पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में भारतीय उच्चायोग को अखबार देने पर रोक लगा दी है जिसे भारत ने वियना संधि का उल्लंघन बताया है। वियना संधि जो 1961 में हुई थी राजनयिकों को विशेष अधिकार देती है जिसमें गिरफ्तारी से छूट और कस्टम टैक्स में छूट शामिल है। 1963 में एक और संधि हुई जिसके तहत दूतावास की सुरक्षा और गिरफ्तार विदेशी नागरिकों की सूचना दूतावास को देने का प्रावधान है।
डिजिटल डेस्क, नई दिल्ली। पाकिस्तान ने इस्लामाबाद में स्थित भारतीय उच्चायोग में अखबार देने पर पाबंदी लगा दी है। भारत ने इसे पाकिस्तान की छोटी सोच वाली कार्रवाई और वियना संधि का उल्लंघन बताया है।
आखिर क्या है वियना संधि और इसके तहत क्या-क्या अधिकार मिलते हैं? आइए जानते हैं…
आजाद और संप्रभु देशों के बीच आपसी राजनयिक संबंधों को लेकर सबसे पहले 1961 में वियना कन्वेंशन हुआ था। इसके तहत एक ऐसे अंतरराष्ट्रीय संधि का प्रावधान किया गया, जिसमें राजनयिकों को विशेष अधिकार दिए गए। इसके आधार पर ही राजनयिकों की सुरक्षा के लिए अंतरराष्ट्रीय कानूनों का प्रावधान किया गया।
क्या-क्या मिलते हैं अधिकार?
- इस संधि के तहत मेजबान देश अपने यहां रहने वाले दूसरे देशों के राजनयिकों को खास दर्जा देता है।
- इस संधि का ड्राफ्ट इंटरनेशनल लॉ कमीशन ने तैयार किया था और 1964 में यह संधि लागू हुआ।
- फरवरी 2017 में इस संधि पर कुल 191 देशों ने दस्तखत किया था। इस संधि के तहत कुल 54 आर्टिकल हैं।
- इस संधि के प्रमुख प्रावधानों के तहत कोई भी देश दूसरे देश के राजनयिकों को किसी भी कानूनी मामले में गिरफ्तार नहीं कर सकता है।
- साथ ही, राजनयिक के ऊपर मेजबान देश में किसी भी तरह का कस्टम टैक्स नहीं लगेगा।
1963 में आया नया प्रावधान
साल 1963 में संयुक्त राष्ट्र ने इसी संधि से मिलती जुलती एक और संधि का प्रावधान किया। इस संधि को ‘वियना कन्वेंशन ऑन कांसुलर रिलेशंस’ के नाम से जाना जाता है।
इस संधि के आर्टिकल 31 के तहत मेजबान देश दूतावास में नहीं घुस सकता है और उसे दूतावास के सुरक्षा की जिम्मेदारी भी उठानी है। इसके आर्टिकल 36 के तहत अगर किसी विदेशी नागरिक को कोई देश अपनी सीमा के भीतर गिरफ्तार करता है तो संबंधित देश के दूतावास को बिना किसी देरी के तुरंत इसकी सूचना देनी पड़ेगी।
कब हुआ था भारत-पाक का समझौता?
गिरफ्तार किए गए विदेशी नागरिक के आग्रह पर पुलिस को संबंधित दूतावास या राजनयिक को फैक्स करके इसकी सूचना भी देनी पड़ेगी। इस फैक्स में पुलिस को गिरफ्तार व्यक्ति का नाम, गिरफ्तारी की जगह और गिरफ्तारी की वजह भी बतानी होगी।
इस संधि में यह भी प्रावधान है कि राष्ट्रीय सुरक्षा के मामलों में जैसे जासूसी या आतंकवाद आदि में गिरफ्तार विदेशी नागरिक को राजनयिक पहुंच नहीं भी दी जा सकती है। खासकर तब जब दो देशों ने इस मसले पर कोई आपसी समझौता कर रखा हो। भारत और पाकिस्तान के बीच 2008 में इसी तरह का एक समझौता हुआ था।