सरकारी तेल कंपनियों ने रूस से कच्चे तेल की खरीद रोकने के सरकारी दबाव से इनकार किया है। कंपनियों का कहना है कि पश्चिमी प्रतिबंधों से रूसी तेल की लागत बदल गई है जिससे यह कम आकर्षक हो गया है। विदेश मंत्रालय ने कहा कि भारत ऊर्जा सुरक्षा और वाणिज्यिक हितों के अनुसार फैसले लेता है। कुछ तेल कंपनियों ने पिछले हफ्ते रूसी तेल नहीं खरीदा है।
जागरण ब्यूरो, नई दिल्ली। सरकारी तेल कंपनियों के अधिकारियों ने इस बात से साफ इनकार किया है कि रूस से कच्चे तेल की खरीद को फिलहाल किसी सरकारी दबाव में रोका गया है।
कंपनियों का कहना है कि रूस पर लगातार अमेरिकी व पश्चिमी देशों के प्रतिबंध की वजह से वैश्विक बाजार में उसके कच्चे तेल की लागत को लेकर समीकरण बदल गये हैं। भारत स्थिति तेल रिफाइनरियों के लिए वैश्विक बाजार से रूसी तेल खरीद कर लाना अब बहुत फायदे का सौदा नहीं रह गया है। इस वजह से ही भारत की तरफ से रूस से कच्चे तेल की खरीद कम की गई है।
पिछले एक हफ्ते में रूस से नहीं खरीदा गया तेल
इस बारे में विदेश मंत्रालय ने भी स्पष्ट किया है कि भारत अपनी ऊर्जा सुरक्षा के हिसाब से फैसला करता है, इस बारे में वाणिज्यिक हितों को देख कर फैसला किया जाता है।
सरकारी क्षेत्र की तीन प्रमुख तेल कंपनियां आइओसी, एचपीसीएल, बीपीसीएल और एमआरपीएल ने पिछले एक हफ्ते से अंतरराष्ट्रीय बाजार में रूस उत्पादित तेल की खरीद नहीं की है। वैसे रूस उत्पादित भारतीय बाजार में आने वाले कुल कच्चे तेल में उक्त चारों कंपनियों की हिस्सेदारी 20 फीसद ही है।
80 फीसद रूस का कच्चा तेल रिलायंस इंडस्ट्रीज और नायरा रिफाइनरी (रूसी तेल कंपनी रोसनेफ्ट) लेती हैं। वजह यह है कि यूरोपीय संघ और अमेरिकी प्रतिबंध के बाद रूस उत्पादित तेल की उच्चतम कीमत बाजार में कम हो गई है। 18 जुलाई को यूरोपीय संघ ने रूसी तेल की उच्चतम कीमत की 60 डॉलर प्रति बैरल से घटा कर 47.6 डॉलर प्रति बैरल कर दी है।
इसके बाद से रूस की कंपनियां जिस क्रूड को भारतीय तेल रिफाइनिंग कंपनियों को 4-5 डॉलर प्रति बैरल सस्ती दर पर दे रही थी वह छूट अब घटा कर दो डॉलर प्रति बैरल हो गई है।
इसके अलावा रूस उत्पादित तेल की खरीद के साथ जोखिम भी बढ़ गई है। अमेरिका जिस तरह से ईरान से तेल खरीदने से संबंधित कई भारतीय कंपनियों को प्रतिबंधित कर रहा है, उसे देखते हुए भारत की तेल कंपनियां रूस को लेकर कोई जोखिम नहीं उठाना चाहती।
क्या है केपलर की रिपोर्ट?
इस बारे में विदेश मंत्रालय के प्रवक्ता रणधीर जायसवाल से पूछा गया तो उनका जवाब था, “भारत अपनी ऊर्जा जरूरत को पूरा करने के लिए हम बाजार में जो प्रस्ताव आता है और वैश्विक हालात को देख कर फैसला किया जाता है।”
तेल कारोबार पर नजर रखने वाली एजेंसी केपलर की ताजी रिपोर्ट बताती है कि अप्रैल से जून, 2025 के दौरान भारत ने कुल तेल खरीद का 41.20 फीसद रूस से खरीदा है।
वैसे भारत सरकार की तरफ से इस बार में कोई डाटा नहीं दिया जाता कि रूस से कितनी तेल की खरीद भारतीय कंपनियां करती हैं। फरवरी, 2022 में यूक्रेन-रूस युद्ध शुरू होने के बाद भारत ने रूस से तेल खरीद में भारी वृद्धि कर दी है। उसके पहले भारत अपनी जरूरत का महज एक फीसद तेल ही रूस से खरीद करता था। अमेरिकी राष्ट्रपति ट्रंप लगातार भारत की इस खरीद पर निशाना साध रहे हैं।