कफ सिरप से हुई मौतों के बाद केंद्र सरकार सतर्क हो गई है। राज्यों को बच्चों के लिए खांसी की दवा के सही इस्तेमाल को सुनिश्चित करने के निर्देश दिए गए हैं। स्वास्थ्य मंत्रालय ने दवा निर्माताओं को रिवाइज्ड शेड्यूल एम का पालन करने को कहा है और उल्लंघन करने पर सख्त कार्रवाई की चेतावनी दी है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कफ सिरप से मध्य प्रदेश और राजस्थान में हुई मौतों के मद्देनजर केंद्र सरकार ने रविवार को राज्यों को निर्देश दिया कि वे खांसी की दवा का सही इस्तेमाल सुनिश्चित करें, खासकर बच्चों के मामले में। इसमें कहा गया कि अधिकांश मामलों में खांसी अपने आप ठीक हो जाती है और इसके लिए औषधीय उपचार की आवश्यकता नहीं होती है।
साथ ही केंद्रीय स्वास्थ मंत्रालय ने सभी दवा निर्माताओं को रिवाइज्ड शेड्यूल एम (आरएसएम) का पालन करने को कहा। चेताया कि उल्लंघन करने वालों से सख्ती से निपटा जाएगा। राज्यों को कहा गया कि जो निर्माता मानकों का पालन नहीं करते, उनके लाइसेंस रद किए जाएं।
उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई
स्वास्थ्य मंत्रालय के सचिव पुण्य सलिला श्रीवास्तव की अध्यक्षता में रविवार को सभी राज्यों और केंद्र शासित प्रदेशों की एक उच्च स्तरीय बैठक बुलाई गई। इसमें दवा गुणवत्ता मानकों के पालन की समीक्षा की गई और विशेष रूप से बाल चिकित्सा के मामले में कफ सीरप के सही उपयोग को बढ़ावा देने पर चर्चा की गई। बैठक में राजस्थान के प्रमुख सचिव (स्वास्थ्य) ने बताया कि राज्य की जांच से अब तक यह संकेत मिलता है कि चार मौतें कफ सीरप की गुणवत्ता से संबंधित नहीं थीं।
बाल चिकित्सा फार्मूलेशन के सही उपयोग के लिए जागरूकता अभियान चलाया जा रहा है। उधर, प्रधानमंत्री आयुष्मान भारत हेल्थ इंफ्रास्ट्रक्चर मिशन (पीएम-एबीएचआइएम) के तहत स्थापित मेट्रोपालिटन सर्विलांस यूनिट (एमएसयू) नागपुर ने ¨छदवाड़ा जिले के एक ब्लाक से जुड़े मामलों और संबंधित मौतों की जानकारी एकीकृत रोग निगरानी कार्यक्रम, राष्ट्रीय रोग नियंत्रण केंद्र (एनसीडीसी) को दी।
स्थिति को ध्यान में रखते हुए एनसीडीसी, राष्ट्रीय विषाणु विज्ञान संस्थान (एनआइवी) और केंद्रीय औषधि मानक नियंत्रण संगठन (सीडीएससीओ) के विशेषज्ञों की एक केंद्रीय टीम ने छिंदवाड़ा और नागपुर का दौरा किया और मध्य प्रदेश के अधिकारियों के साथ रिपोर्ट किए गए मामलों और मौतों का विस्तृत विश्लेषण किया। सैंपल एकत्र कर जांच को भेजे गए। प्रारंभिक निष्कर्षों में लेप्टोस्पायरोसिस के एक पाजीटिव मामले को छोड़कर अन्य सामान्य संक्रामक रोगों की संभावना को खारिज कर दिया गया है।
(न्यूज एजेंसी पीटीआई के इनपुट के साथ)
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