इमेज स्रोत, Getty Images
भारत महिला वनडे वर्ल्ड कप में दक्षिण अफ्रीका से तीन विकेट से हार ज़रूर गया लेकिन इस हार के बावजूद ऋचा घोष की विस्फोटक पारी को हमेशा याद रखा जाएगा.
उन्होंने 77 गेंदों में 11 चौकों और चार छक्कों से 94 रन की पारी खेलकर भारत की नैया को किनारे लाने का प्रयास किया जो आख़िर में डूब गई.
ऋचा के इस विस्फोटक अंदाज़ के पीछे कहीं न कहीं पिता मानवेंद्र घोष की अहम भूमिका है.
असल में बचपन में कोच तो ड्राइव लगाने, गेंद को मैदान पर नीचे रखने और बेसिक्स पर ध्यान लगाते थे पर मानवेंद्र बेटी से कहते थे कि ‘तू बिंदास मार’. इस प्रोत्साहन की वजह से ही आज हमारे सामने विस्फोटक अंदाज़ वाली ऋचा खड़ी हैं.
ऋचा जब खेलने आईं तो भारत ने 102 रनों पर छह विकेट गंवा दिए थे और भारतीय पारी के 150-175 तक खिंचना भी मुश्किल लग रहा था. लेकिन ऋचा के अंदाज़ ने पारी की रंगत ही बदल दी.
इमेज स्रोत, Getty Images
ऋचा ने बनाया विश्व रिकॉर्ड
ऋचा घोष ने वनडे मैचों में आठवें नंबर पर बल्लेबाज़ी का नया रिकॉर्ड बनाया है.
ऋचा के 94 रनों से पहले दक्षिण अफ्रीका की ही क्लोई ट्रायोन के नाम 74 रन बनाने का रिकॉर्ड था. यह रिकॉर्ड उन्होंने श्रीलंका के खिलाफ इसी साल 9 मई को बनाया था.
ऋचा का यह विश्व कप का सर्वश्रेष्ठ स्कोर है, वहीं वनडे करियर का दूसरा सर्वश्रेष्ठ स्कोर है. उनका सर्वश्रेष्ठ प्रदर्शन 96 रनों का है, जिसे उन्होंने 2023 में ऑस्ट्रेलिया के ख़िलाफ़ मुंबई के वानखेड़े स्टेडियम में बनाया था.
ऋचा के लिए विश्व कप और वनडे करियर में पहला शतक जमाने का बेहतरीन मौक़ा था, पर टीम स्कोर को ज़्यादा से ज़्यादा आगे ले जाने के प्रयास में वह शतक से छह रन दूर रह गईं.
इमेज स्रोत, Getty Images
मध्य क्रम की असफलता को ऋचा ने कैसे थामा?
भारतीय टीम की पतली हालत होने के बीच ऋचा घोष खेलने उतरी थीं. शायद इसी दबाव की वजह से उन्हें अपनी पहली छह गेंदें बिना किसी स्कोर के खेलनी पड़ीं. यह वह समय था जब विशाखापत्तनम के वीडीसीए स्टेडियम में एकदम से शांति छा गई थी.
ऋचा ने जब ट्रायोन पर लॉफ्टेड शॉट से अपना खाता खोला, तब जाकर दर्शकों की आवाज़ सुनाई देने लगी. इस शॉट से उन्होंने 86 गेंदों से चौके से चली आ रही दूरी को खत्म किया. पर फिर भी वह संभलकर खेल रही थीं और उन्होंने 21 गेंदों में 11 रन ही बनाए थे.
दक्षिण अफ़्रीकी गेंदबाज़ सेखुखुने की गेंदबाज़ी भारतीय बल्लेबाज़ों के लिए मुश्किल बन रही थी, पर ऋचा ने इसका तोड़ स्वीप लगाकर निकाला.
सही मायनों में वह अर्धशतक तक संभलकर खेलती रहीं और इसके बाद जो आक्रामक रुख़ अपनाया, वैसा महिला क्रिकेट में कम ही देखने को मिलता है.
ऋचा ने इस पारी के दौरान दिखाया कि वह विपक्षी टीम की ओर से जमाई फील्डिंग का फ़ायदा उठाना जानती हैं. आख़िरी ओवरों में अयाबोंगा खाका ऑफ़ स्टंप के बाहर फुल लेंथ गेंदबाज़ी कर रही थीं, पर ऋचा ने बैकफुट पर शरीर का वजन पीछे ले जाकर चौके लगाकर सभी को अचरज में डाल दिया.
इमेज स्रोत, Getty Images
जब गेंदबाज़ी करने लगी थीं ऋषा
ऋचा घोष पश्चिम बंगाल के सिलीगुड़ी से ताल्लुक रखती हैं. इस शहर के ही पूर्व भारतीय विकेट कीपर रिद्धिमान साहा भी हैं और उनसे प्रभावित होकर ही ऋचा ने शुरू से ही विकेटकीपर बल्लेबाज़ करियर पर फोकस किया.
