गृह मंत्री अमित शाह ने दिव्यांग समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों के समाधान पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि दिव्यांगों का राष्ट्र निर्माण में योगदान सुनिश्चित करना समाज की जिम्मेदारी है। शाह ने जोधपुर में पारसमल बोहरा नेत्रहीन महाविद्यालय के भवनों की आधारशिला रखी। उन्होंने दिव्यांगों के प्रति दृष्टिकोण बदलने के सरकार के प्रयासों का उल्लेख किया।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गृह मंत्री अमित शाह ने कहा कि दिव्यांग समुदाय के सामने आने वाली चुनौतियों का समाधान करने के लिए बहुत कुछ करने की आवश्यकता है। हमें ऐसा सिस्टम विकसित करना चाहिए, जहां राष्ट्र निर्माण में दिव्यांग का योगदान सुनिश्चित करना समाज की जिम्मेदारी हो।
शाह रविवार को पारसमल बोहरा नेत्रहीन महाविद्यालय के तीन भवनों की आधारशिला रखने जोधपुर आए थे। इस अवसर पर उन्होंने दिव्यांग समुदाय से संबंधित मुद्दों को हल करने और उनके प्रति दृष्टिकोण बदलने के लिए सरकार के प्रयासों का भी उल्लेख किया।
अमित शाह ने क्या कहा?
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने वर्ष 2015 में पहली बार विकलांग की जगह दिव्यांग शब्द बोलना शुरू किया। इस एक शब्द परिवर्तन से पूरे देश में दिव्यांगजन को देखने का नजरिया बदल गया।
‘कुछ भी असंभव नहीं’
गृहमंत्री ने कहा कि विभिन्न क्षेत्रों के लोगों के योगदान से छोटे प्रयास बड़े बदलाव लाते हैं। चुरू से दो बार के पैरालिंपिक स्वर्ण पदक विजेता भाला फेंकने वाले देवेंद्र झाझरिया के साथ अपनी मुलाकात का भी उन्होंने उल्लेख किया और कहा कि अगर समाज, सरकारें व एनजीओ एक साथ काम करें तो कुछ भी असंभव नहीं है। भारत ने 1960 से 2013 के बीच पैरालिंपिक्स में कुछ पदक जीते, जबकि पिछले तीन खेलों में 52 पदक जीते हैं।
उन्होंने यह भी बताया कि दिव्यांग सशक्तीकरण विभाग के लिए 2014 में 338 करोड़ का बजट था, जिसे बढ़ाकर सरकार ने 1,313 करोड़ रुपये कर दिया है।
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