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एक छोटी सी ‘चिप’ बन सकती हैं कई देशों के बीच कोल्ड वॉर का कारण, जानें क्यों कहा जाता है ‘टेक्नोलॉजीकल फ्यूल’

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Jun 8, 2025


Semiconductor Chip सेमीकंडक्टर चिप का उपयोग मोबाइल लैपटॉप और आधुनिक युद्ध में महत्वपूर्ण है। 2019 में यह उद्योग 35 लाख करोड़ का था जो 2022 में 50 लाख करोड़ हो गया। 2032 तक 170 लाख करोड़ होने की संभावना है। अमेरिका और चीन में सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को लेकर तनाव है। भारत सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम के तहत सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को बढ़ावा दे रहा है।

डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। मोबाइल से लेकर लैपटॉप समेत ज्यादातर इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में सेमीकंडक्टर चिप का इस्तेमाल होता है। यही वजह है कि दुनिया में सेमीकंडक्टर चिप की मांग तेजी से बढ़ रही है। भारत भी सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम के तहत सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री को बूस्ट देने की कोशिश कर रही है।

सेमीकंडक्टर चिप का इस्तेमाल

सेमीकंडक्टर चिप को ‘टेक्नोलॉजीकल फ्यूल’ भी कहा जाता है। इसका इस्तेमाल कई इलेक्ट्रॉनिक उपकरणों में होता है। इस लिस्ट में मोबाइल, लैपटॉप, एआई, ड्राइवरलेस गाड़ियां, 5जी और 6जी नेटवर्क डिफेंस और सैटेलाइट टेक्नोलॉजी का नाम शामिल है। वहीं मॉर्डन वॉरफेयर के जमाने में ड्रोन, मिसाइल, सुपरकंप्यूटर और निगरानी सिस्टम में भी चिप का उपयोग बेहद अहम माना जाता है।
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सेमीकंडक्टर चिप का बढ़ता बाजार

सेमीकंडक्टर चिप का बाजार तेजी से तरक्की कर रहा है। बता दें कि 2019 में सेमीकंडक्टर चिप का उद्योग 35 लाख करोड़ रुपए का था, जो 2022 में बढ़कर 50 लाख करोड़ रुपए का हो गया था। 2032 तक यह बाजार बढ़कर 170 लाख करोड़ रुपए तक होने की संभावना है।

अमेरिका और चीन में बढ़ा टकराव

सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री मौजूदा समय में अमेरिका और चीन के बीच तनातनी का कारण बन गई है। चीन सेमीकंडक्टर चिप की मदद से आर्टिफिशियल इंटेलिजेंस और मिलिट्री टेक्नोलॉजी में बढ़त बनाने की कोशिश कर रहा है। ऐसे में चीन को रोकने के लिए अमेरिका ने न सिर्फ चिप्स एंड साइंस एक्ट लॉन्च किया है बल्कि चीन पर कई तरह के बैन भी लगा दिए हैं।

कहां बनती है सेमीकंडक्टर चिप?

बता दें कि वर्तमान में सेमीकंडक्टर चिप अमेरिका में डिजाइन की जाती हैं। ताइवान और दक्षिण कोरिया भी बड़ी तादाद में सेमीकंडक्टर चिप बनाते हैं। हालांकि, सेमीकंडक्टर चिप की पैकेजिंग और असेंबली का काम चीन में किया जाता है। हालांकि चीन और ताइवान के बीच बढ़ते तनाव के कारण सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री पर भी खतरा मंडरा रहा है।

ऑटो इंडस्ट्री को हुआ था करोड़ों का नुकसान

सेमीकंडक्टर चिप की अहमियत का अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि कोरोना महामारी के दौरान सेमीकंडक्टर चिप की मैन्यूफैक्चरिंग में गिरावट दर्ज हुई थी, जिससे ऑटो इंडस्ट्री को 15 लाख करोड़ रुपए का नुकसान हुआ था।

भारत में सेमीकंडक्टर चिप

भारत वर्तमान में सेमीकंडक्टर चिप दूसरे देशों से आयात करता है। हालांकि जनवरी 2025 में भारत सरकार ने देश में सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री बनाने की घोषणा की थी। सेमीकॉन इंडिया प्रोग्राम के तहत भारत को सेमीकंडक्टर इंडस्ट्री के लिए 76,000 करोड़ से ज्यादा का निवेश मिल चुका है। 2024-25 के बजट में भी भारत सरकार ने 3,000 करोड़ रुपए का प्रावधान किया था।
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