जयप्रकाश रंजन, नई दिल्ली। पहलगाम हमले के बाद कई देश भारत पर इसकी जांच कराने या पाकिस्तान के साथ संवाद करके शांति स्थापित करने का सुझाव दे रहे हैं, लेकिन भारत ने इन देशों को स्पष्ट कर दिया है कि वह किसी भी दबाव में नहीं आएगा।
आतंकियों को पनाह देने वालों को भी मिलेगा दंड
भारत ने अमेरिका समेत इन देशों को साफ कर दिया है कि न सिर्फ निर्दोष पर्यटकों पर गोली बरसाने वाले आतंकियों, बल्कि उनको पनाह देने वालों को भी दंड मिलेगा। विदेश मंत्री एस. जयशंकर ने भारत की इसी भावना को अपने अमेरिकी समकक्ष मार्को रूबियो को और रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने अमेरिका के रक्षा मंत्री पीट हेगसेथ को अवगत करा दिया है।
भारत और अमेरिका के रक्षा व विदेश मंत्रियों की पिछली 24 घंटे में अलग-अलग बात हुई है। विदेश मंत्री रूबियो और रक्षा मंत्री हेगसेथ ने पहलगाम हमले की निंदा की और भारत के गुस्से को भी समझा, लेकिन जयशंकर और राजनाथ सिंह के रुख से साफ है कि भारत इससे संतुष्ट नहीं हैं।
रूबियो ने जयशंकर और पाक पीएम से बात की
रूबियो ने जयशंकर के अलावा पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मुहम्मद शहबाज शरीफ से भी अलग से बात की और दोनों देशों को सीधा संवाद करने व हमले की निष्पक्ष जांच करने को कहा।
राजनाथ सिंह ने गुरुवार को अमेरिकी रक्षा मंत्री के समक्ष आतंकवाद को प्रश्रय देने को लेकर पाकिस्तान का पूरा कच्चा चिट्ठा खोल दिया। उन्होंने बताया कि आतंकवाद को बढ़ावा देने और हर तरह की मदद करने का पाकिस्तान का पुराना इतिहास रहा है। इसमें आतंकी संगठनों को प्रशिक्षण एवं वित्त पोषण शामिल है।
आतंकवाद के विरुद्ध उसकी लड़ाई में पूरा समर्थन करता है अमेरिका
आगे कहा कि पाकिस्तान एक अराजक देश है जो वैश्विक आतंकवाद का पोषण करता है और इस क्षेत्र को अस्थिर करता है। विश्व अब आतंकवाद से आंखें नहीं मूंद सकता। वैश्विक समुदाय के लिए यह महत्वपूर्ण है कि वह आतंकवाद के ऐसे जघन्य कृत्यों की स्पष्ट रूप से निंदा और विरोध करे। अमेरिकी रक्षा मंत्री ने कहा कि वह भारत के आत्मरक्षा के अधिकार और आतंकवाद के विरुद्ध उसकी लड़ाई में पूरा समर्थन करता है।
वहीं, रूबियो से बुधवार को टेलीफोन पर वार्ता के बाद जयशंकर ने गुरुवार को कहा, ‘पहलगाम आतंकी हमले पर अमेरिका के विदेश मंत्री से बात हुई है। इसको अंजाम देने वालों, इनको बढ़ावा देने वालों और योजना बनाने वालों को न्याय प्रक्रिया से गुजरना होगा।’
भारत 24 से 36 घंटे के भीतर हमला करने वाला है
जानकारों का कहना है कि जब से पाकिस्तान के संचार मंत्री अताउल्लाह तरार ने बुधवार तड़के दो बजे यह बयान जारी किया कि भारत 24 से 36 घंटे के भीतर हमला करने वाला है, तभी से अमेरिका की सक्रियता बढ़ गई है।
रूबियो की शहबाज शरीफ से वार्ता के बारे में अमेरिका ने कहा कि विदेश मंत्री ने पाकिस्तान को 22 अप्रैल की आतंकी घटना की निंदा करने की जरूरत बताई। दोनों इस बात पर सहमत थे कि हिंसक वारदातों को अंजाम देने वाले आतंकियों को दोषी ठहराना जरूरी है।
संवाद करें भारत-पाकिस्तान- अमेरिका
आगे बोले कि अमेरिका ने पाकिस्तान से आग्रह किया कि इस विवेकहीन हमले की जांच कराने में सहयोग करे। उन्होंने पाकिस्तान को प्रोत्साहित किया कि वह तनाव दूर करने के लिए भारत के साथ काम करे, दोबारा संवाद स्थापित करे और दक्षिण एशिया में अमन-शांति बहाली करे।
