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- Author, इमरान क़ुरैशी,
- पदनाम, बीबीसी हिन्दी के लिए, बेंगलुरु से,
- Author, आलोक पुतुल,
- पदनाम, छत्तीसगढ़ से बीबीसी हिन्दी के लिए
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केरल के पलक्कड़ में छत्तीसगढ़ से आए एक मज़दूर की भीड़ ने पीट-पीटकर हत्या कर दी थी. इसके बाद राजनीतिक माहौल गर्मा गया है.
केरल के मुख्यमंत्री पिनाराई विजयन ने कहा कि ऐसे हादसे ‘केरल जैसे सभ्य समाज की छवि को खराब करते हैं.’ वहीं, उनकी ही सरकार के मंत्री ने कहा कि यह घटना आरएसएस की नफ़रत की राजनीति की वजह से हुई है.
बीजेपी ने इसका विरोध करते हुए कहा कि अभियुक्तों में कई पार्टियों के लोग हैं और यह मामला राजनीतिक नहीं बल्कि स्थानीय बनाम बाहरी का है.
उधर छत्तीसगढ़ में घर के इकलौते कमाने वाले सदस्य की मौत के बाद सन्नाटा पसरा है और मारे गए मज़दूर की मां का कहना है कि उनकी उम्मीदें भी बेटे के साथ ही ख़त्म हो गईं.
‘बांग्लादेशी कहा और घेरकर मारा’
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छत्तीसगढ़ के सक्ती ज़िले के करही गांव के रहने वाले 31 वर्षीय रामनारायण बघेल पिछले हफ्ते की शुरुआत में पलक्कड़ के वालायर पहुंचे थे. यहां वह एक कंस्ट्रक्शन कंपनी में काम करने के लिए आए थे जहां उनका चचेरा भाई शशिकांत बघेल पहले से काम करता था.
17 दिसंबर को शशिकांत को वालायर पुलिस से फोन आया कि रामनारायण को अस्पताल लाया गया, लेकिन वहां पहुंचने से पहले ही उनकी मौत हो गई थी. पुलिस ने बताया कि भीड़ ने उन्हें डंडों, पाइपों और खतरनाक चीज़ों से पीटा था.
शशिकांत ने बीबीसी हिन्दी को बताया, “उसे बांग्लादेशी कहने के बाद कुछ लोग उसे घेरकर मारने लगे.”
एक पुलिस अधिकारी ने बीबीसी हिन्दी को बताया कि “कुछ लोग ने कहा कि उस पर चोर होने का भी आरोप लगाया गया था.”
रामनारायण एक्शन काउंसिल के सदस्य अनीस ने बीबीसी हिन्दी से कहा, “रामनारायण नौकरी की तलाश में आया था, लेकिन वह घर वापस जाना चाहता था. रास्ते में उसे रोका गया, बांग्लादेशी कहकर गालियां दी गईं और पीटा गया. वीडियो में साफ दिख रहा है कि उसकी हालत ठीक नहीं थी.”
इस मामले की जांच के लिए एक विशेष जांच दल (एसआईटी) का गठन किया गया है. इसका नेतृत्व अपराध विभाग के डिप्टी एसपी गोपाकुमार कर रहे हैं और यह ज़िला एसपी की देखरेख में काम करेगी. यह टीम सुप्रीम कोर्ट के तहसीन पूनावाला बनाम भारत सरकार केस के आदेश के तहत गठित की गई है.
रामनारायण की हत्या में पुलिस ने पांच लोगों को गिरफ़्तार कर लिया है और बाकी अभियुक्तों की तलाश जारी है. पुलिस ने भारतीय न्याय संहिता (बीएनएस) के तहत नस्ल या जाति के आधार पर भीड़ के हिंसा करने के मामले दर्ज किए हैं, साथ ही एससी/एसटी (अत्याचार निवारण) अधिनियम की धाराएं भी लगाई गई हैं.
केरल की सरकार में मंत्री एमबी राजेश समेत सीपीएम नेताओं ने आरएसएस-बीजेपी पर इस घटना में शामिल होने का आरोप लगाया है.
