क्या योगी को पसंद कर रही नेपाली जनता
काठमांडू एयरपोर्ट के मुख्य गेट पर ज्ञानेंद्र के कम से कम 10 हजार समर्थक रहे होंगे। भीड़ नारे लगा रही थी-नारायणहिती खाली करो, हमारे राजा आ रहे हैं। नारायणहिती नेपाल का रॉयल पैलेस है, जहां राजा रहा करते थे। हिंदू बहुल नेपाल की जनता को योगी आदित्यनाथ भाते रहे हैं। योगी की हिंदुत्ववादी छवि सबको पसंद आती है। पिछले एक दशक से भी ज्यादा समय से भारत की राजनीति में जबसे योगी उभरे हैं, उसका असर नेपाल में भी देखने को मिल रहा है। भारत के चुनावों में योगी की फायर ब्रांड छवि का असर नेपाल तक हो रहा है। वैसे भी नेपाल भारतीय जमीन से जुड़ा सबसे करीब देश है।

लोग गणतांत्रिक सरकार से निराश क्यों हैं
बताया जा रहा है कि नेपाल में लोग सरकार से काफी निराश हैं और इसी से राजतंत्र के समर्थकों को नेपाल में राजशाही बहाल करने के लिए अपनी मांग उठाने का बड़ा मौका मिला है। नेपाल में कुछ भी होता है तो भारत पर सबकी नजर रहती है। काठमांडू में ज्ञानेंद्र के स्वागत में आई भीड़ में से एक शख़्स ज्ञानेंद्र की तस्वीर के साथ उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की तस्वीर लेकर खड़ा था। तभी से यह विवाद हो रहा है।

जब राजा महेंद्र ने आरएसएस का न्यौता स्वीकार कर लिया था
नेपाल की राजनीति भारत से प्रभावित होती रही है। नेपाल में कई लोग कहते मिल जाते हैं कि यहां की राजनीति काठमांडू स्थित भारतीय दूतावास से चलती है। नेपाल की राजशाही व्यवस्था से भारत की दक्षिणपंथी राजनीति का अच्छा संबंध रहा है। 1964 में नेपाल के राजा महेंद्र को राष्ट्रीय स्वयं सेवक संघ ने नागपुर में मकर संक्रांति की रैली को संबोधित करने के लिए आमंत्रित किया था। इस आमंत्रण को किंग महेंद्र ने स्वीकार कर लिया था। किंग महेंद्र के रुख़ से भारत की तत्कालीन कांग्रेस सरकार काफी असहज थी। तब आरएसएस की कमान गोलवलकर के पास थी और उन्होंने ही किंग महेंद्र के आने की घोषणा की थी।
नेपाल में योगी आदित्यनाथ के चर्चे क्यों?
काठमांडू पोस्ट की एक रिपोर्ट के मुताबिक नेपाल की सियासत में सक्रिय होने से पहले ज्ञानेंद्र लखनऊ में योगी आदित्यनाथ से मिले थे। दोनों के मुलाकात की एक तस्वीर भी मीडिया में आई थी। दोनों क्यों मिले, इसकी जानकारी न तो ज्ञानेंद्र ने और न ही योगी आदित्यनाथ ने दी थी। रिपोर्ट के मुताबिक, 81 फीसदी हिंदू बहुल वाले नेपाल में योगी को एक कट्टर और आदर्श हिंदू नेता के रूप में देखा जाता है।

