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अमेरिका में अवैध तरीक़े से रह रहे भारतीय प्रवासियों को लेकर अमेरिकी सेना का एक विमान भारत पहुंच चुका है.
इस विमान में कितने भारतीय हैं इसको लेकर कोई आधिकारिक आंकड़ा अब तक सामने नहीं आया है. हालांकि मीडिया रिपोर्ट्स में ये बताया जा रहा है कि इनकी संख्या 100 से अधिक है.
डोनाल्ड ट्रंप के दूसरी बार सत्ता संभालने के बाद से ये अमेरिका में रह रहे भारतीयों का पहला निर्वासन है. भारत के अलावा अमेरिका से ब्राज़ील, ग्वाटेमाला, पेरू और होंडूरास के लोगों को भी सेना के विमान से वापस भेजा गया है.
सेना के विमान से अवैध प्रवासियों को उनके देश भेजने के फ़ैसले को लेकर डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की ख़ासी निंदा भी की गई है.
डोनाल्ड ट्रंप ने जब कोलंबिया के अवैध प्रवासियों को अमेरिकी सेना के विमान से उनके देश वापस भेजने की घोषणा की तो कोलंबिया के राष्ट्रपति गुस्तावो पेड्रो ने इसका विरोध किया.
उन्होंने कहा कि वो अपने नागरिकों की ‘गरिमा’ को बरक़रार रखना चाहते हैं. इसके बाद कोलंबिया वायु सेना के दो विमान अमेरिका गए और वो अवैध प्रवासियों को लेकर राजधानी बोगोटा पहुंचे.
इससे पहले, ब्राज़ील के अवैध प्रवासियों को उनके देश वापस भेजते समय अमेरिकी सेना के विमान की कुछ तस्वीरें भी सार्वजनिक हुई थीं जिनमें लोगों को हथकड़ियां और बेड़ियां पहनाई गई थी.
इन तस्वीरों के सामने आने के बाद डोनाल्ड ट्रंप प्रशासन की निंदा हुई थी. इसके बाद भी डोनाल्ड ट्रंप ने नरमी नहीं दिखाई और अमेरिकी सेना का इस्तेमाल अवैध प्रवासियों को उनके देश वापस भेजने में किया जा रहा है.
अब अमेरिकी सेना के विमान से अवैध भारतीय प्रवासियों को उनके देश भेजा गया है.
सेना का इस्तेमाल क्यों कर रहे हैं ट्रंप?
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डोनाल्ड ट्रंप ने 20 जनवरी को अमेरिका के राष्ट्रपति पद की शपथ लेने के बाद कई एग्ज़िक्यूटिव ऑर्डर्स पर हस्ताक्षर किए थे, जिसमें देश की सीमाओं की रक्षा के लिए अमेरिकी सेना को अधिकार दिए गए थे.
इसके अलावा उस समय अमेरिका के कार्यकारी रक्षा मंत्री रॉबर्ट सेलेसेस ने एक बयान में कहा था कि रक्षा मंत्रालय देश के गृह सुरक्षा मंत्रालय को ‘सैन्य विमान मुहैया कराएगा’ ताकि पांच हज़ार से अधिक ‘अवैध एलियंस’ को वापस भेजा जा सके.
उनके अलावा अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप भी अवैध प्रवासियों को ‘एलियंस’ और ‘अपराधी’ कह चुके हैं.
हाल ही में रिपब्लिकन पार्टी के सांसदों के साथ बात करते हुए ट्रंप ने कहा था, “इतिहास में पहली बार हम सैन्य विमान में अवैध एलियंस को चढ़ाएंगे और उड़कर वहां छोड़कर आएंगे जहां से वो आए थे. हम फिर से सम्मान चाह रहे हैं, सालों से वो हम पर हंसते रहे हैं जैसे हम बेवकूफ़ लोग हों.”
वहीं 24 जनवरी को व्हाइट हाउस की प्रेस सेक्रेटरी कैरोलिन लिएविट ने एक्स पर सैन्य विमान में हथकड़ी पहनकर चढ़ते लोगों की तस्वीरें साझा की थीं.
इसके साथ ही उन्होंने लिखा था, “डिपोर्टेशन उड़ानें शुरू हो चुकी हैं. राष्ट्रपति ट्रंप पूरी दुनिया को मज़बूत और साफ़ संदेश भेज रहे हैं कि अगर आप अमेरिका में अवैध रूप से आओगे तो आप गंभीर परिणाम भुगतोगे.”
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ये मानकर चला जा रहा है कि सेना के विमानों का इस्तेमाल कर ट्रंप सांकेतिक रूप से एक मज़बूत संदेश देना चाहते हैं.
