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भारतीय वायुसेना के एयर चीफ़ मार्शल अमर प्रीत सिंह का कहना है कि हमें ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारत को हुए नुक़सान की बात नहीं करनी चाहिए.
भारतीय वायुसेना की 93वीं वर्षगांठ के मौक़े पर दिल्ली में आयोजित एक प्रेस कॉन्फ्रेंस में एयर चीफ़ मार्शल ने कहा, “उन्होंने (पाकिस्तान ने) कहा हमने इतने जेट गिराए, आपने कुछ नहीं कहा. मैं अब भी कुछ नहीं बोल रहा हूं और न ही कुछ बोलना चाहूंगा. अगर वे सोचते हैं कि हमारे 15 जेट गिराए हैं, तो उनको सोचने दो.”
अमर प्रीत सिंह ने सवाल उठाते हुए कहा कि भारत के नुक़सान पर बात क्यों होनी चाहिए.
उन्होंने कहा, “मुझे इस बारे में क्यों बात करनी चाहिए? मैं उसके बारे में आज भी कुछ नहीं बोलूंगा कि क्या हुआ, कितना नुक़सान हुआ. कुछ नहीं बताना चाहिए क्योंकि उनको पता करने दो. हम भी कुरेद-कुरेद के निकाल रहे हैं कि हम क्या कर पाए हैं, तो उनको भी निकालने दो.”
उन्होंने यह भी कहा, “आपने कोई एक तस्वीर ऐसी देखी है जिससे लगा हो कि हमारे एयरबेस में कुछ गिरा है. इतनी सारी तस्वीरें हमने उधर (पाकिस्तान) की दिखा दी वैसी एक भी तस्वीर वो नहीं दिखा पाए हमें. उनका जो नैरेटिव है वो मनोहर कहानियां हैं.”
पाकिस्तान के नुक़सान पर क्या बोले?
एयर चीफ़ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने कहा कि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान किए गए हवाई हमलों में पाकिस्तान के 4 से 5 लड़ाकू विमान, जो ज़्यादातर एफ़-16 थे, ज़मीन पर ही नष्ट हो गए.
उन्होंने बताया कि वायुसेना ने पाकिस्तान के कई एयरबेस को निशाना बनाया, जिनमें रडार, कमांड सेंटर, रनवे, हैंगर और सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइल सिस्टम को नुक़सान पहुंचाया गया.
यह पाकिस्तान के लड़ाकू विमानों के मॉडल से संबंधित पहली पुष्टि है, जिनके ऑपरेशन सिंदूर में नष्ट होने का दावा किया गया. इससे पहले, 9 अगस्त को बेंगलुरु में 16वें एयर चीफ़ मार्शल एल एम कात्रे मेमोरियल लेक्चर में अपने भाषण के दौरान एयर चीफ़ मार्शल ने कहा था कि कम से कम पांच लड़ाकू विमान और एक बड़ा विमान नष्ट हुआ, लेकिन उनका मॉडल नहीं बताया था.
अमर प्रीत सिंह ने कहा, “जहां तक पाकिस्तान के नुकसान की बात है, हमने उनके कई ठिकानों को निशाना बनाया. इन हमलों में कम से कम चार जगहों पर रडार, दो जगहों पर कमांड एंड कंट्रोल सेंटर, दो रनवे और तीन अलग-अलग स्टेशनों पर तीन हैंगर को नुक़सान हुआ. हमारे पास एक सी-130 श्रेणी के विमान और कम से कम 4-5 लड़ाकू विमानों, जो ज़्यादातर एफ-16 थे, के सबूत हैं. उस वक़्त वहां एफ-16 मौजूद थे, जो मरम्मत में थे.”
एयर चीफ़ मार्शल का कहना है कि ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के दौरान भारतीय वायुसेना की आधुनिक लंबी दूरी की सतह से हवा में मार करने वाली मिसाइलों (एसएएम) ने पाकिस्तान को उसकी अपनी सीमा में भी एक निश्चित दूरी तक ऑपरेट करने से रोक दिया.
