आपको कहीं पहुंचने की जल्दी है और आप किसी कैब एग्रीगेटर कंपनी से कैब या ऑटो बुक करने की कोशिश करते हैं तो कई बार ये सामान्य दरों से अधिक क़ीमतें दिखाता है.
अगर आपको उस जगह तक पहुंचना ही है, तो आप बढ़ी हुई क़ीमत पर टैक्सी बुक कर सकते हैं. लेकिन कभी-कभी आपको अपना प्लान बदलना भी पड़ता है.
दूसरी ओर अगर हम ड्राइवरों और कैब मालिकों की बात करें, तो कभी-कभी वे भी शिकायत करते हैं कि कैब बुकिंग ऐप उनकी कमाई से अतिरिक्त कमीशन काट लेते हैं या उनका बकाया समय पर नहीं चुकाया जाता है.
वे यह भी शिकायत करते हैं कि जब अधिक मांग के कारण दरें बढ़ाई जाती हैं, तो इसका लाभ ड्राइवरों या कार मालिकों को नहीं मिलता है.
बाज़ार में ‘भारत टैक्सी’ नाम से एक नया कैब बुकिंग ऐप लॉन्च किया जा रहा है.
यह ऐप इन दोनों समस्याओं का समाधान करने का दावा करता है.
इस ऐप को भारत सरकार ने ‘सहकार टैक्सी’ नामक एक बहु-राज्यीय सहकारी समिति के माध्यम से लॉन्च किया है.
बुधवार को पंचकुला में इस विषय पर गृह मंत्री और केंद्रीय सहकारिता मंत्री अमित शाह ने कहा, “टैक्सी सेवाएँ देने करने वाली कई कंपनियाँ बाज़ार में मौजूद हैं, लेकिन मुनाफ़ा ड्राइवरों के बजाय मालिकों के पास जा रहा है. सहकारिता मंत्रालय की पहल के तहत, सारा मुनाफ़ा ड्राइवर भाइयों तक पहुँचेगा. इसके साथ ही ड्राइवरों को बीमा जैसी सुविधाएँ भी प्रदान की जाएँगी.”
भारत टैक्सी क्या है?
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इमेज कैप्शन, 25 दिसंबर तक भारत टैक्सी ऐप पर एक लाख 20 हज़ार ड्राइवरों ने रजिस्ट्रेशन कराया है
अमित शाह ने दो दिसंबर को लोकसभा में एक सवाल के जवाब में भारत टैक्सी ऐप के बारे में जानकारी दी थी.
उन्होंने कहा था, “सरकार एक सहकारी समिति द्वारा संचालित मोबिलिटी ऐप लॉन्च कर रही है. यह ऐप देश के कमर्शियल वाहन चालकों को निजी कंपनियों पर अपनी निर्भरता कम करने में मदद करेगा. यह ऐप सहकार टैक्सी कोऑपरेटिव लिमिटेड द्वारा संचालित किया जाएगा, जो एक बहु-राज्यीय सहकारी समिति है. इस ऐप का नाम भारत टैक्सी होगा.”
सहकार टैक्सी कोऑपरेटिव लिमिटेड की वेबसाइट के अनुसार, इसका प्रचार-प्रसार राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम की ओर से किया जा रहा है.
इसके साथ ही, इसे भारत की सात सबसे मशहूर सहकारी संस्थाओं का समर्थन प्राप्त है, जिनमें अमूल, नाबार्ड और इफ़्को जैसी बड़ी सहकारी संस्थाएँ शामिल हैं.
भारत सरकार के सहकारिता मंत्रालय की ओर से दी गई जानकारी के अनुसार, 25 दिसंबर तक इस ऐप पर एक लाख 20 हज़ार ड्राइवरों ने रजिस्ट्रेशन कराया है.
यह ऐप आईओएस और एंड्रॉइड पर डाउनलोड के लिए उपलब्ध है.
यह कैब सेवा ऐप अन्य ऐप्स से कैसे अलग है?
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इमेज कैप्शन, भारत टैक्सी ऐप का प्रचार-प्रसार राष्ट्रीय सहकारी विकास निगम की ओर से किया जा रहा है.
इस कैब सेवा का ऐप नए साल में पायलट प्रोजेक्ट के तौर पर दिल्ली में लॉन्च किया जा रहा है.
