डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। गोवा के नाइट क्लब में हुए अग्निकांड के बाद थाईलैंड के फुकेट भाग गए मुख्य आरोपितों क्लब मालिक सौरभ व गौरव लूथरा पर शिकंजा कसने में भारत सरकार ने पासपोर्ट अधिनियम की धारा 10ए का इस्तेमाल किया।
यह धारा अधिकारियों को किसी व्यक्ति को यात्रा करने से रोकने का अधिकार देती है। केंद्र ने इसके जरिये दोनों भाइयों के पासपोर्ट निलंबित कर दिए यानी वह थाईलैंड से बाहर नहीं जा सकते थे। इसके साथ ही सीबीआइ ने इंटरपोल से लूथरा बंधुओं के खिलाफ ब्लू कार्नर नोटिस जारी करा दिया।
धारा 10A से यात्रा रोकने का अधिकार मिला
इस तरह दोनों भाई थाईलैंड में घिर गए। वहां के अधिकारियों ने गुरुवार को लूथरा ब्रदर्स को हिरासत में ले लिया और अब उन्हें भारत डिपोर्ट करने की तैयारी चल रही है।सूत्रों के अनुसार, एक बार जब लूथरा बंधुओं के पासपोर्ट निलंबित कर दिए गए तो उनका थाईलैंड में रहना अवैध हो गया। इस तरह थाईलैंड के अधिकारियों ने दोनों को हिरासत में ले लिया।
भारतीय अधिकारी अब अग्निकांड के दोनों मुख्य आरोपितों को वापस लाने के लिए थाईलैंड रवाना हो गए हैं। इस बीच केंद्र सरकार ने थाई अधिकारियों के सहयोग और तुरंत की गई कार्रवाई को सराहा है।
प्रेट्र के अनुसार, गोवा पुलिस की जांच में सामने आया था कि बिर्च बाय रोमियो लेन नाइट क्लब में शनिवार को हुए अग्निकांड के एक घंटे के भीतर ही इसके मालिकों सौरभ और गौरव लूथरा ने थाईलैंड की टिकट बुक करा ली थी। एक तरफ जहां प्रशासन राहत कार्यों में लगा था तो लूथरा बंधु देश छोड़कर भागने की फिराक में लगे थे। रविवार सुबह वह फ्लाइट पकड़कर थाईलैंड भाग भी गए थे।
लूथरा बंधुओं को किया जाएगा डिपोर्ट
यह प्रत्यर्पण से अलग किसी भी व्यक्ति का देश से निर्वासन (डिपोर्ट करना) और प्रत्यर्पण (एक्सट्रैडिशन) वैसे तो समान लगता हैं, लेकिन इन दोनों में तकनीकी रूप से काफी फर्क है। हालांकि दोनों ही मामलों में एक देश अपने यहां से विदेशी को बाहर निकालता है। इन दोनों की प्रक्रिया भी अलग-अलग है।
जहां तक लूथरा बंधुओं का सवाल है तो थाईलैंड सरकार उन्हें निर्वासित करेगी। इस प्रक्रिया के तहत कोई भी मेजबान देश अपने क्षेत्र में अवैध रूप से रह रहे किसी विदेशी को बाहर निकालता है। हालांकि दोनों भाइयों ने खुद कोई नियम नहीं तोड़ा मगर भारत सरकार की ओर से उनके पासपोर्ट सस्पेंड किए जाने के बाद वह थाईलैंड के आव्रजन कानून के तहत घिर गए।
ऐसी सूरत में उन्हें अवैध विदेशी के तौर पर भारत डिपोर्ट किया जाएगा। उधर प्रत्यर्पण एक कानूनी प्रक्रिया है। इसमें एक देश किसी दूसरे देश से उस व्यक्ति को वापस सौंपता है, जिसने वहां कोई अपराध किया हो, ताकि उस पर मुकदमा चलाया जा सके। यह एक अंतरराष्ट्रीय सहयोग प्रक्रिया है जो दो देशों के बीच संधि या समझौते पर आधारित होती है।