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कश्मीर मसले में दखल देगा अमेरिका! सीजफायर की घोषणा के बाद ट्रंप के बयान के मतलब समझ लीजिए – can trump solve the thousand-year-old kashmir issue questions raised on us intervention after ceasefire

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May 11, 2025


नई दिल्लीः अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भारत-पाकिस्तान के बीच कश्मीर मसले का हल निकालने की कोशिश करने की बात कही है। उन्होंने 22 अप्रैल के पहलगाम हमले के बाद दोनों देशों के बीच बढ़े तनाव को कम करने और सीजफायर के लिए राजी करने का भी श्रेय लेने की कोशिश की। कश्मीर मसले पर ट्रंप ने कहा कि शायद ‘हजार सालों’ बाद इस समस्या का कोई समाधान निकल आए। आप याद कीजिए ट्रंप ने कुछ दिनों पहले एक ट्वीट किया था और कश्मीर समस्या को 1500 साल पुराना मसला बताया था। अगर वो ऐसा मानते हैं तो कितना मुमकिन है कि वो इस मसले को सुलझाने में दोनों देशों की मदद कर पाएंगे?

ट्रंप ने आज क्या कहा, उसे जान लीजिए

भारत और पाकिस्तान के बीच हुए सीज़फायर समझौते पर अमेरिकी प्रेसिडेंट डोनाल्ड ट्रंप ने रविवार को कहा कि भारत और पाकिस्तान दोनों का नेतृत्व बहुत मजबूत है। ट्रंप ने कहा, “मुझे भारत और पाकिस्तान के मजबूत और अटूट नेतृत्व पर गर्व है। उन्होंने यह समझने की शक्ति दिखाई कि मौजूदा लड़ाई को रोकना ज़रूरी था। इससे बहुत सारे लोगों की जान बच सकती थी। लाखों निर्दोष लोग मर सकते थे! आपके बहादुर कार्यों से आपकी विरासत और भी मजबूत होगी।”

कश्मीर मुद्दे का हल निकालने की कोशिश करेंगे-ट्रंप

ट्रंप ने आगे कहा कि अमेरिका (USA) को इस ऐतिहासिक फैसले में मदद करने पर गर्व है। उन्होंने यह भी कहा कि वह भारत और पाकिस्तान दोनों के साथ व्यापार को बहुत बढ़ाएंगे। ट्रंप के अनुसार, इस बारे में पहले बात नहीं हुई थी, लेकिन अब वो ऐसा करेंगे। ट्रंप ने कश्मीर मुद्दे पर भी बात की। उन्होंने कहा कि वो दोनों देशों के साथ मिलकर कश्मीर मुद्दे का हल निकालने की कोशिश करेंगे। उन्होंने कहा कि शायद ‘हजार सालों’ बाद इस समस्या का कोई समाधान निकल आए। डोनाल्ड ट्रंप ने आखिर में भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व को बधाई दी। उन्होंने कहा, “भगवान भारत और पाकिस्तान के नेतृत्व को आशीर्वाद दें। उन्होंने बहुत अच्छा काम किया!!!”

ट्रंप ने कश्मीर मसले को 1500 साल पुराना बता दिया

इससे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति ने कहा था, “मैं भारत के बहुत करीब हूं और मैं पाकिस्तान के भी बहुत करीब हूं, और कश्मीर में वे एक हजार साल से लड़ रहे हैं। कश्मीर एक हजार साल से चल रहा है, शायद उससे भी ज्यादा समय से। वह एक बुरा हमला था (आतंकवादी हमला)। उस सीमा पर 1,500 साल से तनाव है। यह वैसा ही रहा है, लेकिन मुझे यकीन है कि वे इसे किसी न किसी तरह से सुलझा लेंगे। मैं दोनों नेताओं को जानता हूं। पाकिस्तान और भारत के बीच बहुत तनाव है, लेकिन हमेशा से रहा है।”

कश्मीर कोई बाइबिल का 100 साल पुराना झगड़ा नहीं

कश्मीर मसले को सुलझाने में मदद करने के ट्रंप के इस प्रस्ताव कांग्रेस लीडर मनीष तिवारी ने कहा कि यह कोई “बाइबिल का 1000 साल पुराना झगड़ा” नहीं है। यह तो सिर्फ 78 साल पहले शुरू हुआ था।

मनीष तिवारी ने X पर एक पोस्ट किया। उन्होंने लिखा, “अमेरिका में किसी को राष्ट्रपति ट्रंप को बताना चाहिए कि कश्मीर कोई 1000 साल पुराना झगड़ा नहीं है। यह 22 अक्टूबर, 1947 को शुरू हुआ था। तब पाकिस्तान ने जम्मू और कश्मीर पर हमला किया था। महाराजा हरि सिंह ने 26 अक्टूबर, 1947 को इसे पूरी तरह से भारत को सौंप दिया था। इसमें वो इलाका भी शामिल है, जिस पर पाकिस्तान ने अवैध कब्जा कर रखा है। इस आसान सी बात को समझना इतना मुश्किल क्यों है?”

ट्रंप के बयानों का पुराना इतिहास

बहरहाल, ट्रंप के बयानों का पुराना इतिहास बताता है कि वह अपनी बात से पलट जाते हैं। ट्रंप के राष्ट्रपति कार्यकाल के दौरान Washington Post जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों ने यह ट्रैक किया कि उन्होंने झूठे या भ्रामक दावे किए। इससे उनकी विश्वसनीयता पर संदेह हुआ। ट्रंप कई बार एक ही विषय पर अलग-अलग समय में विरोधाभासी बातें करते हैं, जिससे लोगों को लगता है कि वे अपनी सुविधा के अनुसार बयान बदलते हैं। वे कई बार गंभीर आरोप लगाते हैं (जैसे चुनाव चोरी होने का दावा) बिना ठोस सबूत के। अदालतों में ऐसे दावे बार-बार खारिज हुए हैं। ट्रंप अक्सर ऐसा बोलते हैं जिससे उनके समर्थकों में जोश भरता है, लेकिन वो बातें तर्क या तथ्यों पर कम, भावनाओं और उत्तेजना पर ज़्यादा आधारित होती हैं। उनके आलोचक मानते हैं कि ट्रंप तथ्यों को तोड़-मरोड़कर प्रस्तुत करते हैं ताकि वे अपने राजनीतिक एजेंडे को आगे बढ़ा सकें, न कि सच्चाई बताने के लिए। ऐसे में ट्रंप कश्मीर मसले पर कितने कारगार शामिल होंगे कहना मुश्किल है।

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