इमेज स्रोत, Getty Images
-
- Author, एस.जे. वेलास्केज़
- पदनाम, बीबीसी ट्रैवल
-
मेव और जो कॉनेल परिवार के घर में सेंट निकोलस चर्च टावर के खंडहर मौजूद हैं. 13वीं सदी के इस खंडहर में क़ब्रिस्तान भी है जो हरे घास के मैदान और पहाड़ियों के बीच है.
इस क़ब्रिस्तान में दफ़्न अधिकतर लोग इस जागीर के शुरुआती निवासियों में हैं और स्थानीय लोगों के मुताबिक़ इन लोगों में मायरा के सेंट निकोलस भी हैं.
जी बिलकुल आपने सही समझा वही सेंट निक जिनको सैंटा क्लॉस का किरदार गढ़ने वाला माना जाता है और ऐसा भी कहा जाता है कि दान करने की खूबी के कारण उन्हें ही सैंटा क्लॉस माना जाता था.
आज ओ कॉनेल जोरपॉइंट पार्क के इकलौते मालिक और यहां रहने वाले अकेले शख़्स हैं.
120 एकड़ में फैला 12वीं सदी का यह मध्यकालीन शहर आयरलैंड के किलकेनी शहर से दक्षिण में 20 किलोमीटर दूर है.
ये जगह नोर और लिटिल एरिंगल नदी के क्रॉसिंग पॉइंट पर बसा है और ऐसा माना जाता है कि इस इलाक़े को नोरमंस ने आबाद किया था जो साल 1160 में आयरलैंड आए थे.
इमेज स्रोत, Peter Unger/Getty Images
कैसा था शहर और कहां ग़ायब हुए लोग
आयरलैंड की हेरिटेज काउंसिल ने एक संरक्षण योजना के मुताबिक़, इस शहर को 15वीं सदी में और निखारा गया. पुरातात्त्विक साक्ष्य बताते हैं कि इस दौरान घर, बाज़ार, एक टावर, एक पुल, गलियां, एक मिल, वाटर मैनेजमेंट सिस्टम और क़रीब में ही जेरपॉइंट एबी बनाया गया. ये जेरपॉइंट एबी आज भी वहीं खड़ा है.
लेकिन 17वीं सदी में इस शहर के लोग ग़ायब हो गया. अनुमान है कि हिंसक हमलों या महामारी की वजह से लोग यहां से चले गए.
तो फिर ऐसा कैसे हुआ कि सेंट निकोलस की क़ब्रगाह बताए जाने वाला ये शहर एक भूतिया शहर से निजी संपत्ति में बदला और फिर इसको लेकर काफ़ी रहस्य बन गए. हालांकि ओ कॉनेल समेत स्थानीय बुद्धिजीवी इसको लेकर अधिकतर जानकारी दे सकते हैं.
इस संपत्ति को दिखाते समय मेव और टिम ने हमें बताया कि यहां हमेशा से प्रसिद्ध शख़्सियत (सेंट निक) मौजूद थे. उन्होंने चर्च के क़ब्रिस्तान में हमें एक पत्थर पर बनी आकृति को दिखाया. इस आकृति में सेंट निक सामने की ओर देख रहे हैं और ये उनके दानशील स्वभाव को दिखाता है.
मेव कहती हैं कि ‘वो चीज़ों को दे रहे हैं.’
इमेज स्रोत, Peter Horree/Alamy
सैंटा क्लॉस और सेंट निक क्या एक ही हैं?
असल में इसे दान के संकेत के तौर पर देखा जा सकता है और माना जाता है कि सैंटा क्लॉस, क्रिस क्रिंगल, फ़ादर क्रिसमस और सेंट निक जैसे एक ही नाम के शख़्स थे जो गिफ़्ट देते थे.
हालांकि धार्मिक आस्था के तौर पर ये भी माना जाता है कि सैंटा क्लॉस जीवित हैं और जो लोग उन्हें मानते हैं वो उनके दिल में जीवित है. लेकिन जिस शख़्स ने इस ऐतिहासिक चरित्र को प्रेरित किया वो मायरा के ही सेंट निकोलस थे.
संत बनने से पहले निकोलस एक अनाथ बच्चे थे जो प्राचीन रोम के पतारा शहर में पैदा हुए थे. वेटिकन न्यूज़ के मुताबिक़, उन्होंने अपनी पूरी विरासत ज़रूरतमंदों, बीमारों और ग़रीबों को दान कर दी थी.
इसके बाद वो मायरा के बिशप बन गए जो अब आधुनिक तुर्की का हिस्सा है. वो बिशप साल 325 में उसी काउंसिल ऑफ़ नाइसिया में बने थे जिसमें ईसा मसीह को ईश्वर का पुत्र घोषित किया गया था. सेंट निकोलस की मौत 6 दिसंबर 343 में मायरा में हुई. हालांकि आज भी सेंट निकोलस की क़ब्र कहां है इसको लेकर विद्वानों के बीच गुत्थी उलझी हुई है.
कुछ लोगों का मानना है कि तुर्की के अंतालया के सेंट निकोलस चर्च के अंदर उनका मकबरा है. वहीं कुछ का दावा है कि उनके शव को चुरा लिया गया था और इटली के बरी में उसे दफ़नाया गया था. ऐसा माना जाता है कि शव को इटली के बासिलिका दी सैन निकोला के चर्च के तहख़ाने में दफ़नाया गया था.
वहीं कुछ यह भी कहते हैं कि सेंट निक के शव से उनकी चीज़ें छीनकर या तो बेच दी गई थीं या तो लोगों को तोहफ़े में दे दी गई थीं.
