22 पन्नों का आदेश पारित
स्पेशल जज जितेंद्र सिंह ने 22 पन्नों का आदेश पारित किया। उसमें अदालत ने कहा कि अपराधों के लिए संज्ञान केवल एक बार लिया जाता है। हालांकि, क्योंकि आरोपी- 6 (अमानतुल्लाह खान) के खिलाफ SPC (सप्लीमेंट्री प्रॉसिक्यूशन कंप्लेंट) दायर की गई है, जो निश्चित रूप से एक पब्लिक सर्वेंट हैं, इसलिए, अतिरिक्त सुरक्षा के रूप में सीआरपीसी की धारा 197 (1) के तहत मंजूरी पर विचार करना होगा, जिसके बिना संज्ञान नहीं लिया जा सकता। अदालत ने आगे कहा, यदि सरकारी वकील की दलीलों को मंजूर कर लिया जाए कि तो यह मंजूरी के प्रावधान के खिलाफ होगा और वो भी सुप्रीम कोर्ट के “ईडी बनाम विभु प्रसाद आचार्य और अन्य” मामले में निर्धारित कानून का उल्लंघन है।
ईडी की चार्जशीट ठुकराई
अदालत ने कहा कि रेकॉर्ड देखने से पता चलता है कि खान के खिलाफ इस तरह की कोई मंजूरी को रेकॉर्ड पर नहीं रखा गया है। इस तरह, Cr.P.C की धारा 197(1) के तहत मंजूरी न होने की वजह से अमानतुल्लाह खान के खिलाफ पीएमएलए की धारा 3 और धारा 4 के तहत दंडनीय अपराध पर संज्ञान को ठुकराया जाता है। अदालत ने खान को एक लाख का निजी बॉन्ड भरने पर जेल से तत्काल रिहा करने का आदेश दिया। स्पेशल जज ने कहा, इन परिस्थितियों में आरोपी को और हिरासत में रखना अवैध हिरासत के समान होगा, जब सीआरपीसी की धारा 197 (1) के तहत जरूरी मंजूरी के अभाव में संज्ञान के लिए मना कर दिया गया है। उनसे बॉन्ड भरवाकर अदालत ने यह सुनिश्चित किया कि आगे मंजूरी मिलने पर उन्हें अदालत के सामने पेश होने के लिए बाध्य किया जा सके। ईडी ने उन्हें 2 सितंबर को उनके ओखला स्थित आवास से गिरफ्तार किया था।
क्या था आरोप?
ईडी ने 29 अक्टूबर को अमानतुल्लाह खान और मरयम सिद्दीकी के खिलाफ मामले में सप्लीमेंट्री चार्जशीट दायर की थी। मरयम पर आरोप है कि उन्होंने जानबूझकर और सीधे तौर पर अपराध से अर्जित आय को रखने, छुपाने, इस्तेमाल करने में आरोपी अमानतुल्लाह खान की सक्रिय रूप से सहायता की। उन्हें समन करने से मना करते हुए अदालत ने कहा कि आरोपी नंबर 7- मरयम सिद्दीकी के खिलाफ मामला साफतौर से अनुमानों पर आधारित है। मुकदमे के वकील के पास उनके खिलाफ कार्यवाही के लिए आधार का अभाव है। लिहाजा, उन्हें मौजूदा मामले में तलब नहीं किया गया है। ईडी ने उन्हें गिरफ्तार नहीं किया था।