिस चीज़ के लिए आप खड़े रहे, उसे हम पूरा करेंगे. सिर्फ़ हम नहीं बल्कि बांग्लादेश की जनता ये ज़िम्मेदारी लेगी.”
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.