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खुद अपनी मौत को बुलावा दे रहा पाकिस्तान, मुस्लिम देश भी समझ गए बात, भारत की ताकत के आगे कहां टिकेगा दुश्मन – pakistan is inviting its own death even muslim countries have understood how can it stand before powerfull india after operation sindoor

Byadmin

May 9, 2025


नई दिल्ली: रावलपिंडी सैन्य मुख्यालय के जनरल पाकिस्तान को एक खतरनाक रास्ते पर ले जा रहे हैं। जनरल असीम मुनीर की अगुवाई में पाकिस्तान ने जो रास्ता पकड़ा है, उसकी मंजिल सिर्फ तबाही है। भारत ने पाकिस्तान के अंदर आतंकी ठिकानों पर ऑपरेशन सिंदूर को सफलतापूर्वक अंजाम दिया। इसके बाद लगा कि पाकिस्तान की सरकार भी तनाव बढ़ाने को तैयार नहीं है। लेकिन, पिछले दो दिनों से जो कुछ हो रहा है, उससे लगता है कि पाकिस्तानी जनरलों ने ऐसा नहीं होने दिया। उन्होंने आतंकी ठिकानों के सफाए का बदला लेने की ठान ली और पाकिस्तान सरकार को अपने इशारे पर चलने पर मजबूर कर दिया। क्योंकि, ऑपरेशन सिंदूर के तत्काल बाद पाकिस्तानी सरकार की प्रतिक्रिया और उसके बाद पाकस्तानी फॉज की करतूत में जमीन-आसमान का अंतर नजर आ रहा है।

हारने वाला खेल खेल रहा है पाकिस्तान

22 अप्रैल को पहलगाम हमले में पाकिस्तान में पले-बढ़े आतंकियों का हाथ है। उसके बाद से पाकिस्तान ने नियंत्रण रेखा पर पहले युद्धविराम का उल्लंघन शुरू किया। फिर ऑपरेशन सिंदूर के बाद वाली लगातार दो रातों 7-8 और 8-9 मई को ड्रोन और मिसाइलों से भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की नाकाम कोशिशें की हैं। भारतीय सशस्त्र सेना उसकी हर हरकतों का मुंहतोड़ जवाब दे रही है। पाकिस्तान पूरी तरह से फेल हो रहा है। क्योंकि, भारत के पास कहीं बेहतर हवाई सुरक्षा प्रणाली है। भारत ड्रोन बनाने का केंद्र बन रहा है, जबकि पाकिस्तान के पास ऐसा कुछ नहीं है। भारत के पास पाकिस्तान से कहीं ज्यादा संसाधन हैं। चीन भी पाकिस्तान के इस लफड़े में पड़ने के लिए तैयार नहीं हो रहा। इसलिए, पाकिस्तान एक हारने वाला खेल खेल रहा है। भारत को आर्थिक और सैन्य तौर पर बड़ी बढ़त हासिल है। भारत लगातार तनाव कम करने की कोशिश कर रहा है। लेकिन, अपनी संप्रभुता की कीमत पर हरगिज नहीं।

पाकिस्तानी फौज के आगे शहबाज सरकार सरेंडर

ऑपरेशन सिंदूर में जब भारत ने पाकिस्तान और पाकिस्तानी कब्जे वाले जम्मू और कश्मीर (PoJK) में 9 आतंकी ठिकानों पर हमले करके उन्हें नेस्तनाबूद कर दिया था, तब पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ का पहला बयान इसी ओर इशारा कर रहा था कि वह कोई भड़काऊ जवाबी कार्रवाई नहीं करेगा। जबकि, पहले वाले इनके बयान काफी भड़कीले रहे थे। लेकिन, मुनीर की सेना अपनी सरकार की बात मानने को तैयार नहीं हुई। उन्होंने बदला लेने की कसम खाई और शहबाज शरीफ की सरकार को अपनी बात मानने के लिए मजबूर कर दिया। पाकिस्तान की यही सबसे बड़ी त्रासदी है कि सरकार के पास कोई अधिकार नहीं है और सेना जो कहती है, वही होता है।

मुस्लिम देश भी समझ चुके हैं बात

दुनिया में भारत आज कहां खड़ा है, इसे स्वीकार करने के लिए शायद पाकिस्तान तैयार नहीं है। गुरुवार को जब भारतीय सशस्त्र सेना लाहौर में पाकिस्तानी सैन्य ठिकानें पर उसके एयर डिफेंस सिस्टम को तबाह कर रही थी, तब इस्लामिक सहयोग संगठन (Organisation of Islamic Cooperation) के दो महत्वपूर्ण देशों के मंत्रियों की विदेश मंत्री एस जयशंकर दिल्ली में मेजबानी कर रहे थे। ये देश हैं सऊदी अरब और ईरान। जयशंकर ने ईरान के विदेश मंत्री अब्बास अराघची और सऊदी अरब के मंत्री आदिल अल-जुबेर से अलग-अलग बैठकें कीं। ईरानतो पाकिस्तान का पड़ोसी भी है। भारत ने दोनों मुस्लिम देशों के मंत्रियों को ‘ऑपरेशन सिंदूर’ के बारे में जानकारी दी। भारत ने बताया कि ये ऑपरेशन, पाकिस्तान की ओर से पहलगाम में किए गए आतंकी हमलों के बाद किया गया। सऊदी अरब और ईरान दोनों ने पहलगाम हमले की निंदा की है। विदेश मंत्री ने अपने मेहमानों को समझाया कि भारत की प्रतिक्रिया ‘नपी-तुली, सटीक और किसी तरह से भड़काने वाली नहीं’ थी। भारत ने ऐसा कुछ नहीं किया, जिससे स्थिति और बिगड़े।