सनद रहे कि पहलगाम हमले के बाद भारत के प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी से सबसे पहले अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने ही बात की थी। बाद में ट्रंप ने बयान दिया था कि भारत व पाकिस्तान अपने विवाद को सुलझा लेंगे। अमेरिकी विदेश मंत्रालय ने कहा है कि वह लगातार दोनों देशों के रिश्तों में आ रहे तनाव पर नजर बनाए हुए है।
22 अप्रैल के हमले के बाद पीएम मोदी ने कही ये बात
22 अप्रैल के हमले के बाद प्रधानमंत्री मोदी ने दो अवसरों पर कहा है कि जिन लोगों ने यह अपराध किया है उन्हें माफ नहीं किया जाएगा। इसके बाद तीनों सेनाओं के प्रमुखों के साथ बैठक में प्रधानमंत्री मोदी ने सेनाओं को कार्रवाई करने की खुली छूट दे दी है। इसके बाद से पाकिस्तान में बदहवासी का माहौल है।
उधर, विदेश मंत्री जयशंकर की तरफ से दुनिया के अन्य देशों के साथ भी संपर्क साधने का दौर चल रहा है। भारत की तरफ से संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (यूएनएससी) के अस्थायी सदस्यों से संपर्क साधा गया है। इन देशों की भूमिका तब महत्वपूर्ण हो जाएगी जब युद्ध जैसी स्थिति उत्पन्न होगी।
दक्षिण कोरिया भी यूएनएससी का अस्थायी सदस्य
गुरुवार को विदेश मंत्री ने दक्षिण कोरिया के विदेश मंत्री चो ताइ यूल से बात की। दक्षिण कोरिया भी यूएनएससी का अस्थायी सदस्य है। यूएनएससी में इस समय पाकिस्तान समेत 10 सदस्य हैं। जयशंकर इनमें से नौ देशों के साथ बातचीत कर चुके हैं।
इन सभी देशों से जयशंकर ने यही कहा है कि सीमा पार आतंकवाद को बढ़ावा देने वालों के विरुद्ध भारत कार्रवाई करेगा। दक्षिण कोरियाई विदेश मंत्री की बात पाकिस्तान के विदेश मंत्री मुहम्मद इशाक डार से भी हुई है।
अमेरिकी एजेंसी ने दी भारत को सैन्य उपकरणों की बिक्री को स्वीकृति
अमेरिकी रक्षा मंत्रालय पेंटागन के तहत काम करने वाली राष्ट्रीय सुरक्षा सहयोग एजेंसी (डीएससीए) ने दोनों देशों के बीच रणनीतिक संबंधों के आधार पर भारत को 13.1 करोड़ डालर के महत्वपूर्ण सैन्य उपकरणों एवं लाजिस्टिक सपोर्ट असेट्स की आपूर्ति के प्रस्ताव को स्वीकृति प्रदान कर दी है। यह स्वीकृति ऐसे समय दी गई है जब राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप का प्रशासन भारत पर अमेरिका से सैन्य खरीद बढ़ाने का दबाव बना रहा है।
अमेरिकी बयान में बताया गया है कि भारत ने सी-विजन साफ्टवेयर, रिमोट सॉफ्टवेयर और एनालिटिक सपोर्ट के अलावा सी-विजन डाक्यूमेंटेशन की एक्सेस आदि का अनुरोध किया है। अमेरिका का कहना है कि प्रस्तावित बिक्री से भारत की समुद्री क्षेत्र में जागरूकता, विश्लेषणात्मक क्षमताएं एवं रणनीतिक स्थिति मजबूत होगी जिससे वर्तमान व भविष्य के खतरों से निपटने की क्षमता में सुधार होगा। इस प्रस्तावित आपूर्ति पर भारत की ओर से कोई टिप्पणी नहीं की गई है।
ब्रिटिश मंत्री से जयशंकर की बातचीत
मुंबई में वर्ल्ड आडियो विजुअल एंड एंटरटेनमेंट समिट (वेव्स), 2025 से इतर जयशंकर ने गुरुवार को ब्रिटेन की संस्कृति, मीडिया व खेल मंत्री लिसा नेंडी के साथ वार्ता की। दोनों के बीच क्या बात हुई यह पता नहीं चल सका।यह भी पढ़ें- भारत से डरता है पाकिस्तान, CIA के खुफिया दस्तावेज में हुआ खुलासा
वहीं, रूबियो से बुधवार को टेलीफोन पर वार्ता के बाद जयशंकर ने गुरुवार को कहा, ‘पहलगाम आतंकी हमले पर अमेरिका के विदेश मंत्री से बात हुई है। इसको अंजाम देने वालों, इनको बढ़ावा देने वालों और योजना बनाने वालों को न्याय प्रक्रिया से गुजरना होगा।’