सुप्रीम कोर्ट ने ड्रग्स मामले में नागालैंड सरकार द्वारा जारी एहतियातन हिरासत के आदेश को खारिज कर दिया। कोर्ट ने कहा कि इस प्रकार के आदेश बिना उचित विचार किए गए थे और ये गलत हैं। गुवाहाटी हाई कोर्ट का वह आदेश भी निरस्त कर दिया जिसमें इस हिरासत के खिलाफ याचिका खारिज की गई थी। एहतियातन हिरासत को संविधान के तहत एक सख्त उपाय माना गया है।
पीटीआई, नई दिल्ली। सुप्रीम कोर्ट ने बुधवार को एहतियातन हिरासत को सख्त उपाय बताते हुए ड्रग्स मामले में एक जोड़े को दिए गए नगालैंड सरकार के आदेश को खारिज कर दिया।
जस्टिस संजय कुमार और जस्टिस ऑगस्टीन जार्ज मसीह ने कहा कि दिमाग लगाए बिना जारी किए गए हिरासत के यह गुप्त आदेश गलत हैं। पीठ ने गुवाहाटी हाई कोर्ट के उस आदेश को खारिज कर दिया जिसमें अशरफ हुसैन चौधरी और उसकी पत्नी अदालियू चावांग की एनडीपीएस एक्ट, 1988 की धारा 3(1) के तहत हिरासत के आदेश के खिलाफ याचिका खारिज कर दी गई थी।
अदालत ने एहतियाती हिरासत पर कही ये बात
पीठ ने कहा, ”एहतियातन हिरासत एक सख्त उपाय है, जिसके अंतर्गत किसी व्यक्ति (जिसके खिलाफ ना कोई मुकदमा चला और ना ही उसे दोषी ठहराया गया) को निश्चित अवधि तक हिरासत में बंद करके रखा जा सकता है, ताकि उस व्यक्ति द्वारा प्रत्याशित आपराधिक गतिविधि को रोका जा सके।”पीठ ने कहा कि भले ही एहतियातन हिरासत को संविधान के अनुच्छेद 22(3)(बी) द्वारा मंजूरी दी गई है, लेकिन अनुच्छेद 22 में इसके लिए पालन किए जाने वाले कड़े मानदंड भी दिए गए हैं। 1988 का अधिनियम ऐसा ही एक कानून है जिसे संसद द्वारा एनडीपीएस सामग्री की अवैध तस्करी को रोकने के लिए एहतियातन हिरासत में रखने के लिए लागू किया गया था।
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