पाकिस्तान अपनी अंजाम का जिम्मेदार खुद

पहलगाम आतंकी हमले के लिए पाकिस्तान जिम्मेदार है तो ऑपरेशन सिंदूर के बाद हालात बेकाबू न हो, इसकी भी जिम्मेदारी उसी की है। यानी अब जो कुछ हो रहा है, उसे रोकने की पहल पाकिस्तान को ही करनी पड़ेगी और अमेरिका भी बिना कहे, इसी ओर संकेत दे रहा है। भारत ने हमेशा सीमा पार से होने वाली हर हरकत का मुंहतोड़ जवाब दिया है और आगे भी देता रहेगा। पाकिस्तान को यह याद रखना जरूरी है कि तनाव की शुरुआत उसी ने की है। भारत ने सिर्फ आतंकियों और उनके आकाओं के खिलाफ एक सटीक और लक्षित कार्रवाई की; और भारत ने दुनिया भर के देशों को अपना रुख स्पष्ट रूप से बता दिया है और दुनिया भर से मिल रही प्रतिक्रियाएं भी भारत के रुख की पुष्टि कर रही हैं।

भारत ने हवाई सुरक्षा को लगभग अभेद्य बनाया

इसके बावजूद, पाकिस्तान की फौज ने ड्रोन और मिसाइलों से भारतीय सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की कोशिश करके और उकसाने की कोशिश की। हालांकि, भारत के इंटीग्रेटेड काउंटर UAS ग्रिड और एयर डिफेंस सिस्टम, जिसमें टॉप-ऑफ-द-लाइन S-400 भी शामिल है, ने उन सभी को हवा में ही मार गिराया है। यानी इस मामले में पाकिस्तान फिर से भारत के सामने बौना साबित हुआ है। पाकिस्तान को 8 और 9 अप्रैल की रात को भी पश्चिमी सीमाओं पर भारतीय सशस्त्र बलों से इसी तरह का करारा जवाब मिला है। दरअसल, 2019 में बालाकोट के बाद से भारत ने अत्याधुनिक हवाई रक्षा ग्रिड बनाने पर काफी पैसा खर्च किया है। चाहे वह रूस से खरीदा गया S-400 हो या फ्रांस से मंगवाए गए अचूक राफेल लड़ाकू विमान भारत ने अपनी हवाई सुरक्षा को लगभग अभेद्य बना दिया है। यही वजह है कि पाकिस्तान ने बुधवार और गुरुवार की रात अंतरराष्ट्रीय सीमा (IB) और नियंत्रण रेखा (LoC) पर कई जगहों पर भारतीय सुरक्षा को तोड़ने की कोशिश की, लेकिन उसके पास भारत की बराबरी का कुछ भी नहीं है। पाकिस्तान ने सैन्य प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की नाकाम कोशिश की, जिसके जवाब में भारतीय सेना ने इजरायल में बने हारोप और हार्पी ड्रोन से पाकिस्तानी हवाई रक्षा प्रणालियों को भेद दिया और लाहौर में हवाई रक्षा प्रणाली को नष्ट कर दिया।

आत्महत्या का रास्ता छोड़ दे पाकिस्तान

ड्रोन भी एक ऐसा क्षेत्र है, जहां भारत पाकिस्तान से बहुत आगे है। भारत ड्रोन बनाने का केंद्र बनने की ओर बढ़ रहा है। जबकि इस्लामाबाद के पास ऐसा कोई औद्योगिक आधार नहीं है और वह शायद सिर्फ तुर्की और चीन के ड्रोन पर ही निर्भर रह सकता है। इन सब बातों को देखते हुए, इस्लामाबाद के लिए नई दिल्ली के साथ लंबी लड़ाई लड़ना मुश्किल होगा। उसके पास इतने संसाधन नहीं हैं। अगर वह तनाव बढ़ाता है, तो उसके पास गोला-बारूद भी खत्म हो सकता है। भारत के पास गोला-बारूद का मजबूत भंडार है, इसलिए उसे ऐसी कोई चिंता नहीं है। यह भी ध्यान देने वाली बात है कि पाकिस्तान का ‘आयरन-ब्रदर’ चीन भी आतंकवाद के खिलाफ आवाज बुलंद कर रहा है, जो पाकिस्तान को बिना कुछ कहे सब कुछ बता रहा है।
इसलिए, पाकिस्तान एक हारने वाला खेल खेल रहा है। भारत की आर्थिक शक्ति, संघर्ष के प्रभाव को झेलने की क्षमता और कहीं ज्यादा मजबूत सैन्य ताकत उसे स्पष्ट बढ़त दिलाती है। भारत लगातार तनाव कम करने की कोशिश कर रहा है। पाकिस्तान के जनरलों को अब यह समझ जाना चाहिए और पीछे हट जाना चाहिए। उन्हें आत्महत्या का रास्ता छोड़ देना चाहिए।

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