ऑनलाइन फ्रॉड के खतरे के बीच आजकल डिजिटल अरेस्ट के मामले लगातार तेजी से बढ़ रहे हैं जिसमें लोग मिनटों में अपनी जीवन की जमा-पूंजी गंवा दे रहे हैं। घर बैठे लोग इसके शिकार बन रहे हैं। पीएम मोदी की ओर से मुद्दे को उठाने के बाद अब भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसी ने इसे लेकर चेतावनी जारी की है और इससे बचने के तरीके भी बताए हैं।
पीटीआई, नई दिल्ली। देश भर में डिजिटल अरेस्ट की लगातार बढ़ती शिकायतों के बीच भारतीय साइबर सुरक्षा एजेंसी सीईआरटी-इन ने लोगों को आगाह किया है कि अगर आप डिजिटल अरेस्ट का शिकार होते हैं तो जल्दबाजी न करें और न ही डरें। ऐसा करने पर आपको बड़ा नुकसान हो सकता है।
कंप्यूटर इमरजेंसी रिस्पांस टीम ऑफ इंडिया (सीईआरटी-इन) ने इससे बचाव के लिए सुझाव भी दिए हैं। साथ ही ऑनलाइन धोखाधड़ी के तरीकों की एक सूची भी जारी की है, इसके जरिये साइबर धोखेबाज लोगों का पैसा और उनकी निजी जानकारी चुराते हैं। सीईआरटी-इन की यह सलाह ऐसे दिन आई है, जब प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने अपने मन की बात कार्यक्रम में इस मुद्दे को उठाया है।
ऑनलाइन फ्रॉड
सीईआरटी-इन ने बताया है कि डिजिटल अरेस्ट एक ऑनलाइन घोटाला है, सरकारी एजेंसियां आधिकारिक संवाद के लिए वाट्सएप या स्काइप जैसे इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म का इस्तेमाल नहीं करतीं। यदि कोई इस तरीके से आपसे संपर्क करता है तो उसकी हकीकत जानने के लिए संबंधित एजेंसी से सीधे संपर्क करें।
डिजिटल अरेस्ट में फोन कॉल, ईमेल और मैसेज के जरिये धमकी दी जाती है। पीड़ित को गैरकानूनी गतिविधियों की जांच चलने, पहचान से जुड़े दस्तावेज चोरी होने या फिर मनी लॉन्ड्रिंग का डर दिखाया जाता है। साइबर धोखेबाज गिरफ्तार करने या कानूनी नतीजे भुगतने की धमकी देकर पीड़ित को सोचने का मौका नहीं देते हैं। धोखेबाज केस से नाम हटाने या जांच में सहयोग करने की बात करते हैं और रिफंडेबल रकम जमा करने के नाम पर किसी विशेष खाते या यूपीआई आईडी में बड़ी रकम हस्तांतरित करवा लेते हैं।
साइबर ठगी के लिए कई तरीकों का इस्तेमाल करते हैं धोखेबाज
पार्सल के जरिये भी होती है धोखाधड़ी
साइबर धोखेबाज पार्सल के नाम पर पीड़ित को फंसा कर एक तरह से डिजिटल अरेस्ट करने का प्रयास करते हैं। पीड़ित को फोन या मैसेज से बताया जाता है कि आपके खिलाफ ड्रग्स के एक पार्सल से जुड़ी जांच चल रही है। पार्सल को जब्त कर लिया गया है, अगर जुर्माना नहीं भरते तो आप गिरफ्तार होंगे या कानूनी परिणाम भुगतने पड़ सकते हैं। धोखेबाज इंटरनेट मीडिया पर राहत कार्य या किसी स्वास्थ्य से जुड़ी पहल भी करते हैं। इसके जरिये मिलने वाली सहानभूति का इस्तेमाल दान की फर्जी अपील से करते हैं। कई बार फर्जी लेनदेन की रसीद से भी धोखेबाज इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म पर संपर्क करके ठगी का प्रयास करते हैं।
कैसे बचे, क्या करें, क्या न करें?
- साइबर अपराधी संपर्क करें तो जल्दबाजी न करे, न ही डरें।
- कुछ भी करने से पहले शांति से थोड़ा सोचें।
- कोई भी निजी या व्यक्तिगत वित्तीय जानकारी अनजान नंबर से आये फोन या वीडियो कॉल पर साझा न करें।
- दबाव में पैसा हस्तांतरित न करें। असली कानूनी प्रवर्तन एजेंसियां कभी तुरंत पैसा भेजने का दबाव नहीं डालती।
- कोई फोन पर या इंटरनेट मीडिया प्लेटफॉर्म से सीधे पैसा मांगे तो यह सीधे तौर पर घोटाला हो सकता है।