नेपाल का गोरखनाथ मठ से अटूट रिश्ता
नेपाल के पूर्व नरेश ज्ञानेंद्र और योगी आदित्यनाथ के बीच दशकों पुराना संबंध है। नेपाल राजपरिवार के लोग गोरखपुर में स्थित गोरक्षपीठ को बहुत मानते हैं। पहले भी नेपाल के राजपरिवार से जुड़े लोग इस पीठ में जाते रहे हैं। योगी आदित्यनाथ इस पीठ के पीठाधीश्वर भी हैं। यूपी के मुख्यमंत्री होने के साथ-साथ भारत की केंद्रीय सत्ता में शामिल बीजेपी के वे कद्दावर नेता भी हैं। नेपाल से मकर संक्रांति के अवसर पर बड़ी मात्रा में खिचड़ी भी चढ़ती है। गोरखनाथ मठ का नेपाल पर काफी प्रभाव भी है।
नेपाल में लोकतंत्र कभी स्थायी नहीं रहा
2006 में नेपाल से राजशाही का दुखद अंत हुआ था। 2008 में नेपाल में संविधान लागू हुआ था। तब से अब तक नेपाल में 13 बार प्रधानमंत्री बदले जा चुके हैं। वर्तमान में जो नेपाल की सरकार है, वो भी वैसाखी के सहारे ही सत्ता पर काबिज है। नेपाल जर्नल्स की एक रिपोर्ट के मुताबिक लोकतांत्रिक शासन की तुलना में राजशाही के दौरान नेपाल में विकास के काम ज्यादा हुए।
नेपाली लोकतंत्र में भ्रष्टाचार और महंगाई चरम पर
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि साल 1990 में नेपाल की प्रति व्यक्ति जीडीपी 16,769 रुपए तो भारत की प्रति व्यक्ति जीडीपी 32,145 रुपए दर्ज की गई थी। वहीं, 2019 में इस आंकड़े में भारी फेरबदल देखने को मिला। 2019 में नेपाल की प्रति व्यक्ति जीडीपी 93,554 रुपए तो वहीं और भारत के लिए प्रति व्यक्ति जीडीपी 1,83,440 रुपए दर्ज की गई थी। नेपाल में भ्रष्टाचार और महंगाई भी चरम पर है। भारत से बिगड़ते रिश्तों की वजह से मधेश (बॉर्डर) इलाके के लोग भी परेशान हैं।
नेपाल में घटी हिंदुओं की आबादी और मुस्लिम बढ़े
नेपाल में हिंदुओं और बौद्धों की आबादी पिछले एक दशक में थोड़ी कम हुई है, जबकि मुसलमानों और ईसाइयों की आबादी में मामूली बढ़ोतरी हुई है। केंद्रीय सांख्यिकी ब्यूरो की 2021 की जनगणना रिपोर्ट में कहा गया है कि नेपाल में हिंदू धर्म प्रमुख धर्म है, जिसकी कुल आबादी का 81.19 प्रतिशत है। नेपाल में 2,36,77,744 लोग हिंदू धर्म मानते हैं।
नेपाल में दूसरे नंबर पर बौद्ध धर्म, इस्लाम तीसरे पर
नेपाल में बौद्ध धर्म 23,94,549 अनुयायियों के साथ देश में दूसरा सबसे अधिक पालन किया जाने वाला धर्म है। नेपाल की आबादी में इसकी हिस्सेदारी 8.2 प्रतिशत है। इस्लाम को यहां 14,83,060 लोग मानते हैं और कुल आबादी में 5.09 फीसदी के साथ यह तीसरा सबसे ज्यादा फॉलो किया जाने वाला धर्म है। 2011 की जनगणना के दौरान नेपाल में 81.3 प्रतिशत हिंदू, 9 प्रतिशत बौद्ध, 4.4 प्रतिशत मुस्लिम, 3.1 प्रतिशत किराती और 0.1 प्रतिशत ईसाई थे।
किरात चौथे तो ईसाई पांचवें नंबर पर
नेपाल में स्वदेशी किरात धर्म 3.17 प्रतिशत अनुयायियों के साथ चौथा सबसे बड़ा धर्म है। वहीं, ईसाई धर्म देश का पांचवां सबसे बड़ा धर्म है, जिसका पालन 5,12,313 लोग करते हैं, जो कुल जनसंख्या का 1.76 प्रतिशत हैं। नेपाल हर दस साल में जनसंख्या की जनगणना करता है।
भोजपुरी भाषा बोलते हैं 11 फीसदी से ज्यादा लोग
नेपालियों के माने जाने वाले 10 धर्मों में पांच छोटे धर्मों में प्रकृति, बॉन, जैन, बहाई और सिख शामिल हैं। नेपालियों की कुल 124 मातृभाषाएं हैं, जिनमें से नेपाली 44 प्रतिशत जनसंख्या द्वारा बोली जाती है। उसके बाद मैथिली 11.05 प्रतिशत और भोजपुरी 6.24 प्रतिशत है। इसी तरह, थारू 5.88 प्रतिशत जनसंख्या द्वारा बोली जाती है जबकि तमांग 4.88 प्रतिशत बोली जाती है।