डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। कैंसर एक जानलेवा बीमारी है, जिसका पूरी तरह से इलाज आज भी संभव नहीं है। मगर, क्या आप जानते हैं कि वैज्ञानिकों को एक ऐसा बैक्टीरिया मिला है, जो कैंसर के सेल्स को खत्म करने में मददगार साबित हो सकता है।
दक्षिणी ऑस्ट्रेलिया के स्वास्थ्य एंव चिकित्सा अनुसंधान संस्थान के वैज्ञानिकों का कहना है कि बेशक कैंसर का इलाज अभी बहुत दूर है, लेकिन हम इसपर काम कर रहे हैं। हमें पूरा विश्वास है कि एक दिन उस मुकाम पर होंगे, जब बैक्टीरिया खुद ही कैंसर को ढूंढकर उसका पता लगाएगा और जरूरी ट्रीटमेंट करके कैंसर को जड़ से खत्म कर देगा।
ट्यूमर पर भारी पड़ेगा बैक्टीरिया
वैज्ञानिकों के अनुसार, वर्तमान में ट्यूमर को ढूंढना सबसे मुश्किल टास्क है। कई बार ट्रीटमेंट ही ट्यूमर तक नहीं पहुंच पाता है। वहीं, कई मामलों में ट्यूमर फिर से उभरने लगता है और ट्रीटमेंट का भी उसपर कोई असर नहीं होता है। हालांकि, इस बैक्टीरिया की मदद से इन सभी समस्याओं से निपटा जा सकता है।
कई क्लीनिकों में इस बैक्टीरिया का इस्तेमाल होने लगा है। खासकर मूत्राशय में हुए कैंसर के इलाज में यह बैक्टीरिया भी एक विकल्प बन चुका है। इसके तहत डॉक्टर्स माइकोबैक्टीरियम बोविस को मूत्राशय में डालते हैं और शरीर का इम्यूनिटी सिस्टम कैंसर सेल के खिलाफ लड़ाई शुरू कर देता है।

बैक्टीरिया ही क्यों?
कुछ बैक्टीरिया खुद ही ट्यूमर को ढूंढकर उसमें अपनी जगह बना लेते हैं और कैंसर सेल्स को धीरे-धीरे खत्म कर देते हैं। इन बैक्टीरिया की खास बात है कि यह शरीर के हेल्दी बैक्टीरिया को नुकसान नहीं पहुंचाते हैं। यह डेड सेल्स से पोषण लेते हैं और कम ऑक्सीजन में भी अच्छे से पनप सकते हैं।
कितने तरह के कैंसर पर कारगर है यह उपचार?
पिछले 30 साल में 500 रिसर्च पेपर्स, 70 क्लीनिकल ट्रायल और 24 स्टार्टअप कंपनियों ने कैंसर के इलाज के लिए बैक्टीरियल थैरेपी पर ध्यान केंद्रित करना शुरू कर दिया है। क्लीनिकल ट्रायल के दौरान ज्यादातर बैक्टीरियल कैंसर थैरेपी से सॉलिड ट्यूमर को निशाना बनाया जाता है। इनमें अग्नाशय, फेफड़े और सिर और गर्दन के कैंसर शामिल हैं।

क्या बैक्टीरिया से बनेगी कैंसर वैक्सीन?
यह बैक्टीरिया एंटी-कैंसर वैक्सीन बनाने में भी मददगार हो सकता है। बैक्टीरिया में जेनेटिक इंजीनियरिंग और जेनेटिक इंस्ट्रक्शन्स (DNA) से कैंसर को हराया जा सकता है। हालांकि, इनपर अभी क्लीनिकल ट्रायल चल रहा है। इम्युन सिस्टम शरीर को नुकसान पहुंचाए बिना कैंसर का पता लगा पाए, यह सबसे बड़ी चुनौती बन गई है।
वर्तमान में आधे से ज्यादा क्लीनिकल ट्रायल्स के दौरान कैंसर के इलाज में बैक्टीरिया का इस्तेमाल किया जा रहा है। कई जगहों पर इसका फेज 2 भी पूरा हो चुका है। कीमोथेरेपी में भी बैक्टीरियल थैरेपी की मदद ली जा रही है।
बैक्टीरियल थैरेपी के कितने करीब हैं वैज्ञानिक?
शुरुआती ट्रायल में इंसानों पर यह फॉर्मूला काफी हद तक सुरक्षित साबित हुआ है। हालांकि, बैक्टीरिया एक जीवित संस्था है, जो कई परिस्थितियों में खुद विकास कर सकता है। इसलिए मनुष्य के शरीर में इसका इस्तेमाल करने के लिए काफी सख्ती बरती जाती है।
सुरक्षित होने के बावजूद कुछ लोगों को इससे इंफेक्शन और सूजन जैसी समस्याएं देखने को मिल सकती हैं। वैज्ञानिक इसपर काम कर रहे हैं। ऐसे में क्लीनिकल ट्रायल पूरा होने और रेगुलेटरी अप्रूवल के बाद ही इसका इस्तेमाल शुरू होगा।