अज़रबैजान में हुए जलवायु परिवर्तन सम्मेलन में विकासशील देशों को हर साल 300 बिलियन डॉलर देने पर सहमति बनी है.
लेकिन भारत ने इस डील का विरोध किया है.
भारत की ओर से सम्मेलन में हिस्सा ले रही चांदनी रैना ने कहा कि ये डील सही नहीं है और वे ‘इस पर आपत्ति दर्ज करती हैं.’
बैठक के दौरान अपने विचार रखते हुए रैना ने कहा कि निर्णय लेने की प्रक्रिया से कई देशों को बाहर रखा गया.
उन्होंने 300 बिलियन डॉलर की डील को छोटी रकम बताया.
चांदनी रैना ने कहा, “हमारे देश के सरवाइवल के लिए उठाए जाने वाले क्लाइमेट एक्शन के लिए ये सही नहीं है.’
जलवायु परिवर्तन पर चर्चा और इससे निपटने की रणनीति पर बात करने के लिए हर साल होने वाले इस सम्मेलन को कॉन्फ्रेंस ऑफ द पार्टीज़ (कॉप) कहते हैं.
कॉप 29 की बैठक में जारी ड्राफ्ट के तहत साल 2035 तक विकसित देश, विकासशील देशों को हर साल यह राशि देंगे.
पिछला ड्राफ़्ट 250 बिलियन डॉलर का था, जिसे अस्वीकार कर दिया गया है.
यह बैठक शुक्रवार, 22 नवंबर को समाप्त होने वाली थी, लेकिन समझौता न हो पाने की वजह शनिवार तक खिच गई.
कॉप में वो देश शामिल हैं जिन्होंने ‘संयुक्त राष्ट्र जलवायु परिवर्तन फ्रेमवर्क सम्मेलन’ संधि पर हस्ताक्षर किए हैं.
इस पर 1992 में क़रीब 200 देशों ने हस्ताक्षर किए थे. कॉप में शामिल देशों के प्रतिनिधि जलवायु परिवर्तन से निपटने के तरीकों को लेकर बातचीत करने के लिए हर साल बैठक करते हैं.