इसके बाद इसे उत्तर प्रदेश, गुजरात और महाराष्ट्र में लॉन्च किया जाएगा.
भविष्य में इस ऐप को पूरे देश में लागू करने की योजना है.
इस ऐप के माध्यम से न केवल कैब बल्कि ऑटो और बाइक भी बुक की जा सकेंगी.
इस ऐप की ख़ास बातें
सहकार टैक्सी कोऑपरेटिव लिमिटेड की वेबसाइट के अनुसार, इस ऐप पर पंजीकरण कराने वाले ड्राइवरों से किसी भी प्रकार का कमीशन नहीं लिया जाएगा.
प्रत्येक सवारी की पूरी कमाई ड्राइवर को ही मिलेगी.
सहकारी समिति का पूरा लाभ ड्राइवरों में बाँटा जाएगा.
इस ऐप में किराया हमेशा एक जैसा रहेगा और इसे पारदर्शी तरीक़े से निर्धारित किया जाएगा.
बारिश, व्यस्त समय या ट्रैफ़िक के दौरान भी किराया तय रहेगा, यानी कोई अतिरिक्त किराया नहीं लिया जाएगा, जो अक्सर मोबाइल ऐप्स में लिया जाता है.
24×7 ग्राहक सेवा उपलब्ध रहेगी.
इस ऐप का सेवा मॉडल यात्रियों और चालकों दोनों की सुविधा को ध्यान में रखकर बनाया गया है.
सुरक्षा व्यवस्था क्या है?
टैक्सी से यात्रा करते समय ख़ासकर महिलाओं के लिए सुरक्षा एक बड़ा मुद्दा रहती है.
सहकार टैक्सी कोऑपरेटिव लिमिटेड की वेबसाइट के अनुसार, इस ऐप के माध्यम से जुड़ी टैक्सियाँ जीपीएस से लैस होंगी.
दिल्ली में लॉन्च होने वाले इस ऐप के लिए सुरक्षा व्यवस्था के लिए सहकार टैक्सी कोऑपरेटिव लिमिटेड ने दिल्ली पुलिस के साथ समझौता किया है.
इस ऐप को लेकर क्या-क्या चिंताएँ हैं?
इंडियन फ़ेडरेशन ऑफ़ ऐप-बेस्ड ट्रांसपोर्ट वर्कर्स के अध्यक्ष प्रशांत भागेश सावर्देकर ने इस ऐप को लेकर कुछ चिंताएँ व्यक्त की हैं.
उनका कहना है, “अगर सरकार ऐसा ऐप ला रही है, जिसमें ड्राइवर को बिना किसी कमीशन के पूरा पैसा मिलेगा, तो यह हमारे लिए फ़ायदेमंद है. साथ ही, हमें यह भी देखना होगा कि इस सहकारी समिति को कौन चला रहा है.”
“हमने सरकार से यह भी पूछा कि क्या यह संगठन सरकार का है, और उन्होंने कहा नहीं, हम इस समिति का गठन करेंगे, बाक़ी का संचालन ड्राइवर करेंगे. लेकिन दूसरी ओर, सरकार ने इस सहकारी समिति में अन्य सहकारी संगठनों से पदाधिकारियों की नियुक्ति की है.”
प्रशांत भागेश का कहना है कि सरकार की ओर से अभी पारदर्शिता की कमी है.
समाचार एजेंसी पीटीआई के अनुसार, जयेन मेहता सहकार टैक्सी कोऑपरेटिव लिमिटेड के अध्यक्ष हैं.
इसके साथ ही, वे गुजरात कोऑपरेटिव मिल्क मार्केटिंग फ़ेडरेशन के निदेशक भी हैं.
वह कहते हैं, “ओला और उबर जैसी कंपनियों ने पहले हमें कई सुविधाएँ दीं, फिर उन्होंने बदलाव करना शुरू कर दिया. हमसे लिए जाने वाले कमीशन में भी फेरबदल किया. शुरुआत में उन्होंने हमें न्यूनतम कारोबार राशि का वादा भी किया था, लेकिन धीरे-धीरे सब कुछ घटता चला गया.”
प्रशांत के अनुसार, अभी यह कहना मुश्किल है कि भारत टैक्सी मॉडल कितना सफल होगा.
फिलहाल, लोगों के बीच अपनी प्रतिष्ठा स्थापित करना इसके लिए एक चुनौती है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.