इमेज कैप्शन, संयुक्त राष्ट्र के मुताबिक़ इसराइली हमले में ग़ज़ा लगभग 90 फ़ीसदी इमारतें ध्वस्त हो गई हैं. ….में
इसराइल और हमास के बीच ग़ज़ा में युद्धविराम की अवधि बढ़ाने के लिए हो रही बातचीत बेनतीजा रही है.
एक फ़लस्तीनी अधिकारी ने बीबीसी को बताया कि अमेरिका ने क़तर में हुई इस बैठक को लेकर कहा है कि हमास की ‘बिल्कुल अव्यावहारिक’ मांगों की वजह से बातचीत बेनतीजा ख़त्म हुई.
दरअसल तीन चरणों में हुए मौजूदा संघर्ष विराम के पहले चरण की मियाद एक मार्च को ख़त्म हो गई थी. अब वार्ताकार चाह रहे हैं किसी तरह इसकी अवधि बढ़ाई जाए.
अमेरिका ने पहले चरण के युद्धविराम को अप्रैल के मध्य तक बढ़ाने के लिए प्रस्ताव दिया है.
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अमेरिका ने कहा है कि इस बढ़ी हुई अवधि के दौरान हमास और इसराइल के बीच बंधकों और कैदियों की अदला-बदली हो.
लेकिन अनाम फ़लस्तीनी अधिकारियों ने बताया है कि मध्यपूर्व के लिए अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप विशेष दूत स्टीव विटकॉफ़ की ओर से प्रस्तावित समझौते के अहम बिंदुओं पर इसराइल और हमास सहमत नहीं हो पाए.
आइए जानते हैं कि किन बातों को लेकर दोनों पक्ष सहमत नहीं हो पा रहे हैं.
कैदियों और बंधकों की अदला-बदली
हमास सिर्फ अमेरिकी बंधक इदान एलेक्ज़ेंडर के साथ चार बंधकों के शव सौंपने के लिए तैयार है.
वहीं इसराइल चाहता है कि जीवित बचे 11 बंधकों के साथ 17 बंधकों के शव उसे सौंपे जाए.
लेकिन हमास का कहना है कि वो सिर्फ एक जीवित बंधक और चार बंधकों के शव सौंपेगा.
इसराइली सेना की मौज़ूदगी और ब्रॉडर क्रॉसिंग
हमास चाहता है कि फ़िलाडेल्फी कॉरिडोर से इसराइली सेना पूरी तरह हट जाए. इसके साथ ही इसराइल रफ़ाह क्रॉसिंग से हजारों फ़लस्तीनियों को बगैर जांच के वापस आने दे.
इसके अलावा नेतज़रीम के रास्ते से लगे चेक प्वाइंट्स ख़त्म कर दिए जाएं.
लेकिन इसराइल को इनमें से कोई शर्त मंजूर नहीं है.
समझौते को लेकर विवाद
हमास चाहता है कि मौजूदा समझौते को 19 जनवरी को हुए युद्धविराम समझौता का ही हिस्सा माना जाए.
वहीं इसराइल इसे नए समझौते या पहले चरण के समझौते के एक्सटेंशन के रूप में चाहता है.
इन मुद्दों को लेकर भी तनातनी
इमेज स्रोत, Getty Images
इमेज कैप्शन, डोनाल्ड ट्रंप के साथ स्टीव विटकॉफ़
इसके साथ ही कुछ और मुद्दों पर इसरािल और हमास के बीच असहमति है.
हमास चाहता है कि जिस मानवीय सहायता पर सहमति बनी थी उसे तुरंत जारी किया जाए.
इनमें ग़ज़ा में हर दिन 500 ट्रकों, 60 कैरेवन और तीन लाख टेंटों की एंट्री की इज़ाज़त शामिल है.
साथ ही इसराइल से ग़ज़ा में यूएन को काम करने की अनुमति देने की मांग शामिल है.
वहीं इसराइल मदद के नए तरीके पर अड़ा हुआ है. उसका कहना है कि मदद नागरिकों तक पहुंचे हमास के सदस्यों तक नहीं.
उसका कहना है कि हमास और उसकी पुलिस मानवीय सहायता की खेप की निगरानी नहीं करेगी.
ये इसकी ट्रांसपोर्टिंग या मानवीय सहायता लेकर आने वालों की सुरक्षा में शामिल नहीं रहेगी.
इसराइल उम्र कैद की सज़ा काट रहे सिर्फ 120 कैदियों और 7 अक्टूबर 2023 को हमास के हमले बाद गिरफ़्तार किए गए 1170 लोगों को रिहा करना चाहता है.
वहीं हमास चाहता है कि हर जिंदा या मुर्दा बंधक के बदले 120 कैदियों को रिहा किया जाए और 7 अक्टूबर 2023 के हमले के बाद सारे गिरफ़्तार सारे लोगों को छोड़ दिया जाए.
इसराइल और अमेरिका क्या कह रहे हैं?
इसराइल ने बातचीत को लेकर अभी तक कोई प्रतिक्रिया नहीं दी है.
लेकिन प्रधानमंत्री बिन्यामिन नेतन्याहू के दफ़्तर ने कहा है कि उसे अभी इसराइल के वार्ताकारों की रिपोर्ट नहीं मिली है.
दूसरी ओर व्हाइट हाउस ने कहा है विटकॉफ़ के प्रस्तावों के जवाब में हमास ने जो शर्तं रखीं वो बिल्कुल ही व्यावहारिक नहीं थीं.
विटकॉफ़ के दफ़्तर और अमेरिकी नेशनल सिक्योरिटी काउंसिल की ओर से शुक्रवार को जारी किए बयान में कहा गया, ”हमास ये कहकर गलत दांव लगा रहा. हमास को युद्धविराम की डेडलाइन के बारे में पता है और उसे पता होना चाहिए कि इसके ख़त्म होने के बाद हम अपने हिसाब से जवाब देंगे.”
बीबीसी ने हमास का वो बयान देखा है, जिसमें कहा गया है कि बातचीत टूट गई है. इससे पहले इसराइल ने कहा था कि उसने अमेरिकी प्रस्तावों को स्वीकार कर लिया है.
हमास के बारे में कहा गया है कि वो शर्तें न मानने पर अड़ा हुआ है. वो एक मिलीमीटर भी हिलने को तैयार नहीं है. हमास पर चालाकी करने और मनोवैज्ञानिक युद्ध छेड़ने के आरोप लगाए गए हैं.
युद्धविराम समझौते में क्या कहा गया था?
इस साल जनवरी में हमास और इसराइल 15 महीनों की लड़ाई के लिए बाद युद्धविराम को राजी हुए थे. ये समझौता तीन चरणों का था.
पहले चरण में हमास ने 25 इसराइली बंधकों को छोड़ा था. इसके अलावा आठ मृत बंधकों के शव के साथ थाईलैंड के पांच बंधकों को इसराइल को सौंपा गया था. वहीं इसराइल ने इसके बदले में 1800 फ़लस्तीनी कैदियों को रिहा किया था.
इस समझौते के दूसरे चरण के तहत और फ़लस्तीनी कैदियों के बदले जीवित बचे बाकी इसराइली बंधकों को रिहा किया जाएगा.
आख़िरी चरण में ग़ज़ा के पुनर्निर्माण का काम होना है.
लेकिन दोनों पक्ष फिलहाल अगली खेप में रिहा किए जाने बंधकों और कैदियों की संख्या को लेकर सहमत नहीं हो पा रहे हैं.
ग़ज़ा से इसराइली सैनिकों की वापसी को लेकर रजामंदी नहीं है.
इस महीने की शुरुआत में इसराइल ने ग़ज़ा में सहायता सामग्री लेकर आने वाली खेप भी रोक दी थी. इसके साथ ही ग़ज़ा में बिजली काट दी गई थी. इसराइल का कहना था कि ऐसा हमास पर दबाव बनाने के लिए किया जा रहा है.
बीबीसी के लिए कलेक्टिव न्यूज़रूम की ओर से प्रकाशित.