अमर प्रीत सिंह ने कहा, “हमारी लंबी दूरी के एसएएम सिस्टम को हमने हाल ही में ख़रीदा और इस्तेमाल में लाया. इसके कारण हम उनकी सीमा के भीतर काफ़ी दूर तक नज़र रख सके. इससे हम यह सुनिश्चित कर सके कि वे अपनी ही सीमा में भी एक तय दूरी से आगे न बढ़ पाएं. इतिहास में दर्ज होगा कि हमने 300 किलोमीटर से ज़्यादा दूरी पर मौजूद टारगेट को निशाना बनाया.”
हालांकि, संघर्ष के बाद पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ ने ऑपरेशन सिंदूर को ‘एक्ट ऑफ़ वॉर’ बताया था और जवाबी कार्रवाई की बात कही थी.
पाकिस्तान सेना ने कहा था कि जवाबी कार्रवाई ‘ऑपरेशन बनयान-उन-मर्सोस’ में उनकी तरफ़ से भारत के 26 सैन्य ठिकानों को निशाना बनाया गया था. इनमें पठानकोट, अंबाला, उधमपुर, श्रीनगर, बठिंडा, आदमपुर, अंवतिपुर, सूरतगढ़ और सिरसा शामिल थे.
इसके अलावा पाकिस्तानी सेना का दावा था कि उसके दर्जनों ड्रोन भारत की राजधानी नई दिल्ली सहित प्रमुख भारतीय शहरों के ऊपर मंडराते रहे.
पाकिस्तानी सेना के प्रवक्ता ने कहा था कि उन्होंने नगरोटा में ब्रह्मोस मिसाइल के भंडारण वाली जगह और आदमपुर में एस-400 डिफ़ेंस सिस्टम पर सफलतापूर्वक हमला किया था.
हालांकि, भारत की तरफ़ से एयर मार्शल एके भारती ने पाकिस्तान के दावे पर कोई स्पष्ट प्रतिक्रिया नहीं दी थी और न ही रफ़ाल के नुक़सान की बात मानी थी.
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भारत के नुक़सान पर क्या बोले?
एयर चीफ़ मार्शल अमर प्रीत सिंह ने भारत के नुक़सान का ज़िक्र नहीं किया, लेकिन इससे पहले वरिष्ठ सैन्य अधिकारियों ने माना था कि ऑपरेशन के दौरान भारतीय वायुसेना ने विमान खोए. भारत सरकार ने न तो इसकी पुष्टि की है और न ही इनकार किया है.
मई में भारत के चीफ़ ऑफ़ डिफ़ेंस स्टाफ़ (सीडीएस) जनरल अनिल चौहान ने पाकिस्तान के साथ हुए सैन्य संघर्ष के दौरान भारत के लड़ाकू विमान गिराए जाने के सवालों पर जवाब दिया था.
जनरल चौहान ने ब्लूमबर्ग टीवी को दिए इंटरव्यू में कहा था, “मुझे लगता है कि जो ज़रूरी है वो ये नहीं कि जेट गिराए गए बल्कि ये कि वो क्यों गिराए गए.” लेकिन सीडीएस ने विमानों की संख्या के बारे में कोई जवाब नहीं दिया.
हालांकि, उन्होंने पाकिस्तान की ओर से छह विमानों को नुक़सान पहुंचने के दावे को सिरे से ख़ारिज किया था.
सीडीएस अनिल चौहान शांगरी-ला डायलॉग में हिस्सा लेने के लिए सिंगापुर पहुंचे थे और यहीं उन्होंने ब्लूमबर्ग को इंटरव्यू दिया था.
10 जून को वह जकार्ता के एक विश्वविद्यालय के सेमिनार में शामिल हुए थे जिसका विषय ‘भारत-पाकिस्तान हवाई जंग का विश्लेषण और वायु शक्ति के मामले में इंडोनेशिया की पूर्वानुमान रणनीतियां’ था.
इस सेमिनार में अपनी प्रेज़ेंटेशन के दौरान भारत के डिफ़ेंस अताशे ने कहा था कि ‘राजनीतिक नेतृत्व’ के आदेश के कारण कुछ ‘बाधाओं’ के मद्देनज़र, भारतीय वायु सेना प्रारंभिक चरण के अभियान में पाकिस्तानी सैन्य प्रतिष्ठानों पर हमला नहीं कर सकी.
