राज्य ब्यूरो, जागरण, कोलकाता : कलकत्ता हाई कोर्ट ने पांच साल पहले कोलकाता में एक भूमिगत नाले की सफाई के दौरान दम घुटने से मारे गए चार मजदूरों के परिवारों को 30-30 लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है। कार्यवाहक मुख्य न्यायाधीश सुजय पाल और न्यायमूर्ति चैताली चट्टोपाध्याय दास की खंडपीठ ने घटना में घायल हुए लोगों को भी पांच-पांच लाख रुपये का मुआवजा देने का आदेश दिया है।
नगर एवं शहरी विकास विभाग और कोलकाता नगर निगम को दो से तीन महीने के भीतर मुआवजा देने का आदेश दिया है। हाई कोर्ट ने कोलकाता के पुलिस आयुक्त को अपनी निगरानी में जांच करके दोषियों की पहचान करने का भी निर्देश दिया है। पुलिस आयुक्त को चार सप्ताह के भीतर हाई कोर्ट के महापंजीयक को जांच रिपोर्ट प्रस्तुत करनी होगी।
खंडपीठ ने राज्य सरकार को सफाई कर्मचारियों की सुरक्षा के लिए सर्वोच्च न्यायालय के कई आदेशों को लागू करने हेतु एक महीने के भीतर एक समिति गठित करने का भी निर्देश दिया।
मैनहोल और भूमिगत नालियों की सफाई पर 1993 में लगा था प्रतिबंध
मैनुअल स्कैवेंजिंग, यानी लोगों को नीचे उतारकर मैनहोल और भूमिगत नालियों की सफाई पर 1993 में प्रतिबंध लगा दिया गया था। मैनुअल स्कैवेंजर्स के रूप में रोजगार का निषेध और उनका पुनर्वास अधिनियम 2013 में लागू किया गया था।
कोविड-19 महामारी के दौरान, 25 फरवरी, 2021 को नगर निगम एवं शहरी विकास विभाग के अंतर्गत कोलकाता पर्यावरण सुधार निवेश कार्यक्रम के तहत दक्षिण कोलकाता के कुंदघाट इलाके में नाले की सफाई करते समय एक नाबालिग समेत चार मजदूरों की दम घुटने से मौत हो गई। दो अन्य मजदूर गंभीर रूप से बीमार पड़ गए। मानवाधिकार संगठन एपीडीआर ने कलकत्ता हाई कोर्ट में एक जनहित याचिका दायर कर ऐसी घटनाओं के निवारण की मांग की थी।