मंत्री मिथिलश ठाकुर को अपने कार्याें पर भरोसा
गढ़वा विधानसभा चुनाव मे वर्ष 2019 के चुनाव में जेएमएम के मिथिलेश ठाकुर ने 20 हजार से अधिक मतों के अंतर से जीत हासिल की थी। लेकिन इस बार मिथिलेश ठाकुर को बीजेपी के सत्येंद्रनाथ चौधरी के अलावा सपा उम्मीदवार गिरिनाथ सिंह से भी टक्कर मिल रही है। रंका राज परिवार के सदस्य गिरिनाथ सिंह और उनके परिवार का गढ़वा में चार दशक से अधिक समय तक दबदबा रहा है। जबकि बीजेपी के सत्येंद्रनाथ तिवारी भी दो बार गढ़वा के विधायक रह चुके हैं।
गिरिनाथ सिंह के मैदान में उतरने से मुश्किलें बढ़ी
मिथिलेश ठाकुर ने 2019 के चुनाव में जीत हासिल करने के बाद मंत्री बने। पांच वर्षों के कार्यकाल में मिथिलेश ठाकुर के प्रयास से क्षेत्र में कई परियोजनाएं पूरी हुई, जिसका फायदा उन्हें इस चुनाव में मिलने की उम्मीद है। वहीं पूर्व विधायक गिरिनाथ सिंह के चुनाव मैदान से उतरने से उनकी मुश्किलें बढ़ गई है।
2019 में हार के बाद भी सत्येंद्र तिवारी क्षेत्र के लोगों से संपर्क में रहे
सत्येंद्र नाथ तिवारी ने 2009 में झाविमो और 2014 में भाजपा टिकट पर जीत हासिल की। लेकिन 2019 के चुनाव में सत्येंद्र नाथ तिवारी हार गए। लेकिन चुनाव हारने के बावजूद वो लगातार क्षेत्र के लोगों से संपर्क में रहे, जिसका फायदा उन्हें इस चुनाव में मिलने की उम्मीद है। हालांकि सभी जाति समुदाय को साधना, विशेषकर अल्पसंख्यक मतदाताओं को अपने पक्ष में करना उनके लिए बड़ी चुनौती होगी।
गिरिनाथ सिंह 4 बार गढ़वा के विधायक रहे
गिरिनाथ सिंह चार बार गढ़वा के विधायक रहे। रंका राजपरिवार का सदस्य रहने के कारण पूरे इलाके में उनकी गिनती एक प्रभावशाली नेता के रूप में होती है। गिरिनाथ सिंह को 2005 में अंतिम बार जीत मिली थी, लेकिन विधायक नहीं रहने के बावजूद क्षेत्र में लगातार वो सक्रिय रहे।
भवनाथपुर में बीजेपी और जेएमएम के बीच सीधी टक्कर
भवनाथपुर विधानसभा क्षेत्र में भाजपा के भानु प्रताप शाही और जेएमएम के अनंत प्रताप देव के बीच सीधी टक्कर है। वर्ष 2019 में भानु ने बसपा की सोगरा बीबी को हरा कर जीत हासिल की थी। इस बार बसपा की सोगरा बीबी चुनाव मैदान में नहीं है। भानु इस सीट से पहले भी तीन बार जीत हासिल कर चुके हैं, जबकि अनंत प्रताप देव को भी एक बार जीत मिली थी।
भानु के तरफ युवाओं का झुकाव
भानु प्रताप शाही वर्ष 2000 से ही भवनाथपुर सीट से चुनाव लड़ रहे हैं। पहली बार उन्हें सफलता नहीं मिली। लेकिन 2005 में उन्होंने फारवर्ड ब्लॉक प्रत्याशी के रूप में जीत हासिल की। लेकिन 2009 के चुनाव में वो हार गए। इसके बाद 2014 में निर्दलीय और 2019 में बीजेपी टिकट पर जीत हासिल की। बीजेपी प्रत्याशी भानु प्रताप शाही के तरफ युवाओं का झुकाव देखने को मिल रहा और वो क्षेत्र की समस्याओं को लगातार उठाते रहते हैं। लेकिन इस बार उनके लिए एंटी इनकंबेंसी का खतरा नजर आ रहा हैं, जबकि सोगरा बीबी के चुनाव मैदान में नहीं होने से उनके समर्थकों का समर्थन जेएमएम को मिल रहा है।
अनंत प्रताप देव के पक्ष में मुस्लिम-ब्राह्मण का सियासी समीकरण
अनंत प्रताप देव श्री बंशीधर राजपरिवार के सदस्य हैं। इस परिवार के कई सदस्य पहले भी भवनाथपुर सीट से चुनाव में जीत हासिल कर चुके हैं। जबकि वर्ष 2009 में खुद कांग्रेस टिकट पर अनंत प्रताप देव भी भवनाथपुर के विधायक रह चुके हैं। लेकिन बार-बार पार्टी बदलने से उनकी छवि को भी धक्का लगा है। परंतु इस बार बसपा की सोगरा बीबी चुनाव मैदान में नहीं हैं, जिसके कारण मुस्लिम मतदाताओं के उनके पक्ष में एकमुश्त आने की संभावना है।