इंडिगो परिचालन संकट के बाद भारतीय विमानन क्षेत्र को गिनी-चुनी कंपनियों के वर्चस्व से बाहर निकालने के लिए सरकार ने बढ़ा फैसला लिया है। भारत का एविएशन बजार पिछले कुछ समय से इंडिगो और एअर इंडिया जैसी विमानन कंपनियों के वर्चस्व या ‘डुओपोली’ (Duopoly) में सिमट कर रह गया था। सरकार के ताजा कदम से इस हालात में बदलाव हो सकता है। केंद्र सरकार ने बाजार में प्रतिस्पर्धा बढ़ाने के उद्देश्य से नई एयरलाइनों को हरी झंडी दिखा दी है।
नागरिक उड्डयन मंत्रालय ने अल-हिंद एयर और फ्लाईएक्सप्रेस को नो ऑब्जेक्शन सर्टिफिकेट (NOC) जारी किया है। इसके साथ ही, उत्तर प्रदेश स्थित शंख एयर भी 2026 में अपनी सेवाएं शुरू करने की तैयारी में है। इस विमानन कंपनी को पूर्व में ही एनओसी मिल चुकी है।
विमानन क्षेत्र में एकाधिकार खत्म करने की कवायद
वर्तमान में भारतीय आसमान पर टाटा समूह की एअर इंडिया और इंडिगो का एकछत्र राज है। डीजीसीए के आंकड़ों के मुताबिक, घरेलू बाजार का 90% से अधिक हिस्सा इन्हीं दो समूहों के पास है। इसमें भी करीब 65% हिस्सेदारी अकेले इंडिगो के पास है। इस ‘डुओपोली’ के कारण अक्सर यात्रियों को सीमित विकल्पों और मनमाने किरायों का दंश झेलना पड़ता है। हाल ही में इंडिगो एयरलाइन में आई तकनीकी खामियों ने यह साबित कर दिया कि बाजार का एक ही खिलाड़ी पर अत्यधिक निर्भर होना कितना जोखिम भरा हो सकता है।
केंद्रीय नागरिक उड्डयन मंत्री के. राममोहन नायडू ने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म एक्स पर बताया कि सरकार का उद्देश्य विमानन बाजार में नए खिलाड़ियों को प्रोत्साहित करना है ताकि बाजार में संतुलन बना रहे और यात्रियों को बेहतर सुविधाएं मिल सकें।
कौन हैं विमानन बाजार के नए खिलाड़ी?
अल-हिंद एयर
केरल स्थित अल-हिंद ग्रुप द्वारा प्रवर्तित यह एयरलाइन दक्षिण भारत से अपनी शुरुआत करने जा रही है। अल-हिंद ग्रुप पहले से ही ट्रैवल और टूरिज्म सेक्टर में एक बड़ा नाम है, जिसका टर्नओवर लगभग 20,000 करोड़ रुपये बताया जाता है। कंपनी की योजना शुरुआत में एटीआर-72 (ATR-72) विमानों के साथ क्षेत्रीय मार्गों पर उड़ान भरने की है, और भविष्य में एयरबस A320 विमानों के साथ अंतरराष्ट्रीय मार्गों, विशेषकर खाड़ी देशों (Gulf countries) को जोड़ने का लक्ष्य है।
शंख एयर
यह उत्तर प्रदेश की पहली अपनी एयरलाइन होगी। लखनऊ और नोएडा (जेवर एयरपोर्ट) को अपना हब बनाने वाली शंख एयर को पहले ही मंजूरी मिल चुकी है और इसके 2026 तक परिचालन शुरू करने की उम्मीद है। यह एयरलाइन उत्तर भारत के शहरों को प्रमुख महानगरों से जोड़ने पर ध्यान केंद्रित करेगी।
फ्लाईएक्सप्रेस
इस नई एयरलाइन को भी मंत्रालय से एनओसी मिल गई है, जो इस क्षेत्र में नए निवेश और अवसरों का संकेत है।
क्या यात्रियों को मिलेगा सस्ता टिकट?
बाजार विशेषज्ञों का मानना है कि नए खिलाड़ियों के आने से ‘फेयर वॉर’ शुरू हो सकती है, जिसका सीधा फायदा यात्रियों को कम किराए के रूप में मिलेगा। “उड़ान” (UDAN) योजना के तहत क्षेत्रीय कनेक्टिविटी बढ़ने से टियर-2 और टियर-3 शहरों के यात्रियों को भी अब मेट्रो शहरों जैसी कनेक्टिविटी मिलने की उम्मीद है।
चुनौतियों भरा है भारत के विमानन बाजार में परिचालन
हालांकि, भारतीय एविएशन सेक्टर का इतिहास काफी उथल-पुथल भरा रहा है। गो फर्स्ट और जेट एयरवेज जैसी स्थापित एयरलाइन कंपनियों के ठप पड़ जाने से यह पता चलता है कि यह बाजार कितना संवेदनशील है। ईंधन की बढ़ती कीमतें और परिचालन लागत नई एयरलाइनों के लिए सबसे बड़ी चुनौती होंगी। अब देखना दिलचस्प होगा कि क्या अल-हिंद एयर, फ्लाईएक्सप्रेस और शंख एयर भारतीय एविएशन बाजार के समीकरण बदल पाएंगे या इंडिगो और एयर इंडिया की बादशाहत ऐसे ही कायम रहेगी।