एमबी राजेश ने बीबीसी हिन्दी से कहा, “अब तक जितने लोग गिरफ़्तार हुए हैं, वे सभी आरएसएस शाखाओं में जाते हैं. ये लोग दूसरे अपराधों में भी शामिल रहे हैं, जिनमें एक सीपीएम कार्यकर्ता की हत्या का भी मामला है. यह घटना आरएसएस की नफ़रत की राजनीति के प्रसार का नतीजा है.”
वहीं, केरल बीजेपी प्रवक्ता श्रीपद्मनाभन ने बीबीसी हिन्दी से कहा, “एक अभियुक्त पहले सीपीएम का बूथ स्तर का कार्यकर्ता था, दूसरा अभियुक्त कांग्रेस समर्थक है और बाकी दो शायद बीजेपी समर्थक हों. यह राजनीतिक मसला नहीं है. यह स्थानीय लोगों और बाहरी लोगों के बीच का मामला है.”
मंत्री पहुंचे, आश्वासन दिया
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मुख्यमंत्री विजयन पहले राज्य में काम करने वाले 30 लाख से ज़्यादा प्रवासी मज़दूरों को ‘मेहमान मज़दूर’ कह चुके हैं. उन्होंने अपने राजस्व मंत्री के राजन और दो ज़िला कलेक्टरों को त्रिशूर भेजा ताकि परिवार को भरोसा दिलाया जा सके कि अभियुक्तों पर सख्त कार्रवाई होगी.
उन्होंने कहा, “रामनारायण बघेल, जिनकी पलक्कड़ वालायर में भीड़ द्वारा हत्या कर दी गई, उनके परिवार को न्याय दिलाया जाएगा. अभियुक्तों पर सख्त कार्रवाई होगी.”
“पलक्कड़ एसपी की अगुवाई में विशेष टीम जांच कर रही है. केस की पूरी जानकारी जुटाने और कानूनी कार्रवाई करने के निर्देश दिए गए हैं. सरकार इस मामले की जांच करेगी और उचित मुआवज़े की व्यवस्था भी करेगी. ऐसी हरकतें जो केरल जैसे सभ्य समाज की छवि खराब करती हैं, कतई स्वीकार्य नहीं हैं. सभी को सतर्क रहना चाहिए ताकि ऐसी घटनाएं दोबारा न हों.”
शशिकांत ने कहा, “राजस्व मंत्री (के राजन) ने हमें भरोसा दिलाया है कि सरकार शव को रायपुर ले जाने की व्यवस्था करेगी. हमें आश्वासन दिया गया है कि कैबिनेट मुआवज़े की राशि तय करेगी.”
यह बयान उस समय आया जब कांग्रेस महासचिव केसी वेणुगोपाल ने सोशल मीडिया पर एक पोस्ट में लिखा कि रामनारायण की मौत “हद से ज़्यादा चौंकाने वाली है.”
उन्होंने लिखा, “यह बिल्कुल अस्वीकार्य है कि हिंसक ताकतें इस तरह हावी हो जाएं और उन्हें अनियंत्रित छोड़ दिया जाए. 2018 में मधु की घटना अब भी ताज़ी है और अब हमें यह देखना पड़ रहा है. यह बेहद शर्मनाक है कि साम्प्रदायिक सौहार्द्र की समृद्ध परंपरा वाले केरल में बार-बार मॉब वायलेंस हो रही है.”
प्रवासी मज़दूरों के हित के लिए काम करने वाले लोगों का कहा है कि ‘चिंता करने’ की वजहें और भी हैं.
सेंटर फॉर माइग्रेशन एंड इन्क्लूसिव डेवलपमेंट के कार्यकारी निदेशक बेनॉय पीटर कहते हैं, “यह तो साफ़ तौर पर भीड़ द्वारा हत्या का मामला है और बहुत बुरा है. लेकिन इससे भी ज़्यादा चिंता की बात यह है कि अगर आप केरल में हुई मॉब लिंचिंग का इतिहास देखें तो पता चलता है कि ऐसी घटनाओं के बीच का अंतराल साल-दर-साल कम होता जा रहा है.”
