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एमबीए. एक ऐसा कोर्स, जो इतने साल गुज़रने के बाद भी अपनी चमक बरक़रार रखे हुए है.
और भारत में अगर एमबीए और उसके जैसे दूसरे पोस्ट-ग्रेजुएट मैनेजमेंट प्रोग्राम में दाख़िला लेना है, तो इसके लिए कैट (CAT) एग्ज़ाम या कॉमन एडमिशन टेस्ट देना होता है.
नेशनल लेवल की ऐसी कंप्यूटर आधारित प्रवेश परीक्षा, जो इंडियन इंस्टीट्यूट ऑफ़ मैनेजमेंट (IIM) और दूसरे बिज़नेस स्कूलों तक पहुँचाती है.
हर साल देश में तीन से सवा तीन लाख कैंडिडेट इस इम्तहान के लिए रजिस्टर करते हैं.
इस बार ये 30 नवंबर, 2025 को होने वाला है. दिन कम बचे हैं, ऐसे में अब समय है तैयारियों को अंतिम आकार देने का.
करियर कनेक्ट की इस कड़ी में एक्सपर्ट्स से जानेंगे वो टिप्स, जो इस परीक्षा में बैठने वाले स्टूडेंट के लिए बेहद ज़रूरी हैं.
लेकिन पहले समझ लेते हैं कि ये परीक्षा है क्या और इसमें क्या-क्या आता है.
CAT के बारे में ज़रूरी बातें
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जैसा कि ज़िक्र हुआ, कॉमन एडमिशन टेस्ट मैनेजमेंट प्रोग्राम में दाख़िले के लिए होने वाले एग्ज़ाम है.
ये कम्प्यूटर बेस्ड टेस्ट होता है, जिसे सीबीटी भी कहा जाता है.
बारी-बारी से अलग-अलग आईआईएम इस परीक्षा को करवाने की ज़िम्मेदारी संभालते हैं और 2025 में ये ज़िम्मा आईआईएम कोझिकोड के पास है.
इस परीक्षा में तीन सेक्शन होते हैं:
- वर्बल एबिलिटी एंड रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन (VARC): इसमें पैरा जम्बल्स, पैरा समरी, ऑड सेंटेंस ऑउट, रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन पैसेज जैसी चीज़ें होती हैं.
- डेटा इंटरप्रेटेशन और लॉजिकल रीज़निंग (DILR): इसमें ब्लड रिलेशंस, डायरेक्शन, क्लॉक एंड कैलेंडर, टेबल्स, ग्राफ़्स, चार्ट्स या विज़ुअलाइज़ेशन से जुड़े दूसरे सवाल किए जाते हैं.
- क्वॉन्टिटेटिव एप्टीट्यूड (Quant): इसमें अरिथमैटिक, अल्जेब्रा, जियोमेट्री, मॉडर्न मैथ्स और नंबर सिस्टम जैसे सवाल होते हैं.
ये परीक्षा दो घंटे होती है और तीनों सेक्शन के लिए 40-40 मिनट मिलते हैं.
एग्ज़ाम में मल्टीपल चॉइस क्वेश्चन (एमसीक्यू) के लिए हर सही जवाब पर तीन अंक मिलते हैं और ग़लत के लिए एक अंक काटा जाता है.
दूसरी ओर, ग़ैर-एमसीक्यू सवालों के लिए सही जवाब पर तीन अंक मिलते हैं, लेकिन ग़लत जवाब देने पर नेगेटिव मार्किंग नहीं होती.
इस परीक्षा के लिए कोई तय सिलेबस नहीं है. लेकिन जानकारों का मानना है कि जो स्टूडेंट इस परीक्षा में बैठना चाहते हैं, उन्हें 10वीं क्लास तक की अंग्रेज़ी और मैथ्स पर पकड़ बनानी चाहिए.
इस परीक्षा में बैठने के लिए उम्र की कोई सीमा तय नहीं है, लेकिन कुछ शर्तें ज़रूर हैं, जिन्हें पूरा करना होता है.
कौन लोग दे सकते हैं CAT?