इमेज स्रोत, SJ Velasquez
आयरलैंड कैसे पहुंचे अवशेष
मेव एक प्रतिमा की ओर इशारा करते हुए दिखाती हैं जिसमें दो शख़्स सेंट निकोलस के कंधों से झांक रहे हैं. वो विस्तार से बताते हुए कहती हैं कि ये दोनों क्रूसेडर के योद्धाओं को दिखाता है जो सेंट निकोलस के शव को तुर्की से इटली सुरक्षित रखने के लिए ले जा रहे हैं.
वो बताती हैं कि इस मिशन के दौरान वो योद्धा संत के कुछ अवशेष आयरलैंड ले आए और उन्होंने न्यूटाउन जेरपॉइंट के सेंट निकोलस चर्च में उन्हें दफ़ना दिया गया, जिसके बाद उन्हें चर्च के क़ब्रिस्तान में दफ़नाया गया.
मेव और जो यहां कैसे आए इसके बारे में भी वो बताती हैं. वो बताती हैं कि जेरपॉइंट पार्क में वो 16 साल पहले आए. वो कहती हैं, “हमने सिर्फ़ आयरलैंड में ही नहीं बल्कि सूनसान शहरों की कुछ जगहें ब्रिटेन के टापुओं पर भी ख़रीदी हैं.”
जेरपाइंट पार्क के इलाके में अभी खेती होती है और मेव कहती हैं कि ये ‘वर्जिन साइट’ है क्योंकि इसके अधिकतर इलाक़ों को घूमा नहीं गया है. लेकिन कुछ विद्वानों का तर्क है कि इस जगह पर भी काफ़ी फ़साद हुआ था.
आयरलैंड के इमीग्रेशन म्यूज़ियम एपिक के एग्ज़िबिशन और प्रोग्राम प्रमुख नैथन मेनियन कहते हैं, “वो जगह जहां पर क़ब्र है वो उसकी असली लोकेशन नहीं है. साल 1839 में इसको यहां पर लाया गया था.
मेनियन ख़ुद काउंटी किलकेनी के रहने वाले हैं और वो जेरपॉइंट पार्क में सेंट निक के मकबरे से जुड़ी अफ़वाहों को सुनते हुए बड़े हैं. इसने उनकी जिज्ञासाओं को और बढ़ाया.
वो कहते हैं, “मैं हमेशा से इतिहास को लेकर काफ़ी दिलचस्पी रखता था और यही मुझे इस पेशे में लाया.”
इमेज स्रोत, Carol Di Rienzo Cornwell/Alamy
क्या वास्तव में सैंटा यहां हैं दफ़्न
जेरपाइंट पार्क मकबरे में क्या है इस पर वो कहते हैं कि इस कहानी के बारे में किसी भी हद तक निश्चितता के साथ कुछ भी कहना असंभव है.
कुछ का मानना है कि यहां पर सेंट निकोलस के अवेशष दफ़्न हैं तो वहीं कुछ का कहना है कि क़ब्र के बारे में ग़लतफ़हमी है और ये वास्तव में एक स्थानीय पादरी की क़ब्र है.
वो कहते हैं, “1839 में जब इस क़ब्र को यहां लाया गया तो शायद उन्होंने सोचा हो कि इसमें क्या है.”
हालांकि, मेव कहती हैं कि उनके मकबरे को खोदने की कोई योजना नहीं है और उनका मानना है कि इसमें संत के अवशेष हैं.
वो कहती हैं, “तथ्य ये है कि जो प्रतिमा है उसमें उन अवशेषों को दिखाया गया है, इसलिए लोग इस जगह को अहम मानते हैं. आप किसी भी बड़ी प्रतिमा को बिना बात के नहीं लगाएंगे. आप जानते हैं कि यहां पर कुछ तो है.”
मेनियन मानते हैं कि क़ब्र के ऊपर बनी प्रतिमा के नीचे क्या है इसे बिना खोदे नहीं जाना जा सकता है. उनका मानना है कि यह आस्था का मामला है और संतों के शरीर के अवशेष पूरा दुनिया में पाए जाते रहे हैं और इसकी पुष्टि का इकलौता सहारा डीएनए सैंपल्स हैं.
वो कहते हैं, “इस वजह से मैं नहीं कह सकता कि क्या वास्तव में सैंटा आयरलैंड में हैं या नहीं. और न ही मैं ये करना चाहूंगा.”
मेव क्रिसमस से जुड़ी चीज़ों को लेकर काम कर रही हैं और जेरपॉइंट पार्क के मकबरे में में सालाना 10 हज़ार पर्यटक आते हैं.
हालांकि, जेरपॉइंट पार्क एक बड़ी क्रिसमस से जुड़ी जगह नहीं है. इस वजह से ये आम लोगों के लिए हर वक़्त नहीं खुला है लेकिन मेव कहती हैं कि पर्यटक जेरपॉइंट पार्क पर संपर्क करके प्राइवेट टूर ले सकते हैं. दिसंबर में जेरपॉइंट पार्क का अधिकतर हिस्सा बेहद शांत रहता है.
मेव कहती हैं कि वो, जो और उनके दो बच्चे 6 दिसंबर को सेंट निकोलस के फ़ीस्ट डे पर परिवार के साथ चुपचाप इसको सेलिब्रेट करते हैं. क्रिसमस पर वो और उनके क़रीबी साथ मिलकर जश्न मनाते हैं.
मेव कहती हैं, “मुझे क्रिसमस से प्यार है. ये बेहद जादूई है.”