मॉब लिंचिंग का इतिहास
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मई 2016 में असम के 30 साल के कैलाश ज्योति बेहरा, अपने तीन दोस्तों के साथ कोट्टायम के चिंगवनम पहुंचे थे. भीड़ में वह अपने दोस्तों से अलग हो गए. जब वह अपने दोस्तों को ढूंढ रहे थे, कुछ लोगों ने उन्हें चोर कहा और पीटना शुरू कर दिया. बाद में अभियुक्तों ने उन्हें बांध दिया और लगभग एक घंटे तक तेज धूप में छोड़ दिया. सूचना पाकर पुलिस मौके पर पहुंची और उन्हें अस्पताल ले गई, लेकिन वहां उनकी मौत हो गई.
यह घटना उस समय हुई थी जब एर्नाकुलम के पेरुंबवूर में एक लॉ छात्रा के साथ बलात्कार और उसके बाद उनकी हत्या कर दी गई थी. उस मामले का अभियुक्त भी एक उत्तर-पूर्वी राज्य से था.
दो साल बाद, पश्चिम बंगाल के 50 वर्षीय माणिक रॉय को भीड़ ने मुर्गी चुराने के शक में पीट-पीटकर मार डाला, जबकि वह उसे खरीदकर घर लौट रहे थे. उस मामले में दो लोगों को गिरफ्तार किया गया.
मई 2023 में, 31 वर्षीय राजेश मांझी को किझिस्सेरी में प्लास्टिक पाइप सरीखी चीज़ों से पीट-पीटकर मार दिया गया. आरोप था कि वह एक घर के पास छिपकर घूम रहे थे.
लगभग 11 महीने बाद, अरुणाचल प्रदेश के 32 वर्षीय अशोक दास को एर्नाकुलम के मुवट्टुपुझा में पीछा करके पीट-पीटकर मार डाला गया. वह दो महिलाओं से मिलने गया था, जिनमें से एक उसके साथ रेस्टोरेंट में काम करती थी. इस मामले में दस लोगों को गिरफ्तार किया गया.
प्रोग्रेसिव वर्कर्स ऑर्गनाइजेशन के जॉर्ज मैथ्यू ने बीबीसी हिन्दी से कहा. “समस्या सिर्फ़ भीड़ से पीटने के बाद मौत की नहीं है. प्रवासी मज़दूरों को नियमित रूप से परेशान किया और पीटा जाता है. एक 55 साल की महिला को इसलिए उस घर से निकाल दिया गया क्योंकि उसने अपने साथ के एक प्रवासी मज़दूर को पीटे जाने के एक मामले की फ़ोटो खींचने की कोशिश की थी.”
यह बात आमतौर पर सब जानते हैं कि केरल के लोग, खासकर 21 से 35 साल की उम्र वाले, राज्य या देश से बाहर काम करने जाते हैं. 2023-24 में केरल को मिलने वाला रेमिटेंस (विदेश से भेजे गए पैसे) दो लाख करोड़ रुपये था. एक अनुमान के मुताबिक केरल में 30 लाख से अधिक प्रवासी मज़दूर काम करते हैं.
घर बनाने की थी तमन्ना
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छत्तीसगढ़ में बीबीसी टीम ने रामनारायण बघेल के परिजनों से बात की. उन्होंने बताया कि रामनारायण पिछले कई सालों से कामकाज की तलाश में राज्य से बाहर जाते थे.
सतनामी समाज के बघेल का परिवार गरीबी रेखा से नीचे जीवनयापन करता है लेकिन फिर भी जो बचत हुई, उससे उन्होंने गांव में एक छोटा-सा घर बनाने की कोशिश की थी.
आठ और दस साल के दो बेटों, मां और पत्नी के साथ अपने भाई के घर में रहने वाले रामनारायण बघेल चाहते थे कि मज़दूरी की कमाई से इस बार किसी भी तरह घर पूरा बना लें. उन्होंने घर वालों से कहा था कि इस बार पैसे कमा कर लौटूंगा तो घर की छत बन जाएगी और भाई के कच्चे घर में नहीं रहना पड़ेगा.
