कन्नड़ लेखिका बानू मुश्ताक को उनकी किताब हार्ट लैंप के लिए बुकर पुरस्कार से सम्मानित किया गया है। यह पहली बार है जब कन्नड़ भाषा में लिखी किसी किताब को बुकर प्राइज मिला है।
बुकर प्राइज जीतकर बानू ने इतिहास रच दिया है। बता दें कि बानू बुकर प्राइज जीतने वाली पहली कन्नड़ लेखिका बन गई हैं। आइए जानते हैं बानू मुश्ताक के बारे में.
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। भारतीय लेखिका, वकील और एक्टिविस्ट बानू मुश्ताक ने अपनी किताब ‘हार्ट लैंप’ के लिए इंटरनेशनल बुकर प्राइज जीता है। बानू मुश्ताक कर्नाटक की हैं। बानू मुश्ताक को उनकी कन्नड़ कहानी संग्रह हार्ट लैंप के लिए साल 2025 का प्रतिष्ठित बुकर प्राइज मिला है।
यह पहली बार है, जब कन्नड़ भाषा में लिखी किसी किताब को बुकर प्राइज मिला है। उन्होंने ये किताब जीतकर इतिहास रच दिया। दीपा भष्ठी ने इस किताब का कन्नड़ से अंग्रेजी में अनुवाद किया था।
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