बीते दिसंबर में उन्होंने कहा था कि वो अवैध प्रवासियों को तुरंत वापस भेजने के पक्ष में हैं, न कि उन्हें हिरासत में रखकर उन्हें क़ानूनी अपील का वक़्त दिया जाए.
उन्होंने कहा था, “मैं नहीं चाहता हूं कि वो अगले 20 साल कैंप में बैठें. मैं उन्हें बाहर चाहता हूं और उन देशों को उन्हें वापस लेना होगा.”
सेना के विमानों को आधिपत्य के संकेत के तौर पर भी देखा जाता है जिस वजह से कोलंबिया के राष्ट्रपति ने अमेरिका के विमान को अपने देश में नहीं उतरने दिया था. इसके बाद कोलंबिया का विमान अमेरिका गया था और अपने लोगों को वापस लेकर आया.
सैन्य विमानों में जबरन लोगों को बैठाकर दूसरे देश की ज़मीन पर उतरने को संप्रभुता से जोड़कर भी देखा जाता है. इसी वजह से मेक्सिको की राष्ट्रपति क्लाउडिया शीनबाम ने इस मुद्दे को लेकर बड़ा बयान दिया था.
उन्होंने कहा था, “वे अपनी सीमा के अंदर ये हरकत कर सकते हैं. जब मेक्सिको की बात आती है तो हम हमारी संप्रभुता की रक्षा करेंगे और समन्वय के लिए बातचीत की संभावनाएं तलाशेंगे.”
ट्रंप के फ़ैसले को अपनी ताक़त दिखाने के तौर पर भी देखा जा रहा है क्योंकि सेना के विमान का इस्तेमाल काफ़ी ख़र्चीला होता है.
सेना के विमान और कमर्शियल उड़ानों के ख़र्च में अंतर
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अमेरिका अब तक अवैध रूप से रह रहे लोगों को वापस भेजने के लिए कमर्शियल विमानों का बंदोबस्त करता रहा है. साथ ही इसका ज़िम्मा अमेरिका के कस्टम्स एंड इमिग्रेशन एनफ़ोर्समेंट (आईसीई) के पास रहता था.
इन उड़ानों को लेकर ख़ासी चर्चाएं भी नहीं होती थीं क्योंकि ये छोटे विमानों की उड़ानें होती थीं. लेकिन अब ट्रंप प्रशासन सेना के सी-17 ग्लोबमास्टर जैसे बड़े विमानों का इस्तेमाल अवैध प्रवासियों को वापस भेजने के लिए कर रहा है.
समाचार एजेंसी रॉयटर्स ने दोनों तरह की उड़ानों के ख़र्चों का आंकड़ा निकाला है.
इस रिपोर्ट के मुताबिक़ पिछले सप्ताह सेना ने ग्वाटेमाला के अवैध प्रवासियों को वापस भेजा था. उसमें हर यात्री पर 4675 डॉलर यानी क़रीब चार लाख रुपये का ख़र्च आया था.
ये ख़र्च ग्वाटेमाला के लिए अमेरिकन एयरलाइंस की एकतरफ़ा फ़र्स्ट क्लास टिकट की क़ीमत 853 डॉलर (तक़रीबन 74 हज़ार रुपये) से पांच गुना अधिक था.
रॉयटर्स के मुताबिक़, आईसीई के तत्कालीन कार्यकारी डायरेक्टर टाई जॉनसन ने अप्रैल 2023 में बजट पर सांसदों से कहा था कि डिपोर्टेशन की तक़रीबन पांच घंटे की फ़्लाइट में 135 अवैध प्रवासियों को भेजने का ख़र्च 17000 डॉलर (तक़रीबन 15 लाख रुपये) का आता है.
इसके मुक़ाबले अमेरिकी सेना के सी-17 मिलिट्री ट्रांसपोर्ट विमान का ख़र्चा कई गुना अधिक है. रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, इस विमान का हर घंटे का ख़र्च 28500 डॉलर (तक़रीबन 24 लाख रुपये) है.
अब तक कितने विमान हुए इस्तेमाल
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हाल में शुरू हुई डिपोर्टेशन की प्रक्रिया में अब तक की सबसे लंबी उड़ान भारत के लिए ही है. वहीं अमेरिकी सेना के विमान ग्वाटेमाला, पेरू, होंडूरास और इक्वाडोर गए हैं.
द न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक़, सिर्फ़ छह सैन्य विमानों की उड़ान अब तक अमेरिका से गई है.
ऐसी भी रिपोर्ट्स हैं कि ट्रंप प्रशासन ग़ैर-सैन्य विमानों को भी अवैध प्रवासियों को भेजने के लिए इस्तेमाल कर रहा है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.