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- किसी मान्यता प्राप्त यूनिवर्सिटी से 50 फ़ीसदी अंकों के साथ ग्रेजुएट (आरक्षित वर्ग के लिए ये 45 फ़ीसदी है)
- ग्रेजुएशन से कम पढ़े-लिखे लोग इस परीक्षा में नहीं बैठ सकते
- ग्रेजुएशन के फ़ाइनल ईयर में रहते हुए भी कैट के लिए आवेदन किया जा सकता है
लेकिन क्या इस परीक्षा में आने वाला स्कोर तय करता है कि कहाँ एडमिशन होगा और कहाँ नहीं, तो जवाब है नहीं.
जानकारों का कहना है कि आईआईएम जैसे प्रतिष्ठित संस्थानों में सिर्फ़ कैट के स्कोर पर सेलेक्शन नहीं होता. बल्कि उसके बाद इंटरव्यू होता है.
साथ ही 10वीं क्लास, 12वीं क्लास और ग्रेजुएशन के नंबर भी देखे जा सकते हैं. किसी के पास कामकाजी अनुभव हो तो उसे तरज़ीह भी मिल सकती है.
फिर पर्सेंटाइल के आधार पर तय होता है कि आगे क्या होना है.
एजुकेशन कंपनी आईएमएस में फ़ैकल्टी संदीप अग्रवाल कहते हैं, “कुछ आईआईएम 10वीं-12वीं के अंकों को 5-10 पर्सेंट वेटेज देते हैं. कुछ संस्थानों में पिछले वर्क एक्सपीरिएंस के भी अंक होते हैं. इन सब अलग-अलग पैमानों के आधार पर स्कोर बनता है.”
एग्ज़ाम से पहले क्या कर सकते हैं कैंडिडेट?
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साल 2026 में जो कैट परीक्षा देने की योजना बना रहे हैं, उन्हें ऊपर की जानकारी पढ़कर समझ आ गया होगा कि इस परीक्षा का स्वरूप क्या है और इसके लिए कैसे तैयारी कर सकते हैं.
लेकिन जो लोग इसी साल ये इम्तिहान दे रहे हैं, उनके लिए अब चंद दिन ही बचे हैं.
ऐसे में कैंडिडेट इस समय क्या कर सकते हैं, इस सवाल का जवाब दिया जय सिंह साजवान ने, जो फ़िलहाल करियर लॉन्चर से जुड़े हैं और बीते 25 साल से कैट देने वालों को पढ़ा रहे हैं, इस परीक्षा के लिए तैयारी करवा रहे हैं.
साजवान का कहना है कि आख़िरी एक या दो हफ़्ते में स्टूडेंट को मॉक टेस्ट देने चाहिए.
उन्होंने बीबीसी हिन्दी से कहा, “आख़िरी दिनों में कैंडिडेट को मॉक लिखना चाहिए और उसका एनालिसिस करना चाहिए. इससे अपनी मज़बूती और कमज़ोरी, दोनों की जानकारी मिलती है. जब आप मॉक देते हैं तो आपको अपनी ग़लतियाँ पता चलती जाती हैं.”
”उदाहरण के लिए मैं अल्जेब्रा में अच्छा हूँ, लेकिन परम्यूटेशन-कॉम्बिनेशन में उतना अच्छा नहीं हूँ. तो मैं क्या करूँगा कि पहले अपने मज़बूत एरिया पर फ़ोकस करूँगा. लेकिन इसका ये मतलब भी नहीं है कि बाकी चीज़ें देखूँगा ही नहीं.”
साजवान के मुताबिक़ कई बार बहुत अच्छे बच्चे भी परीक्षा में अच्छा नहीं कर पाते और औसत बच्चे बहुत बेहतर निकल जाते हैं. इसकी वजह है तैयारी. इस बात का पता होना कि उन्हें करना क्या है.