गांव के कुछ लोग पहले से ही पलक्कड़ में काम करते रहे हैं. उनसे संपर्क करने के बाद वह पलक्कड़ गए थे.
रामनारायण के चाचा किशन बघेल ने कहा, “इसी महीने की 13 तारीख़ को रामनारायण केरल के लिए निकला था. 15 दिसंबर को पलक्कड़ पहुंचने के बाद उसने अपनी मां से फोन पर बातचीत की और बताया कि वह ठीक से पहुंच गया है.”
परिजनों का कहना है कि वह सेल फ़ोन नहीं रखते थे. लेकिन कागज़ पर घर वालों का नंबर लिख कर रखा था. उसी कागज़ पर लिखे नंबर को देख कर पुलिस ने घर वालों को फ़ोन कर, उनकी मौत की जानकारी दी.
पलक्कड़ से शशिकांत बघेल ने बताया कि रामनारायण को वहां का काम ठीक नहीं लगा तो वह 17 दिसंबर को घर जाने के लिए रवाना हुए थे. लेकिन रास्ता भटक कर वह जहां पहुंचे, वहां युवकों ने पीट-पीट कर उन्हें मार डाला.
त्रिशूर मेडिकल कॉलेज में रामनारायण का शव लेने पहुंचे शशिकांत बघेल ने कहा, “मुझे वालायर पुलिस स्टेशन से फोन आया कि रामनारायण बघेल थाने में हैं, आप थाने पहुंचिए. वहां जाने के बाद हमसे पूरी जानकारी ली गई. उसके बाद हमें बताया गया कि रामनारायण की मौत हो चुकी है. वीडियो में मैंने देखा कि मेरे भाई को घेर कर, बांग्लादेशी-बांग्लादेशी कह कर निर्ममता से पीट रहे हैं.”
सारे सपने ख़त्म

रामनारायण की पत्नी ललिता अपने दोनों बच्चों के साथ, पति का शव लेने के लिए केरल में हैं, जबकि बुजुर्ग मां करही गांव में हैं.
रामनारायण बघेल की मां ने पत्रकारों से बातचीत में कहा कि उनके बेटे की कमाई से ही पूरे घर का गुज़ारा चलता था. एक और बेटा रायपुर में मज़दूरी करता है लेकिन उससे घर का खर्च पूरा नहीं होता. उन्होंने कहा कि बेटे की मौत के साथ ही उनके सारे सपने ख़त्म हो गए.
इधर राज्य विधानसभा में नेता प्रतिपक्ष चरणदास महंत ने मुख्यमंत्री विष्णुदेव साय को पत्र लिख कर कहा है कि रामनारायण बघेल की केवल संदेह के आधार पर कथित रूप से मॉब लिंचिंग कर निर्मम हत्या कर दी गई. यह घटना न केवल मानवता को शर्मशार करने वाली है, बल्कि देश भर में कार्यरत प्रवासी श्रमिकों की सुरक्षा व्यवस्था पर भी गंभीर प्रश्नचिन्ह लगाती है.
उन्होंने मुख्यमंत्री से पूरे मामले में हस्तक्षेप करते हुए पीड़ित परिवार को तत्काल सहायता उपलब्ध कराने की मांग की है.
कांग्रेस पार्टी के प्रवक्ता सुशील आनंद शुक्ला ने कहा कि देश में फैलाई जा रही नफ़रत का नतीजा ऐसी घटनाओं के रूप में सामने आ रहा है. उन्होंने आरोप लगाया कि सरकार ने अब तक न तो इस मामले को गंभीरता से लिया है और न ही केरल सरकार से कोई औपचारिक आपत्ति दर्ज कराई है.
दूसरी ओर ज़िले के कलेक्टर ने कहा है कि वह परिजनों और केरल सरकार के संपर्क में हैं. फिलहाल शव को छत्तीसगढ़ लाने की तैयारी की जा रही है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.