77वें सेना दिवस के मौके पर अपने संबोधन के दौरान सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि गलवान में जो कुछ किया गया वह दोहाराया न जाए। उन्होंने कहा कि हमारी आंखें और कान और पूरे देश का दृष्टिकोण उस ओर केंद्रित होना चाहिए। बता दें कि जून 2020 में गलवान घाटी में एक घातक झड़प हुई थी।
पीटीआई, पुणे। सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी ने बुधवार को कहा कि उत्तरी सीमा पर स्थिति स्थिर बनी हुई है, लेकिन सेंसिटिव भी है। उन्होंने कहा कि गलवान में जो कुछ भी हुआ, ऐसी घटना दोबारा नहीं होनी चाहिए।
सेना प्रमुख ने कहा कि सेना किसी भी स्थिति से निपटने के लिए पूरी तरह तैयार और समर्थ है। 77वें सेना दिवस पर अपने संबोधन में उन्होंने कहा कि उत्तरी सीमा पर आधुनिक उपकरण और महत्वपूर्ण बुनियादी ढांचे के विकास पर विशेष ध्यान दिया गया है।
गलवान की झड़प पर बोले
आर्मी चीफ ने कहा कि हमें यह सुनिश्चित करना होगा कि गलवान में जो कुछ किया गया, वह दोहाराया न जाए। बता दें कि भारत और चीन के बीच पूर्वी लद्दाख में सैन्य गतिरोध मई 2020 में शुरू हुआ था।
इसका मतलब है कि हमारी आंखें और कान और पूरे देश का दृष्टिकोण उस ओर केंद्रित होना चाहिए। चाहे वह राजनयिक प्रयास हो या सैन्य प्रयास या फिर गृह मंत्रालय स्तर के, हम सभी को इस मुद्दे पर एकजुट होना चाहिए और यह सुनिश्चित करना चाहिए कि हमें भविष्य में ऐसा कोई सरप्राइज न मिले।
– सेना प्रमुख जनरल उपेंद्र द्विवेदी
सीमाओं की बताई स्थिति
- उत्तरी सीमा पर स्थिति के बारे में एक सवाल पर उन्होंने कहा, ‘सीमाएं सुरक्षित हैं, क्योंकि सेना आवश्यक तैनाती के साथ वहां बैठी है।’ भारत और चीन के बीच हाल ही में पूर्वी लद्दाख में वास्तविक नियंत्रण रेखा (एलएसी) पर गश्त करने और सैनिकों को हटाने पर एक समझौता हुआ था।
- यह कदम गलवान घाटी में हुई झड़प के बाद से पूर्वी लद्दाख में एलएसी पर तनाव कम करने की दिशा में एक महत्वपूर्ण प्रयास है, जो दशकों में दोनों पक्षों के बीच सबसे गंभीर सैन्य संघर्ष था।
- सेना दिवस समारोह में अपने संबोधन में सेना प्रमुख ने यह भी कहा कि नियंत्रण रेखा (एलओसी) पर संघर्ष विराम कायम है, लेकिन घुसपैठ की कोशिशें जारी हैं।
सेना दिवस पर हुई परेड
उन्होंने कहा कि जम्मू-कश्मीर के अंदरूनी इलाकों में सुरक्षा बलों के लगातार प्रयासों से वहां हिंसा में कमी आई है। जनरल द्विवेदी ने कहा, ‘हम भविष्य में भारतीय सेना को आधुनिक, चुस्त, अनुकूलनीय, टेक्नोलॉजी से लैस और सक्षम बल बनाने की राह पर आगे बढ़ते रहेंगे।’
पहली बार पुणे में परेड
सेना प्रमुख ने कहा कि पुणे में होने वाली 77वीं सेना दिवस परेड विशेष महत्व रखती है, क्योंकि यह मराठा शासन के बाद से वीरता का स्थान रहा है। उन्होंने कहा कि पुणे में सेना दिवस समारोह क्षेत्र की विरासत के साथ हमारे गहरे संबंध को दर्शाता है।
आपको बता दें कि पुणे में पहली बार समारोह का आयोजन हुआ। सेना दिवस परेड (एडीपी) यहां बॉम्बे इंजीनियर्स ग्रुप और सेंटर में हुई, जो सेना की दक्षिणी कमान के अंतर्गत आता है।यह भी पढ़ें: सेना दिवस पर आर्मी चीफ ने बढ़ाया जवानों का जोश, बोले- किसी भी चुनौती से निपटने के लिए तैयार
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