वह कहते हैं, “स्टूडेंट को एग्ज़ाम के लिए जो स्लॉट मिला है, उसी स्लॉट में उन्हें मॉक भी लिखना चाहिए. इससे एक सहजता आती है. जिस दिन आप एग्ज़ाम लिखने जाएँगे, उस दिन आपके अंदर जो डर होता है, वो नहीं रहेगा क्योंकि आप पिछले 10 दिन से मॉक दे रहे हैं. डरेंगे नहीं तो एग्ज़ाम के दिन बेहतर कर पाएँगे. मॉक्स में अपनी ग़लतियों पर गौर कीजिए और उन्हें दुरुस्त कीजिए.”
कैट की परीक्षा तीन स्लॉट में होती है: सुबह, दोपहर और शाम.
दूसरी ओर कैट की तैयारी करवाने वाले टूआईआईएम में वर्बल एबिलिटी एंड रीडिंग कॉम्प्रिहेंशन हेड जतिन स्टूडेंट को मॉक देने की सलाह तो देते हैं, लेकिन ये भी हिदायत देते हैं कि ये ज़रूरत से ज़्यादा नहीं होने चाहिए.
जतिन ने बीबीसी हिन्दी से कहा, “हर दो-तीन दिन में एक मॉक काफ़ी है. मॉक पर मॉक देने के बजाय एक मॉक में हुई ग़लतियों को सही करने की कोशिश करें. आख़िरी मॉक परीक्षा, इम्तिहान से कम से कम तीन दिन पहले दें. जिन सेक्शन में आप कमज़ोर हों, उससे जुड़े सवालों की प्रैक्टिस रोज़ करते रहें. हर प्रैक्टिस के लिए टाइमर लगाएँ ताकि जब परीक्षा वाले दिन आपके सामने टाइमर हो तो आप कम्फर्टेबल रहें.”
जतिन यह भी कहते हैं कि परीक्षा क़रीब आने पर स्टूडेंट को नए टॉपिक नहीं, बल्कि उन विषयों पर फ़ोकस करना चाहिए, जो उनकी ताक़त हैं. लंबे लेख पढ़ने चाहिए. इससे वर्बल एबिलिटी के सेक्शन में बहुत मदद मिलती है.
जो कैंडिडेट कोचिंग नहीं ले रहे, उनका क्या? उनके पास भी तैयारी के लिए बहुत से विकल्प हैं.
साल 2017 से लेकर 2024 तक के कैट के प्रश्नपत्र पब्लिक डोमेन में हैं. ये किसी भी कैट की तैयारी करवाने वाली वेबसाइट पर मुफ़्त में उपलब्ध रहते हैं और अमूमन इसके लिए कोई रजिस्ट्रेशन की भी ज़रूरत नहीं है.
वहीं संदीप अग्रवाल कहते हैं, “कैट स्ट्रैटेजी का एग्ज़ाम है. यही स्ट्रैटेजी बार-बार मॉक टेस्ट में भी लगानी है. अधिकांश टाइम मॉक में ही जानी चाहिए. और इस दौरान ये देखना चाहिए कि एग्ज़ाम के लिए जो स्ट्रैटेजी बनाई है, वो काम कर रही है या नहीं.”
“आख़िर तक आते-आते स्टूडेंट 15 मॉक दे देते हैं. उनमें जो ग़लतियाँ हुईं वो देखें. उन्हें सुधारा कैसे जा सकता है इसकी रणनीति बनाएँ.”
कौन सी ग़लतियाँ भूलकर भी नहीं करनी

जय सिंह साजवान बताते हैं कि अक्सर उनके पास स्टूडेंट ये परेशानी लेकर आते हैं कि उन्हें पेपर तो आसान लगा, लेकिन वो पेपर देते समय घबराहट में कई लापरवाही भरी ग़लतियाँ कर बैठे.
इससे कई बार ऐसे स्टूडेंट्स, जो 90 पर्सेंटाइल तक लाने की क्षमता रखते हैं, वो भी 60-65 पर्सेंटाइल पर रह जाते हैं.
ऐसे में हमने ये जाना कि परीक्षा में वे कौन सी छोटी-छोटी ग़लतियाँ हैं, जिनसे बचकर कैट के स्कोर को सुधारा जा सकता है.