सीनियर टीम के कैंप में जाने पर कोच ने उन्हें विकेटकीपिंग के बजाय गेंदबाज़ी करने की सलाह दे डाली और वह गेंदबाज़ी करने लगीं. उन्होंने बंगाल के लिए खेलते समय कई बार गेंदबाज़ी की है. लेकिन 2020 में भारतीय टी-20 टीम में चयन होने पर उन्होंने फिर से विकेटकीपिंग करना शुरू कर दिया और फिर कभी इस ज़िम्मेदारी से अपने को अलग नहीं किया.
इमेज स्रोत, Getty Images
पिता बनाना चाहते थे टेबल टेनिस खिलाड़ी
आमतौर पर क्रिकेटर पहले आयु वर्ग क्रिकेट खेलने के बाद सीनियर टीम में स्थान बनाते हैं, पर ऋचा की कहानी इससे उलट है.
ऋचा ने सीनियर टीम के साथ टी-20 विश्व कप और फिर वनडे विश्व कप खेलने के बाद 2023 में अंडर-19 विश्व कप खेला.
ऋचा के अंडर-19 विश्व कप में खेलने के समय भारतीय टीम शेफाली वर्मा की अगुवाई में चैंपियन बनी थी. इस विश्व कप में भाग लेने तक वह विश्व स्टार का दर्जा हासिल कर चुकी थीं.
ऋचा घोष के पिता उसे टेबल टेनिस खिलाड़ी बनाना चाहते थे और उन्होंने उसका बचपन में ही टेबल टेनिस अकादमी में एडमिशन भी करा दिया था. पर ऋचा का टेबल टेनिस में मन नहीं लगा, क्योंकि वह क्रिकेटर ही बनना चाहती थीं.
मानवेंद्र घोष खुद भी क्लब स्तर के क्रिकेटर रहे हैं. वह जब क्लब में अभ्यास करने जाते थे, तो चार साल की उम्र से ही ऋचा को भी साथ ले जाने लगे क्योंकि अन्य खिलाड़ियों के बच्चे भी आते थे.
सिलीगुड़ी में महिला क्रिकेट के प्रशिक्षण की व्यवस्था न होने की वजह से ही वह बेटी को क्रिकेटर नहीं बनाना चाहते थे, पर बेटी की इच्छा जाहिर करने पर पिता ने पहले लड़कों के साथ खिलाया और फिर उसे कोलकाता ले जाकर प्रशिक्षण दिलाना शुरू किया, जिसका परिणाम हम सभी के सामने है.
पिता को बेटी की क़ाबिलियत पर भरोसा था, इसलिए उसे क्रिकेटर बनाने की ख़ातिर कुछ समय के लिए अपना व्यापार बंद करना पड़ा. पर ऋचा के भारतीय टीम में आ जाने के बाद पिता ने फिर से अपना व्यापार शुरू कर दिया है.
इमेज स्रोत, Getty Images
भारतीय टीम में आते ही किया धमाका
ऋचा घोष ने भारतीय टी-20 टीम में खेलने के बाद 18 साल की उम्र तक पहुंचते-पहुंचते वनडे टीम में भी स्थान बना लिया था. उन्होंने जल्द ही भारतीय खिलाड़ियों में सबसे तेज़ अर्धशतक लगाकर अपने आगमन का एलान कर दिया. यह बात है 2021 की.
ऋचा घोष ने मात्र 26 गेंदों में अर्धशतक बनाकर रूमेली धर के लंबे समय से बने रिकॉर्ड को तोड़ दिया. रूमेली ने 2008 में श्रीलंका के ख़िलाफ़ 28 गेंदों में अर्धशतक पूरा करके नया रिकॉर्ड बनाया था.
ऋचा के नाम टी-20 क्रिकेट में संयुक्त रूप से सबसे तेज़ अर्धशतक लगाने का रिकॉर्ड दर्ज है. उन्होंने दिसंबर 2024 में वेस्ट इंडीज के खिलाफ मात्र 18 गेंदों में अर्धशतक ठोक दिया था. इसमें उन्होंने तीन चौके और पांच छक्के लगाए थे.
इमेज स्रोत, Getty Images
धोनी को मानती हैं अपना आदर्श
ऋचा हमेशा कहती हैं कि उनके आदर्श महेंद्र सिंह धोनी हैं और वह उन्हें शॉट्स खेलते देखकर ही बड़ी हुई हैं. वह कहती हैं कि मैंने बचपन से ही धोनी का अनुसरण किया है और देखती थी कि वह मैचों को किस तरह फिनिश करते हैं.
हालांकि ऋचा को अपने आदर्श धोनी से नहीं मिल पाने का मलाल रहा है, पर वह अपने आदर्श धोनी की ही तरह आख़िर तक विकेट पर टिके रहकर जीत के साथ लौटने में विश्वास रखती हैं. वह धोनी की तरह ही लंबे छक्के लगाने में भी माहिर हैं.
ऋचा का वैसे तो यह शुरुआती करियर है. वह अगर इसी तरह खेलती रहीं तो दुनिया में अपने झंडे गाड़ने में कामयाब हो सकती हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित