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ख़तरे में है अभिव्यक्ति की आज़ादी: सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्यायाधीश जस्टिस अभय ओक

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Sep 3, 2025


सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अभय ओक

इमेज स्रोत, Getty Images

इमेज कैप्शन, सुप्रीम कोर्ट के पूर्व जज जस्टिस अभय ओक (फ़ाइल फ़ोटो)

सुप्रीम कोर्ट के पूर्व न्‍यायाधीश जस्टिस अभय श्रीनिवास ओक का मानना है क‍ि आज अभिव्यक्ति की आज़ादी और पर्सनल लिबर्टी यानी व्यक्तिगत आज़ादी जैसे मौल‍िक अधिकार ख़तरे में हैं.

उनका कहना है, “सत्ता में चाहे कोई भी पार्टी हो, अगर आप इतिहास देखें, तो सरकारों की इन मौलिक अधिकारों पर हमला करने की प्रवृत्ति हमेशा रही है.”

जस्टिस अभय ओक ने क़रीब 22 साल जज के तौर पर काम क‍िया. वे इसी साल मई में सुप्रीम कोर्ट से र‍िटायर हुए. इससे पहले वे बॉम्बे हाई कोर्ट के न्यायाधीश और कर्नाटक हाई कोर्ट के चीफ़ जस्टिस रह चुके थे.

न्यायपालिका कैसे बदली है? न्यायाधीशों की नियुक्ति कैसे होती है? कैसे आज मौलिक अधिकार ख़तरे में हैं? बीबीसी हिन्दी से ख़ास बातचीत में जस्टिस ओक ने इन्हीं सवालों के जवाब दिए हैं.

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