जय सिंह ने कहा, “जब आप एग्ज़ाम देते हैं, तो सबसे पहले आपको किसी एक सवाल में फँसकर समय बर्बाद नहीं करना है. जो आता हो, वो करते चलो. दूसरा कि सवाल अच्छे से पढ़िए. बहुत से बच्चे ऐसे हैं, जिन्हें नॉलेज बहुत है, लेकिन वो सवाल ठीक से नहीं पढ़ते. जैसे क्वांट में पूछा जाए कि नॉन नैचुरल नंबर कितने हैं. आप जल्दी में नॉन ना पढ़ें और नैचुरल नंबर बता दें. इसकी वजह से उनके प्लस की बजाय नेगेटिव मार्क्स हो गए.”
परीक्षा में सवालों को हल करने का तरीक़ा बताते हुए जय सिंह कहते हैं, ”मान लीजिए कि मैं 24 में से 18 आसान सवाल हल कर लेता हूँ, तो बाक़ी छह को हल करना आसान हो जाएगा. लेकिन यहीं अगर मैं 10 मिनट तक एक ही सवाल पर फँसा रह गया, तो फिर ये प्रेशर बनना शुरू हो जाता है. ये मैनेजमेंट एंट्रेंस एग्ज़ाम है. अगर आपने पेपर ही मैनेज नहीं किया, तो फिर आप कंपनियों को, संस्थानों को कैसे मैनेज कर पाएँगे?”
दूसरे क्या विकल्प मौजूद हैं?
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अगर भारत में आईआईएम को छोड़ दें, तो भी 100 में से 80-85 टॉप बिज़नेस स्कूल या कॉलेजों में दाखिला कैट के ज़रिए ही होता है.
अगर आपको ग्रेड बी कॉलेज में भी जाना है तो भी कैट का स्कोर चाहिए. जो टियर टू के कॉलेज होते हैं, उनमें अगर कोई कंपनी प्लेसमेंट के लिए आती है तो भी वो एप्टीट्यूड टेस्ट लेती है. कैट आपको वहाँ मदद करता है.
भारत में नए-पुराने मिलाकर 21 आईआईएम हैं. इनमें से आईआईएम अहमदाबाद, आईआईएम बैंगलोर, आईआईएम कलकत्ता कुछ टॉप के संस्थान हैं.
कैट का स्कोर मैनेजमेंट कोर्स ऑफ़र करने वाले आईआईटी, एफ़एमएस, एमडीआई, आईएमटी जैसे बड़े संस्थानों में भी ज़रूरी है. लेकिन ऐसा नहीं है कि कैट में अच्छा स्कोर न कर पाने वालों के पास दूसरे विकल्प नहीं हैं.
जय सिंह साजवान कहते हैं, “क़रीब 30 कॉलेज हैं जो ज़ेवियर एप्टीट्यूट टेस्ट यानी XAT के स्कोर के आधार पर चयन करते हैं. बल्कि ज़ेवियर स्कूल ऑफ़ मैनेजनमेंट (XLRI) तो सिर्फ़ इसी का स्कोर मानता है. जैसे सिम्बॉयसिस का SNAP है, मैनेजमेंट एप्टीट्यूट टेस्ट (MAT), NMAT, MICAT है. कैट के बाद ये सारे एग्ज़ाम दिए जा सकते हैं और ये भी चुनिंदा टॉप बिज़नेस स्कूल का रास्ता खोल सकते हैं.”
वहीं, संदीप अग्रवाल का कहना है कि जो स्टूडेंट कैट के लिए बैठते हैं, उनके लिए NMAT, SNAP, XAT ये तीन सबसे बड़े विकल्प हैं जो स्टूडेंट ट्राई करते ही हैं.
इसके अलावा अगर कोई इंटरनेशनल यूनिवर्सिटी से एमबीए करना चाहता है तो फिर GMAT (ग्रैजुएट मैनेजमेंट एडमिशन टेस्ट) उनके लिए है. अमेरिका, यूके, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर, यूरोप की अधिकांश यूनिवर्सिटी में जीमैट के स्कोर मान्य हैं.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित