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इसराइल के रक्षा मंत्री इसराइल कात्ज़ ने कहा है कि अगर हमास ने हथियार छोड़ने की और सभी बंधकों की रिहाई की शर्त नहीं मानी तो ग़ज़ा शहर को तबाह कर दिया जाएगा.
कात्ज़ का ये बयान ऐसे वक्त आया है जब बढ़ती अंतरराष्ट्रीय आलोचना और देश के भीतर हो रहे विरोध के बीच इसराइली कैबिनेट ने ग़ज़ा शहर में व्यापक कार्रवाई की योजना को मंज़ूरी दे दी है.
सोमवार को क़तर और मिस्र के मध्यस्थों के पेश किए प्रस्ताव पर हमास ने सहमति दी थी. क़तर के अनुसार इसके तहत 60 दिनों के युद्धविराम के बदले हमास बचे बंधकों में से आधों को इसराइल को सौंपेगा.
लेकिन इसराइल के प्रधानमंत्री ने कथित तौर पर इससे इनकार कर दिया है. उनका कहना है कि उन्होंने मध्यस्थों से कहा है कि सभी बंधकों की रिहाई और ग़ज़ा में पूर्ण युद्धविराम की ऐसी शर्तों पर बातचीत शुरू की जाए जो “इसराइल को मंज़ूर हो”.
इसराइल का कहना है कि हमास ने जिन लोगों को बंधक बनाया था उनमें से 20 अभी जीवित हैं.
एक अधिकारी के हवाले से इसराइली मीडिया में कहा गया है कि नए सिरे से शुरू होने वाली बातचीत के लिए जगह सुनिश्चित होने के बाद मध्यस्थों को भेजा जाएगा.
इससे पहले गुरुवार रात प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू ने इसराइल में ग़ज़ा डिविज़न मुख्यालय का दौरा किया था. इस दौरान उन्होंने एक वीडियो संदेश जारी किया जिसमें उन्होंने कहा, “मैंने सभी बंधकों की रिहाई के लिए तुरंत बातचीत शुरू करने का आदेश दिया है.”
उन्होंने कहा, “मैं ग़ज़ा शहर का नियंत्रण अपने हाथ में लेने और हमास को हराने की इसराइली डिफ़ेंस फ़ोर्सेस की योजना को मंज़ूरी देने आया हूं.”
उन्होंने अगले चरण की बातचीत के बारे में अधिक जानकारी नहीं दी. हालांकि कहा, “ये दोनों मुद्दे- हमास को हराना और हमारे सभी बंधकों की रिहाई, आपस में जुड़े हुए हैं.”
रक्षा मंत्री इसराइल कात्ज़ ने नेतन्याहू के इसी बयान को आगे बढ़ाते हुए सोशल मीडिया पर लिखा, “जल्द ही हमास के हत्यारों और ग़ज़ा में बलात्कारियों के लिए नर्क के दरवाज़े खुलेंगे, तब तक जब तक वह युद्ध ख़त्म करने, सभी बंधकों को सौंपने और अपने हथियार छोड़ने की इसराइल की शर्तों को मान नहीं लेता.”
उन्होंने धमकी देते हुए लिखा, “अगर वो इसके लिए सहमत नहीं हुआ तो हमास की राजधानी ग़ज़ा को रफ़ाह और बेत हनून बना दिया जाएगा.”
इसराइल के सैन्य अभियान में रफ़ाह और बेत हनून शहर बुरी तरह तबाह हुए हैं.
इसराइली सेना की चेतावनी
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इसराइली डिफ़ेंस फ़ोर्सेस ने कहा है कि सैन्य कार्रवाई से पहले ग़ज़ा शहर से क़रीब 10 लाख लोगों को योजनाबद्ध तरीके से बाहर निकाला जाएगा.
सेना ने इसके लिए चिकित्सा अधिकारी और अंतरराष्ट्रीय संगठनों से तैयारी करने को कहा है.
ग़ज़ा में हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय ने सेना के इस बयान को खारिज कर दिया है. मंत्रालय का कहना है कि “ग़ज़ा में जो बची-खुची स्वास्थ्य व्यवस्था है यह क़दम उसे भी तबाह कर देगा”.
बीते महीने बंधकों की रिहाई और युद्धविराम को लेकर इसराइल और हमास के बीच मध्यस्थों के ज़रिए हो रही बातचीत बेनतीजा रही थी. इसके बाद इसराइली पीएम नेतन्याहू ने कहा था कि इसराइल पूरी ग़ज़ा पट्टी पर कब्ज़ा करना चाहता है.
इधर संयुक्त राष्ट्र का कहना है कि उसने और राहत कार्य में जुड़े अन्य संगठनों ने फ़ैसला किया है कि वे ग़ज़ा में उन लोगों के लिए रहेंगे जो यहां से जाना नहीं चाहते या फिर यहां से बाहर जा नहीं सकते.
आशंका जताई जा रही है कि इसराइल की नई सैन्य अभियान योजना से ग़ज़ा में मानवीय संकट और गहरा सकता है.
आईपीसी की रिपोर्ट में क्या है
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संयुक्त राष्ट्र ने कहा है कि ग़ज़ा शहर पर हो रहे “लगातार हमलों और बमबारी” के कारण यहां “बड़ी संख्या में आम नागरिक हताहत हो रहे हैं और बड़े पैमाने पर तबाही हो रही है.”
इस बीच फ़ूड सिक्योरिटी एक्सपर्ट्स की संयुक्त राष्ट्र समर्थित इंटीग्रेटेड फ़ूड सिक्योरिटी फ़ेज़ क्लासिफ़िकेशन (आईपीसी) की एक रिपोर्ट सामने आई है.
इस रिपोर्ट में कहा गया है कि ग़ज़ा शहर और इसके आसपास के इलाक़ों में अकाल की स्थिति है. आईपीसी ने ग़ज़ा के लिए ये स्तर पांच कर दिया है जो सबसे अधिक और बेहद गंभीर है.
सरकारें और अंतरराष्ट्रीय संगठन दुनिया में भूख स्तरों का आकलन करने के लिए आईपीसी के आंकड़ों का इस्तेमाल करती हैं.
आईपीसी का कहना है कि ग़ज़ा पट्टी में पांच लाख से ज़्यादा लोग “भयावह” परिस्थितियों का सामना कर रहे हैं, जिनमें “भुखमरी, अभाव और मौत” शामिल हैं.
इसराइल ने कहा कि आईपीसी की रिपोर्ट “हमास के झूठ” पर आधारित है. उसका आरोप है कि हमास ग़ज़ा में आने वाली राहत सामग्री का रास्ता रोकता रहा है.
आईपीसी की रिपोर्ट में अकाल को “पूरी तरह से मानव निर्मित” त्रासदी करार दिया गया है और कहा है कि इससे निपटने के लिए “तुरंत और बड़े पैमाने पर” काम करने की ज़रूरत है नहीं तो अकाल से जुड़ी मौतों की संख्या में “बढ़ोतरी होगी जो अस्वीकार्य होगी.”
संगठन का कहना है कि अगस्त के मध्य से लेकर सितंबर के आख़िर में अकाल ग़ज़ा पट्टी में देर-अल-बलाह और ख़ान यूनिस तक फैल जाएगा.
आईपीसी के अनुसार पांचवे स्तर की भुखमरी के दौरान ग़ज़ा की लगभग एक तिहाई आबादी यानी क़रीब छह लाख 41 हज़ार लोग “भयानक हालात” का सामना कर सकते हैं.
साथ ही रिपोर्ट में अनुमान जताया गया है कि जून 2026 तक पांच साल से कम उम्र के 1.32 लाख बच्चों की जान इस कारण “ख़तरे” में पड़ सकती है.
इससे पहले आईपीसी ने बीते महीने कहा था कि “ग़ज़ा में जो हो रहा है उससे अकाल की सबसे बुरी स्थिति पैदा हो रही है.”
संयुक्त राष्ट्र ने जताई चिंता
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आईपीसी ने रिपोर्ट तो जारी की है लेकिन वो किसी क्षेत्र में अकाल की घोषणा नहीं कर सकता, ये काम सरकार या संयुक्त राष्ट्र के ज़िम्मे होता है.
संयुक्त राष्ट्र मानवीय मामलों के प्रमुख टॉम फ्लेटर ने अकाल के लिए इसराइल की तरफ से “योजनाबद्ध तरीके से राहत सामग्री का रास्ता रोके जाने को” ज़िम्मेदार ठहराया है.
उन्होंने कहा कि खाना कुछ सौ मीटर की दूरी पर था और इस स्थिति को टाला जा सकता था. उन्होंने इसराइल से अपील की कि ग़ज़ा के लिए इसराइल अपनी सभी सीमाएं खोले.
वहीं संयुक्त राष्ट्र महासचिव एंटोनियो गुटेरेस ने कहा है कि अकाल कोई रहस्य नहीं है, बल्कि ये मानव-निर्मित त्रासदी है और मानवता की नाकामी का सबूत है.
सात अक्तूबर 2023 को हमास के नेतृत्व में इसराइल पर हुए हमले के बाद इसराइल ने ग़ज़ा में सैन्य अभियान छेड़ा था. हमास के हमले में 1200 इसराइली नागरिकों की जान गई थी और 251 लोगों को बंधक बना लिया गया था.
ग़ज़ा में हमास संचालित स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार सात अक्तूबर 2023 से अब तक यहां 62,192 लोगों की मौत हुई है. संयुक्त राष्ट्र और अन्य संगठन इन आंकड़ों को हताहतों के बारे में मौजूद सबसे विश्वसनीय स्रोत के रूप में दर्शाते हैं.
स्वास्थ्य मंत्रालय के अनुसार “भुखमरी और कुपोषण” से ग़ज़ा में अब तक 271 लोगों की मौत हो चुकी है, जिनमें 112 बच्चे शामिल हैं.
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