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‘ऐसा तो इंदिरा गांधी भी नहीं कर सकी थीं’, पाकिस्तान पर बोलते हुए जयशंकर ने क्यों किया पूर्व पीएम का जिक्र

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Mar 28, 2025


लोकसभा में विदेश मंत्री एस जयशंकर में पाकिस्तान और बांग्लादेश की कट्टर मानसिकता को लेकर अपने विचार साझा किए। उन्होंने कहा कि पाक और बांग्लादेश में अल्पसंख्यों की स्थिति पर भारत अपनी नजर रख रहा है। विदेश मंत्री ने कहा कि पड़ोसी देश की कट्टरपंथी और धर्मांध मानसिकता को हम नहीं बदल सकते। इंदिरा गांधी भी ऐसा नहीं कर सकीं थीं।

पीटीआई, नई दिल्ली। विदेश मंत्री एस जयशंकर ने शुक्रवार को लोकसभा में पाकिस्तान और बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर हो रहे हमलों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि नई दिल्ली पाकिस्तान में अल्पसंख्यकों के साथ किए जा रहे व्यवहार पर बहुत बारीकी से नजर रख रही है, लेकिन हम पड़ोसी देश की कट्टरपंथी और धर्मांध मानसिकता को नहीं बदल सकते।

दरअसल, प्रश्नकाल के दौरान जयशंकर ने पाकिस्तान में फरवरी में हिंदुओं पर हुए हमलों की 10 घटनाओं का इशारा किया। उन्होंने कहा कि इनमें से सात घटनाएं जबरन धर्मांतरण से जुड़ी थीं, दो अपहरण से और एक मामले में होली मना रहे छात्रों के खिलाफ पुलिस कार्रवाई हुई थी।
उन्होंने बताया कि तीन मामले सिख परिवार के खिलाफ अत्याचार के थे, जिनमें पहला परिवार पर हमला, दूसरा फिर से गुरुद्वारा खोलने पर धमकाना और तीसरा सिख समुदाय की लड़की का अपहरण और जबरन धर्मांतरण था।

बांग्लादेश में भी अल्पसंख्यकों पर भारत की नजर

इसके अलावा दो मामले अहमदिया समुदाय से और अन्य ईसाई व्यक्ति पर ईशनिंदा का मामला था। भारत ऐसे मामलों को अंतरराष्ट्रीय स्तर पर उठाता है।
विदेश मंत्री एस जयशंकर ने कहा कि पाकिस्तान की तरह हम बांग्लादेश में अल्पसंख्यकों पर नजर रखते हैं। 2024 में अल्पसंख्यकों पर हमले की 2400 घटनाएं थीं और 2025 में 72 मामले। इस मामले को अपने समकक्ष के सामने भी उठाया। बांग्लादेश दौरे के दौरान विदेश सचिव ने भी इसे उठाया। यह हमारी सरकार के लिए चिंता का विषय बना हुआ है।

इंदिरा गांधी नहीं बदल पाईं थी पाकिस्तान की मानसिकता

वहीं, क्या पाकिस्तान के खिलाफ पूर्व प्रधानमंत्री इंदिरा गांधी की तरह भारत कड़ी कार्रवाई की योजना बना रहा है, के सवाल पर जयशंकर ने कहा कि नई दिल्ली अपनी स्थिति को अच्छी तरह से बता रही है, लेकिन एक देश और सरकार के रूप में हम पड़ोसी देश की कट्टरपंथी और धर्मांध मानसिकता को नहीं बदल सकते। यहां तक कि इंदिरा गांधी भी ऐसा नहीं कर पाई थीं।
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