उन्होंने कहा, “लेकिन नुक़सान के बाद हमने अपनी रणनीति बदल दी और सैन्य प्रतिष्ठानों की ओर बढ़े तो हमने सबसे पहले दुश्मन के एयर डिफ़ेंस को नष्ट किया. इसी वजह से हम ज़मीन से ज़मीन पर हमला करने वाली मिसाइलों और ब्रह्मोस मिसाइलों का इस्तेमाल करके हमले कर सके.”
इसके बाद भारतीय दूतावास ने बयान जारी कर कहा है कि उनके बयान को संदर्भ से हटकर पेश किया गया है और मीडिया रिपोर्ट्स उनके बयान को ग़लत तरीक़े से पेश करती हैं.
इसके बाद जुलाई में संसद के मॉनसून सत्र में कांग्रेस पार्टी ने लोकसभा में पूछा था कि क्या भारत के रफ़ाल जेट पाकिस्तान ने मार गिराए थे?
लोकसभा में जवाब देते हुए रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा, “उन्हें पूछना चाहिए: क्या भारत ने आतंकी ठिकाने नष्ट किए? हां. क्या ऑपरेशन सिंदूर सफल रहा? हां. क्या उन आतंकियों के आकाओं को ख़त्म किया गया जिन्होंने हमारी बहनों के माथे से सिंदूर मिटाया था? हां. क्या हमारे सैनिकों को कोई नुकसान हुआ? नहीं. बड़ी बातों पर ध्यान दीजिए, छोटी बातों पर नहीं – वरना हम बड़ी बातों और अपने सैनिकों के सम्मान से ध्यान हटा देंगे.”
यूएन में भारत और पाकिस्तान आमने-सामने
सितंबर के आख़िर में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शहबाज़ शरीफ़ संयुक्त राष्ट्र में अपने संबोधन के दौरान कहा था, “पाकिस्तान ने अपनी पूर्वी सीमा पर दुश्मन के उकसावे का जवाब दिया और पाकिस्तान ने भारत को पहलगाम हमले की निष्पक्ष जांच की पेशकश की थी.”
पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने भारत पर पहलगाम की घटना का राजनीतिक इस्तेमाल करने का आरोप लगाया था.
उन्होंने कहा था, “हमने भारत के साथ युद्ध जीत लिया है, अब हम शांति चाहते हैं और पाकिस्तान सभी लंबित मुद्दों पर भारत के साथ व्यापक और कारगर वार्ता करने के लिए तैयार है.”
संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजनयिक पेटल गहलोत ने राइट टू रिप्लाई का इस्तेमाल करते हुए कहा कि ‘अगर तबाह रनवे, जले हैंगर जीत है तो पाकिस्तान आनंद ले सकता है.’
संयुक्त राष्ट्र में भारतीय राजनयिक पेटल गहलोत ने कहा ‘यही पाकिस्तान था जिसने ओसामा बिन लादेन को एक दशक तक छिपाए रखा.’
संयुक्त राष्ट्र महासभा में भारत की तरफ़ से विदेश मंत्री एस जयशंकर ने संबोधन दिया था. इस दौरान उन्होंने अपने भाषण में पहलगाम हमले और आतंकवाद का ज़िक्र किया.
विदेश मंत्री ने पूरे भाषण में एक बार भी पाकिस्तान का नाम नहीं लिया, लेकिन अपने बयानों से लगातार उसकी तरफ़ इशारा करते रहे.
पाकिस्तान का नाम लिए बग़ैर उन्होंने कहा, “दशकों से बड़े अंतरराष्ट्रीय आतंकी हमलों का पता उसी देश तक जाता है और संयुक्त राष्ट्र की आतंकियों की सूची ऐसे ही नागरिकों से भरी हुई है.”
जयशंकर ने अप्रैल में पहलगाम में हुए आतंकी हमले का ज़िक्र करते हुए कहा कि भारत ने अपने नागरिकों की रक्षा का अधिकार इस्तेमाल किया और दोषियों को न्याय के कटघरे में खड़ा किया.
अपने भाषण में जयशंकर ने वैश्विक सहयोग, संयुक्त राष्ट्र सुधार, ग्लोबल साउथ की स्थिति और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में भारत में हुए बदलावों पर भी विस्तार से विचार रखे.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित